मथुरा।वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में पर्दा प्रथा काफी लंबे समय से चली आ रही है।बार-बार ठाकुर बांके बिहारी को पर्दा क्यों किया जाता है,इसके पीछे एक रहस्य छिपा हुआ है।आइए जानें ठाकुर बांके बिहारी को बार-बार पर्दा क्यों किया जाता है।
दर्शन करने आए भक्त के साथ चल दिए थे ठाकुर बांके बिहारी
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर बांके बिहारी की पूजा बाल रूप में की जाती है।सेवायत पुजारी और भक्त ठाकुर जी को बहुत प्यार करते हैं,ठाकुर जी का विग्रह इतना सुंदर है कि जो भी इसे देखता है वो देखता ही रह जाता है,ठाकुर जी के विग्रह में इतना आकर्षण है कि एक बार जिसकी नजर इस पर पड़ जाए, वो उन्हें एक टक देखता ही रह जाता है।मंदिर के गोस्वामी बार-बार पर्दा गिराकर भक्तों का ध्यान भंग करते हैं। इसके पीछे की वजह यह है कि ठाकुर जी का बाल रूप इतना मोहिनी है कि हर कोई उन्हें एक टक देखने लगता है।एक बार एक भक्त ने उन्हें लगातार देखा, तो ठाकुर जी उस पर मोहित हो गए।
इसलिए चली आ रही है सदियों से पर्दा प्रथा
ठाकुर बांके बिहारी के सेवायत और इतिहासकार आचार्य प्रहलाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि स्वामी हरिदास द्वारा 1543 ई. (विक्रम संवत 1569) में प्रकट हुए बांके बिहारीजी सबसे पहले 1607 तक लतामंडप में रहे,इसके बाद 1719 तक रंगमहल में विराजमान रहे,उसी साल करौली के राजा कुंवरपाल द्वितीय की रानी के आग्रह पर करौली चले गए। प्रहलाद वल्लभ ने बताया कि बांके बिहारीजी 1721 तक करौली और 1724 तक भरतपुर में रहे, 1724 में गोस्वामी रूपानंद ठाकुर जी को वापस वृंदावन लाने में सफल रहे,लेकिन वे शहीद हो गए,उनकी समाधि वर्तमान विद्यापीठ चौराहे के पास स्थित है। 1787 तक बांके बिहारीजी पुनः निधिवनराज में विराजित रहे,बांके बिहारी को बार-बार पर्दा करने की प्रथा सदियों से चली आ रही है।कहा जाता है कि भगवान बांके बिहारी को बार-बार पर्दा इसलिए किया जाता है कि अगर किसी भक्त की नजर उनसे मिल गई, तो वे उनके साथ चले जाएंगे,इसलिए कोई भी व्यक्ति उन्हें लगातार नहीं देख सकता, इसीलिए बांके बिहारी को बार-बार पर्दा किया जाता है।