नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने 27 साल का सियासी वनवास खत्म खत्म करते हुए दिल्ली की सत्ता में वापसी की है।भगवा की ऐसी हवा चली कि झाड़ू बिखर गया और कमल खिल गया।अब सवाल ये है कि दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन होगा।दिल्ली की जनता और मीडिया कई सवालों में उलझी हुई है।भाजपा विधायकों में सरकार बनने को लेकर उत्साह है,लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर उदासीनता भी है।विधायक ये अच्छी तरह से जानते हैं कि मुख्यमंत्री पद किसे मिलेगा ये बात सिर्फ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा मिलकर ही तय करेंगे।
मीडिया हर एक विधायक में सीएम का चेहरा खोज रही है,लेकिन दिल्ली का लगभग हर विधायक चाहता है कि उसका नाम मीडिया में न चले।इसके पीछे वजह है भाजपा के फैसले के पीछे छिपे दो अहम पहलू-सीक्रेसी और सस्पेंस। उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी हो या राजस्थान के भजनलाल शर्मा और मध्य प्रदेश के मोहन यादव।इन सभी को देख लीजिए,मीडिया में नाम चला किसी और का और इन राज्यों में मुख्यमंत्री बना कोई और।इसीलिए फ़िलहाल सभी 48 विधायक मुख्यमंत्री पद के दावेदार मानते जा सकते हैं।
कौन बन सकता है दिल्ली का सीएम
मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए इसे लेकर संभावनाओं पर बात करें तो इसके पीछे सामाज और जाति बड़ा फैक्टर है।मीडिया में सबसे पहला नाम प्रवेश वर्मा का चल रहा है।
प्रवेश एक ताकतवर जाट नेता हैं। प्रवेश वर्मा दिल्ली के गांवों से जुड़े हैं।बाहरी दिल्ली के गांवों से भाजपा को भरपूर समर्थन मिला।बाहरी दिल्ली की सातों सीटें भाजपा ने जीती है। इस लिहाज़ से प्रवेश वर्मा सीएम की दौड़ में हैं।प्रवेश वर्मा अमित शाह के नज़दीकी हैं,लेकिन सवाल ये भी है कि क्या प्रवेश वर्मा कार्यकर्ताओं की भी पसंद है।
मोहन सिंह बिष्ट छठी बार विधायक बनें हैं।मोहन सिंह बिष्ट मुस्लिम बहुल मुस्तफाबाद विधानसभा से जीते हैं।मोहन सिंह बिष्ट लंबे समय तक विधायक रहे है।मोहन सिंह बिष्ट पहाड़ी समाज के क़द्दावर नेता हैं।मोहन सिंह बिष्ट को भी मीडिया सीएम या स्पीकर के पद पर संभावित चेहरे के तौर पर देख रही है।दिल्ली की सियासत में मोहन सिंह बिष्ट सबसे अनुभवी विधायक माने जाते हैं।
भाजपा 27 साल से दिल्ली की सत्ता से भले ही दूरी रही हों,लेकिन विजेंद्र गुप्ता लगातार रोहिणी से जीतते रहे हैं। विजेंद्र गुप्ता भाजपा के स्टैंड को दमदार तरीक़े से विधानसभा में रखते रहे हैं।सरकारी कामकाज और दिल्ली सरकार की बारीकियों को बखूबी समझते हैं,रोहिणी में विकास के जो काम विजेंद्र गुप्ता ने किए उससे अमित शाह भी उनकी तारीफ़ कर चुके हैं। विजेंद्र गुप्ता दिल्ली में बनिया जाति के दमदार नेता के तौर पर जाने जाते हैं।
