नई दिल्ली।केंद्र शासित राज्य दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर आज मतदान हुआ। 8 फरवरी को मतगणना होगी।आम आदमी पार्टी,भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस तीनों को दिल्ली की सत्ता पर फिर काबिज होने की काफी उम्मीद है। इस बीच कई चैनलों के एग्जिट पोल सामने आने लगे हैं। ऐसे में राजस्थान का मशहूर फलोदी सट्टा बाजार कहां पीछे रहता। उसने भी दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी,उसपर अपना अनुमान जारी कर दिया है।हालांकि यह फलोदी के लिए भी आसान नहीं था।दो बार फलोदी के सट्टा बाजार ने अपना अनुमान बदला है।
दिल्ली में किसकी सरकार बनवा रहा फलोदी सट्टा बाजार
राजस्थान का फलोदी सट्टा बाजार अपने सटीक अनुमान के लिए जाना जाता है।इस बार फलोदी के लगाए अनुमान की मानें तो इस बार मामला टाइट हो सकता है।आम आदमी पार्टी को 34-36 तो भारतीय जनता पार्टी को 34-36 और कांग्रेस को 0-1 सीट आने का अनुमान है।कुल मिलाकर आप और भाजपा ही सरकार बनाती हुई दिखाई दे रही हैं,लेकिन बराबर की सीटें दी गई हैं।फलोदी सट्टा बाजार ने चुनाव करीब आता देख दूसरी बार अपना अनुमान बदला है।
तो क्या कांग्रेस की झोली फिर खाली
12 साल से दिल्ली की सत्ता से बाहर कांग्रेस के लिए फलोदी सट्टा बाजार का अनुमान बिल्कुल पक्ष में नहीं है। 2020 की तुलना में 2025 में भी इस बार कांग्रेस के लिए कुछ खास होता नहीं दिखाई दे रहा है।वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने इस बार टिकट बंटवारे और उम्मीदवारों को लेकर सतर्कता बरती थी। नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को टिकट दिया था। इसके अलावा कालकाजी से सीएम आतिशी के खिलाफ अल्का लांबा को मैदान में उतारा था।
दो बार बदला अनुमान
फलोदी के सट्टा बाजार ने पहले अनुमान में आप के लिए 38-40 सीटों की भविष्यवाणी की थी।भाजपा को 31-33 सीटें मिलने का अनुमान जताया था।हालांकि ऐसा लग रहा है कि इसने चुनाव से पहले के अंतिम दिनों में लाभ कमाया है। चुनाव करीब आते ही फलोदी सट्टा बाजार ने फिर अपने अनुमान को बदला और अब भाजपा और आप को बराबर सीटें(34-36 सीटें) देता हुआ दिखाई दे रहा है।अब यह तो 8 फरवरी को चुनाव का परिणाम आने के बाद ही तय होगा कि फलोदी का सट्टा बाजार कितना सटीक था।
आप-कांग्रेस और भाजपा को जीत की उम्मीद
पिछले दो विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने वाली आप अपना जादू चलाने के लिए अपनी कल्याणकारी योजनाओं पर भरोसा कर रही है।मुफ्त उपहारों के मामले में आप के वादों से मेल खाने वाली भाजपा को अपनी कल्याणकारी योजनाओं और सत्तारूढ़ पार्टी के शीर्ष नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के इर्द-गिर्द घूमते अपने अभियान के दम पर अपने तीन दशक के सत्ता निर्वासन को समाप्त करने की उम्मीद है।दूसरी ओर कांग्रेस दिल्ली में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है।कांग्रेस तब तक अजेय शासक बनी रही जब तक कि आप के तूफान ने शीला दीक्षित का शासन छीन नहीं लिया।एजेंसियों और समाचार चैनल मतदान खत्म होने के बाद शाम 6.30 बजे के बाद दिल्ली चुनाव विधानसभा चुनाव परिणामों के लिए अपने अनुमान जारी करना शुरू कर चुके हैं।