प्रयागराज।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज तीर्थराज प्रयागराज पहुंचे,जहां पीएम मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ में संगम नोज पर आस्था की डुबकी लगाई।माघ मास शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि में शुभ योग में भरणी नक्षत्र और शुभ चौघड़िया में पीएम मोदी ने लगभग 11 बजे संगम में आस्था की डुबकी लगाई।बता दें कि गंगा की धरा पर 13 जनवरी से दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ शुरू है।महाकुंभ 26 फरवरी महाशिवरात्रि तक चलेगा।महाकुंभ में देश विदेश से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है।
पीएम मोदी ने की पूजा अर्चना
संगम में आस्था की डुबकी लगाने के दौरान पीएम मोदी ने अपने हाथों से सूर्य देव को जल अर्पित किया।सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद मां गंगा और संगम की अपने हाथों से पूजा अर्चना भी की।इस दौरान पीएम मोदी ने वरुण मुद्रा को अपनाते हुए संगम तट पर पूजा अर्चना की।
आस्था की डुबकी लगाने के दौरान जाप
पूजा और जल अर्पण के दौरान पीएम मोदी मन में मंत्र का जाप भी करते रहे।मन में मंद स्वर में जाप करने की पद्धति को उपांशु जप कहते हैं।उपांशु जाप पद्धति को अपनाने से यह कहा जा सकता है कि पीएम मोदी को सनातन और धर्म शास्त्रों का कितना अधिक ज्ञान है।
लाल कुरते का संदेश
पीएम मोदी ने लाल रंग का कुर्ता पहनकर संगम में आस्था की डुबकी लगाई।पीएम मोदी के गले में पवित्र रुद्राक्ष की एक बड़ी माला भी थी।पीएम मोदी ने लाल रंग का कुर्ता और रुद्राक्ष की माला पहनकर संगम में आस्था की डुबकी लगाकर देश में सनातन धर्म को मजबूत करने का एक गहरा संदेश भी दिया।लाल रंग को हिंदू धर्म शास्त्रों में सुविधा और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।मान्यता है लाल रंग का कुर्ता पहनकर गंगा या किसी भी पवित्र नदी में डुबकी लगाने से सौभाग्य में भर्ती होती है।लाल रंग मंगल का प्रतीक माना जाता है,जबकि जल को चंद्रमा से जोड़कर देखा गया है।इस तरह मंगल और चंद्रमा का मिलन भी लक्ष्मी योग बनाता है,जो देश के लिये सौभाग्य और शुभता का सूचक है।
अंजुलि से जल अर्पित करने का महत्व
बता दें कि पीएम मोदी ने संगम में आस्था की डुबकी लगाने के बाद जो जल अर्पित किया है,उसका अर्थ देवों को जल अर्पित करने से है।शास्त्रों के अनुसार हमारे हाथ में तीन तीर्थ होते हैं, देव तीर्थ,पितृ तीर्थ और ऋषि तीर्थ,जल अर्पित करने से ये तीनों ही प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।अब यह जल देने के तरीके पर निर्भर करता है कि आपने किसे जल अर्पित किया है।
देव तीर्थ: जब व्यक्ति अपने अंजुलि में जल भरकर उसे आगे की ओर अर्पित करता है तो वह देवों को जल चढ़ाता है।पीएम मोदी ने स्नान के बाद अंजुलि से आगे की ओर ही जल अर्पित किया है। पीएम मोदी ने देवों को जल अर्पित करके भारत के उत्थान की कामना की है।
पितृ तीर्थ:जब कोई व्यक्ति अंजुलि के अंगूठे और तर्जनी के बीच से जल अर्पित करता है तो वह अपने पितरों को जल अर्पित करता है।
ऋषि तीर्थ:जब कोई अंजुलि से जल पीछे की ओर यानी देव तीर्थ में जल अर्पित करने की विपरीत दिशा में करता है, तो वह ऋषियों को जल चढ़ाता है।
पीएम मोदी का 5 बार जल अर्पित करने का क्या है रहस्य
बता दें कि स्नान के बाद 3, 5 और 12 बार अंजुलि से जल अर्पित करने का विधान है,जब कोई व्यक्ति 3 बार जल अर्पित करता है यानि वह गंगा,यमुना और सरस्वती को प्रणाम कर रहा है,जब 5 बार जल अर्पित करते हैं तो इसका अर्थ है कि वह गंगा, यमुना, सरस्वती, सूर्य और वरुण देव को जल अर्पित कर रहा है।पीएम मोदी ने 5 बार जल अर्पित करके गंगा, यमुना, सरस्वती, सूर्य और वरुण देव की पूजा की।
पीएम मोदी का जल में परिक्रमा करने का अर्थ
पीएम मोदी ने आस्था की डुबकी लगाने बाद जल अर्पित किया और उस दौरान दोनों हाथ जोड़कर चारों दिशाओं में एक बार परिक्रमा भी की।परिक्रमा करने का अर्थ है कि पीएम मोदी ने चारों दिशाओं के देवों की भी पूजा की।चार दिशाओं में पूर्व के देवता वाराह,दक्षिण के देवता पद्मनाभ,पश्चिम के देवता गोविंद और उत्तर की देवी श्री लक्ष्मी हैं।इस प्रकार से पीएम मोदी ने भगवान नारायण के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा की।