नई दिल्ली।केंद्र शासित राज्य दिल्ली में विधानसभा चुनाव के प्रचार का आज आखिरी दिन है।सभी दलों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है।दिल्ली में पांच फरवरी को मतदान होगा और आठ फरवरी को मतगणना होगी।विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन के बीच कांग्रेस अकेली पड़ गई है।कांग्रेस और सपा के नेताओं के बीच और इंडिया अलायंस को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है।सपा मुखिया अखिलेश यादव भले ही यह कह रहे हों कि वह और उनकी पार्टी कांग्रेस के खिलाफ नहीं है,वह बस बीजेपी को हराना चाहते हैं,लेकिन आप ने चुनाव की शुरुआत में ही कांग्रेस को इंडिया अलायंस से बाहर निकालने की मांग की थी।
इन सब सियासी समीकरणों और दावों के बीच लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान अपनी बात रखी और कई बार इंडिया अलायंस का जिक्र किया। राहुल गांधी ने कहा कि मुझे लगा ये उस तरह का अभिभाषण नहीं था जो एक राष्ट्रपति का अभिभाषण होना चाहिए,मैं बताना चाहता हूं कि इंडिया गठबंधन किन बातों की चर्चा करता।
राहुल गांधी द्वारा संसद में यह कहना कि इंडिया अलायंस किन बातों की चर्चा करता,इस बात की ओर संकेत है कि गठबंधन से निकाले जाने की मांगों के बीच कांग्रेस हाईकमान के दिमाग में अलायंस को लेकर एक स्पष्ट तस्वीर है।लोकसभा में भाषण की शुरुआत में ही राहुल गांधी ने दो बार इंडिया अलायंस का जिक्र किया।
मिल्कीपुर समेत 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा,बल्कि सपा को समर्थन देने का ऐलान किया।इस बात की अटकलें भी लगाई जा रहीं हैं कि अगर दिल्ली में सपा और आप का अलायंस सफल रहता है तो यूपी में 2027 के विधानसभा चुनाव में सपा और आप साथ आ सकते हैं।इससे कांग्रेस को सीटों का नुकसान हो सकता है। ऐसे में कांग्रेस हर हाल में अलायंस में अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखना चाहती है।
साल 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद यह मांग लगातार उठ रही है कि इंडिया अलायंस का नेतृत्व कांग्रेस के हाथ से लेकर किसी औऱ दल के नेता को दिय जाए।अब यह देखना दिलचस्प है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम क्या आएंगे और इंडिया अलायंस पर उसका क्या असर पड़ता है।
सियासी पंडितों के मुताबिक इस साल बिहार चुनाव से पहले राहुल गांधी ये संदेश नहीं देना चाहते हैं कि कांग्रेस की अगुवाई में इंडिया अलायंस कहीं गुम हो गया है।बिहार के अलावा कांग्रेस,यूपी में भी सपा के साथ अपने अलायंस को बचाए रखने की कोशिश में है।