प्रभु श्रीराम की गर्मी से बदल गई पोशाक और शृंगार,भोज में हुआ बदलाव,नया रूप देख श्रध्दालु हो रहे हैं भाव विभोर


प्रभु श्रीराम की गर्मी से बदल गई पोशाक और शृंगार,भोज में हुआ बदलाव,नया रूप देख श्रध्दालु हो रहे हैं भाव विभोर

धनंजय सिंह | 18 Apr 2025

 

अयोध्या।प्रभु श्रीराम का गर्मी की वजह से श्रृंगार बदल गया है,रेशमी वस्त्र,हल्के चांदी के आभूषण और मौसमी फल-भोग अब उन्हें अर्पित किए जा रहे हैं।वैदिक परंपरा का पालन करते हुए प्रभु श्रीराम को शीतलता प्रदान करने के लिए ये बदलाव किया गया है।श्रध्दालु प्रभु श्रीराम का नया रूप देखकर भाव विभोर हो रहे हैं।

बता दें कि रामनवमी पर्व पर मंदिर प्रशासन ने प्रभु श्रीराम के श्रंगार और भोग में कई बदलाव किया था।अब को गर्मी की वजह से प्रभु श्रीराम को रेशमी वस्त्र धारण कराए जा रहे हैं,ये हल्के,मुलायम और मौसम के अनुरूप हैं।साथ ही प्रभु श्रीराम को भारी स्वर्ण आभूषणों की जगह अब हल्के चांदी और रत्नजड़ित अलंकरण पहनाए जा रहे हैं।ये बदलाव केवल श्रृंगार तक सीमित नहीं बल्कि प्रभु श्रीराम के मुकुट,कुंडल,कंठहार और अंगवस्त्र सभी ग्रीष्म ऋतु के अनुसार बदले जा रहे हैं।

वैदिक परंपरा के अनुरूप हुआ बदलाव 

राम मंदिर के पुजारियों और श्रृंगार समिति के मुताबिक ये बदलाव विशुद्ध वैदिक परंपरा के अनुरूप है,इसमें प्रभु श्रीराम की सेवा प्रकृति और ऋतु के अनुरूप की जाती है।श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि गर्मियों में प्रभु श्रीराम को पूर्ण शीतलता मिले,इसके लिए विशेष खादी और रेशम के वस्त्रों का चयन किया गया है,ये शरीर को ठंडक प्रदान करते हैं।फूलों की मालाओं में अब गुलाब,बेला और चंपा जैसे शीतल प्रभाव वाले फूलों का उपयोग हो रहा है।

प्रभु श्रीराम के भोग में बदलाव

गर्मी को देखते हुए प्रभु श्रीराम के भोग में भी बदलाव हुआ है। ठंडक देने वाले मौसमी फलों,खीर,रबड़ी,मिश्री-पानी और गुलकंद आदि को शामिल किया जा रहा है, ताकि प्रभु श्रीराम की सेवा हर प्रकार से शुद्ध और सौम्य हो। प्रभु श्रीराम का यह ग्रीष्म श्रृंगार श्रध्दालुओं के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र बन गया है।इस नवीन रूप में प्रभु श्रीराम को देखकर श्रध्दालु भाव विभोर हो रहे हैं।

 श्रध्दालु हो रहे हैं भाव विभोर

श्रध्दालुओं को हर सुबह जब रेशमी पीले वस्त्रों में सजे प्रभु श्रीराम के दर्शन होते हैं,तो लगता है जैसे प्रभु स्वयं धरा पर अवतरित हो गए हों।इस श्रृंगार से सिर्फ प्रभु श्रीराम की सेवा नहीं, बल्कि श्रध्दालुओं की भावनाओं का भी सम्मान किया जा रहा है।यह पहल न केवल भक्ति की परंपरा को मजबूत करती है, बल्कि यह भी बताती है कि प्रभु श्रीराम सिर्फ मंदिर में नहीं, हर ऋतु और हर भाव में जीवित हैं।


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