अयोध्या।राम नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर 1200 करोड़ रुपये की लागत से 56 महीनों में बनकर तैयार हुआ है।नागर शैली में निर्मित भव्य राम मंदिर 4.5 लाख क्यूबिक लाल पत्थरों से बना है।राम मंदिर सदियों पुराने संघर्ष और आस्था का प्रतीक है,राम मंदिर की स्थापत्य कला अद्भुत है,इसमें वैदिक परंपराओं का समावेश है,राम मंदिर का निर्माण भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है।
राम मंदिर तकनीक व स्थापत्य का अद्भुत संगम
राम मंदिर तकनीक और स्थापत्य कला का अद्भुत संगम है। सदियों का संघर्ष,आस्था और इंतजार के बाद भव्य राम मंदिर का निर्माण अब पूरा हो चुका है,लेकिन अभी मंदिर परिसर में निर्माण कार्य चल रहा है।राम मंदिर देश की सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय है।राम जन्मभूमि विवाद वर्षों तक कोर्ट में चला। 9 नवंबर 2019 को देश की सर्वोच्च अदालत से राम मंदिर के हक में फैसला आया,इसके बाद भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हुआ।
राम मंदिर का नागर शैली में निर्माण
पत्थरों की नक्काशी,शिल्पकला और वैदिक परंपराओं का समावेश करते हुए राम मंदिर का निर्माण वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण बन गया है।नागर शैली में निर्मित राम मंदिर 380 फीट लंबा, 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा है।तीन मंजिला राम मंदिर में कुल 392 स्तंभ हैं, जो प्राचीन भारतीय शिल्पकला की गौरवगाथा कह रहे हैं।राम मंदिर की नींव 50 फीट गहरी पत्थरों की चट्टान पर बनी है।राम मंदिर एक हजार साल तक प्राक्रतिक आपदा से सुरक्षित रहेगा।
रामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए हुए 76 युद्ध
राम मंदिर के लिए संघर्ष 1528 से चल रहा था।कहा जाता है कि बाबर का सेनापति मीर बाकी ने राम मंदिर को तोड़कर मस्जिद बना दी थी।साल 1949 तक हिंदुओं ने इस स्थल की मुक्ति के लिए 76 युद्ध लड़ा,कई लोग मारे गए,जिस लड़ाई के बाद राम मंदिर निर्माण की शुरुआत हुई,उसकी पूरी पटकथा 22-23 दिसंबर 1949 को लिखी गई,जब विवादित परिसर में रामलला का प्राकट्य हुआ।संघर्ष तो इसके बाद भी हुए और 1990 में सुरक्षा बलों की गोलियों से कारसेवकों की मौत और छह दिसंबर 1992 को ढांचा ध्वंस जैसी घटनाएं भी घटीं, लेकिन सफलता 1949 में लिखी गई संघर्ष की पटकथा को ही मिली।
राम मंदिर निर्माण के मुख्य पड़ाव
9 नवंबर 2019 को देश की सर्वोच्च अदालत से राम मंदिर के हक में फैसला आया।
25 मार्च 2020 की सुबह टेंट से अस्थायी मंदिर में रामलला विराजे।
पांच अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमि पूजन हुआ।
22 जनवरी 2024 को भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई।
14 अप्रैल 2025 को मुख्य शिखर पर कलश की स्थापना हुई।