गालों पर गुलाल,काशी में बुर्के में मुस्लिम महिलाओं ने लोकगीत गाकर खेली होली


गालों पर गुलाल,काशी में बुर्के में मुस्लिम महिलाओं ने लोकगीत गाकर खेली होली

धनंजय सिंह | 14 Mar 2025

 

वाराणसी।देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी रंगों का त्योहार होली एकता और सौहार्द का बड़ा संदेश दे रही है।होली को सभी खुशियों के साथ मना रहे हैं।काशी में गुरुवार को मुस्लिम महिलाओं ने जमकर होली खेली।मुस्लिम महिलाओं ने ढोलक बजाकर होली गीत गाए और रंग-गुलाल के साथ फूलों की होली खेली।इन मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि होली प्रेम का त्योहार है,इसे मनाकर उन्होंने एकता का संदेश दिया है।

काशी के मणिकर्णिका घाट पर खेली जाने वाली मसान की होली विश्व प्रसिद्ध है।काशी के रंगों में सभी घुल जाते हैं।कुछ ऐसा ही नजारा गुरुवार को लमही में सुभाष भवन में दिखा। सुभाष भवन में मुस्लिम महिला फाउंडेशन ने होली का आयोजन किया।मुस्लिम महिलाएं बुर्का और हिजाब में गुलाल और फूलों से होली खेली,मुस्लिम महिलाओं ने जमकर फूल उड़ाया,ढोलक की थाप पर महिलाएं होली खेले रघुवीरा अवध में गाना गाया,मुस्लिम महिलाओं ने लोकगीत भी गाए।

मुस्लिम महिला फाउंडेशन से जुड़ी नाजनीन अंसारी,खुशीदा बनो,नगीना ने बताया कि होली हमारे पूर्वजों और महान भारतीय संस्कृति का त्योहार है नहीं खेलेंगे तो हम जन्नत में जाकर अपने पूर्वजों को क्या जबाव देंगे।

बता दें कि मुस्लिम महिला फाउंडेशन और विशाल भारत संस्थान ने मिलकर होली समारोह का आयोजन किया।इस दौरान मुस्लिम महिलाओं ने गुलाब की पंखुड़ियां,हरे-लाल गुलाल और गुलाब जल का मिश्रण मिलाकर होली में प्रेम का रंग बनाया।


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