प्रयागराज।तीर्थराज प्रयागराज में गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी के संगम तट पर जनवरी 2025 में विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ के रूप में होने जा रहा है।योगी सरकार महाकुंभ को दिव्य और भव्य स्वरूप प्रदान कर रही है।संगम नगरी के साथ ही जिले में गंगा किनारे स्थित निषादराज गुह्य की राजधानी रही श्रृंगवेरपुर धाम की भी योगी सरकार कायाकल्प सरकार कर रही है।श्रृंगवेरपुर धाम में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के साथ रूरल टूरिज्म की भी संभावनाएं विकसित हो रही हैं।
राम नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब रामलला के अनन्य भक्त निषादराज की राजधानी श्रृंगवेरपुर को भी भव्य स्वरूप दिया जा रहा है।सामाजिक समरसता का प्रतीक इस स्थान को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के साथ अब रूरल टूरिज्म के साथ भी जोड़ कर विकसित किया जा रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार श्रृंगवेरपुर धाम का कायाकल्प का कार्य समापन के चरण में है।इसके अंतर्गत यहां 3732.90 लाख रुपये की लागत से निषादराज पर्यटन पार्क स्थल का निर्माण कार्य दो फेज में किया गया है।निषादराज पार्क (फेज-1) के निर्माण के लिए 1963.01 लाख रुपये के बजट से निषादराज और रामलला के मिलन की मूर्ति की स्थापना और मूर्ति के पैडेस्टल का कार्य,पोडियम का कार्य,ओवर हेड टैंक,बाउण्ड्रीवाल,प्रवेश द्वार का निर्माण,गार्ड रूम आदि कार्य कराया गया।श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज पार्क (फेज-2) के 1818.90 लाख रुपये के बजट से रामलला और निषादराज मिलन से सम्बन्धित गैलरी,चित्रांकन,ध्यान केन्द्र,केयर टेकर रूम कैफेटेरिया,पॉथ-वे,पेयजल और टॉयलेट ब्लॉक, कियास्क,पार्किंग,लैंड स्केपिंग,हॉर्टिकल्चर,आउटर रोड,सोलर पैनल,मुक्ताकाशी मंच आदि कार्य कराए गए हैं।
बता दें कि 6 हेक्टेयर में बनाए गए इस भव्य पार्क का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।धार्मिक और आध्यत्मिक पर्यटन के साथ श्रृंगवेरपुर धाम को ग्रामीण पर्यटन के साथ जोड़कर विकसित करने का रोड मैप तैयार किया गया है।रूरल टूरिज्म के अन्तर्गत श्रृंगवेरपुर धाम को विकसित किये जाने के लिए सबसे पहले यहां ग्रामीण क्षेत्र में होम स्टे की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।इसके लिए यहां स्थानीय लोगों को अपने यहां मड हाउस या हट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। ताकि पर्यटकों को कुछ अलग अनुभव हो सके।इन सभी स्थानों पर थीमेटिक पेंटिंग होगी, स्थानीय खानपान और स्थानीय संस्कृति को भी यहां संरक्षित किया जाएगा।पर्यटक भी यहां स्टे करने के दौरान स्थानीय ग्रामीण क्राफ्ट का हिस्सा बन सके ऐसी उनकी कोशिश है।