दिल्ली में 12 सुरक्षित सीटों में भाजपा ने इस बार चार सीटों पर जीत दर्ज की है।इनमें सबसे प्रमुख नाम राजकुमार चौहान का है। राजकुमार चौहान कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे हैं। भाजपा ने राजकुमार चौहान को मंगोलपुरी विधानसभा से उतारा था। राजकुमार चौहान को कामकाज का लंबा अनुभव है,लेकिन कांग्रेसी पृष्ठभूमि उनका नकारात्मक बिंदु है।
मादीपुर विधानसभा से आप की राखी बिड़ला को हराने वाले कैलाश गंगवाल का नाम भी सीएम की दौड़ में माना जा रहा है,जबकि बवाना से जीते रवि इंद्राज समेत चार दलित विधायकों को सरकार में अहम ज़िम्मेदारी मिल सकती है।
दिल्ली में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सतीश उपाध्याय और पवन शर्मा को भी मुख्यमंत्री की दौड़ में जा रहा है।सतीश उपाध्याय ने आप के क़द्दावर नेता सोमनाथ भारती को मालवीय नगर से हराया है। सतीश उपाध्याय को संगठन के कामकाज का लंबा अनुभव है और अनुभवी कार्यकर्ता की उनकी छवि है।
उत्तम नगर विधानसभा से जीत दर्ज करने वाले पवन शर्मा भी सीएम पद के दावेदार हो सकते हैं।इसकी वजह यह है कि पवन शर्मा खामोशी से काम करने वाले कार्यकर्ता रहे हैं।माना जाता है कि विधानसभा चुनाव का टिकट पाने में संघ से उनकी नज़दीकियां भी अहम वजह रही है।
मुख्यमंत्री पद के लिए अगर महिला दावेदार की बात करें तो शिखा राय और रेखा गुप्ता का नाम सामने आ रहा है।शिखा राय ने आप के ताकतवर नेता सौरभ भारद्वाज को हराया है। MCD से लेकर संगठन तक में कामकाज का शिखा राय को लंबा अनुभव है।रेखा गुप्ता शालीमार बाग विधानसभा से चुनाव जीता है। भाजपा की चार चुनी गई महिला विधायकों में से शिखा राय और रेखा गुप्ता सबसे ज़्यादा अनुभवी हैं।
क्या दिल्ली में पूर्वांचल फैक्टर आएगा काम
सवाल यह भी है कि क्या भाजपा इस बार पूर्वांचली विधायकों पर दांव खेलेगी।इससे उसके एक तीर से दो शिकार हो सकते हैं।पहला भाजपा ने पूर्वांचल बहुल 27 सीटों में से 19 पर जीत दर्ज की है।इसलिए इनकी दावेदारी सरकार में अहम हो जाती है। दूसरा पूर्वांचली मुख्यमंत्री बनाकर बिहार चुनाव में सियासी का मायलेज ले सकती है।हालांकि भाजपा ने पांच पूर्वांचलियों को ही चुनाव लड़वाया था। इनमें सबसे प्रमुख नाम लक्ष्मी नगर विधानसभा से जीते अभय वर्मा और करावल नगर विधानसभा से जीते कपिल मिश्रा का नाम है।अभय वर्मा ने लक्ष्मी नगर विधानसभा से दूसरी बार चुनाव जीता है जबकि कपिल मिश्रा भाजपा के फायरब्रांड नेता के तौर पर जाने जाते हैं।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण के बाद अब इस बात की संभावना है कि दिल्ली सरकार में पूर्वांचलियों को अहम पद जरूर दिया जाएगा।
सीएम पद के लिए इन बाहरी नेताओं के नाम की भी चर्चा
इस बात की भी कई नेता संभावना जता रहे हैं कि हो सकता है दिल्ली के सात सांसदों या बाहर से पैराशूट उम्मीदवार को भी दिल्ली का मुख्यमंत्री पद मिल जाए।इसमें सबसे ज़्यादा चर्चित नाम मनोज तिवारी, बांसुरी स्वराज, वीरेंद्र सचदेवा और रामवीर सिंह बिधूडी का है। 15 फ़रवरी के आसपास पीएम मोदी के विदेश दौरे से लौटने पर ही इन अटकलों पर विराम लग सकता है।फ़िलहाल बैठकों का दौर जारी है।