लखनऊ।जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को गुरुवार को 10 दिन पूरा हो गया है। 22 अप्रैल को इस्लामी आतंकियों ने पहलगाम की बैसरन घाटी में पर्यटकों से धर्म पूछकर गोली मार दी थी। इस्लामी आतंकियों ने 25 पर्यटक और एक स्थानीय व्यक्ति की हत्या की थी।आतंकी हमले में कई ऐसे लोग भी मारे गए,जिनकी शादी के कुछ ही महीने बीते थे। पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में गम और गुस्सा है।देश आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है।भारत सरकार भी आतंकियों को ऐसा सबक सिखाने की प्लानिंग में जुटी है,जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की होगी। प्रधानी नरेन्द्र मोदी ने खुद कहा कि आतंकियों को ऐसी सजा मिलेगी, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी।
भारत पिछले लगभग चार दशक से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का दंश झेलता आ रहा है। पहलगाम आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है।ये आतंकी हमला न सिर्फ मानवता के विरुद्ध है,बल्कि यह देश की एकता, सामाजिक समरसता और आंतरिक सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चेतावनी उभरकर सामने आया है।
आतंकी हमले की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस्लामी आतंकियों ने ना किसी पर्यटक से उसकी जाति पूछी और ना ही क्षेत्र पूछा,पूछा तो केवल धर्म। इस्लामी आतंकियों ने पर्यटकों से उनकी पहचान पूछी और कथित तौर पर काफिर मानकर उन्हें निशाना बनाया। यह एक बार फिर उस कट्टरपंथी सोच को उजागर करता है, जो आतंकवाद को धार्मिक पहचान से जोड़कर अपनी नापाक साजिशों को अंजाम देती है।
ये कोई पहली घटना नहीं है।हाल के वर्षों में पंजाब,केरल, पश्चिम बंगाल और मेवात जैसे इलाकों में भी ऐसी घटनाएं देखी गईं।पुलवामा जैसे आतंकी हमलों की छाया आज भी देश की सामूहिक स्मृति में ताजा है।इन आतंकी हमलों का उद्देश्य स्पष्ट रहा है,भारत में अशांति फैलाना,सांप्रदायिक तनाव बढ़ाना और सरकार और लोगों के बीच अविश्वास पैदा करना।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने जिस तीव्रता से निर्णय लिए हैं,उससे यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार बैकफुट पर नहीं है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की आपात बैठक बुलाई गई, इस बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए।विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग में सरकार की आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ मंशा परिलक्षित हुई। खास बात ये है कि दुनियाभर के देशों ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की।भारत ने अटारी बॉर्डर पर चेक पोस्ट को अस्थायी रूप से बंद कर दिया,सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया,सिंधु जल संधि को समाप्त कर दिया गया,पाकिस्तानियों को दिए जाने वाले वीजा पर भी प्रतिबंध लगाया गया,भारत में पाकिस्तानी उच्चायोग के मामले में भी कुछ सीमाएं तय की गईं,पाकिस्तान से भारतीय दूतावास के कुछ स्टाफ को वापस बुला लिया गया।
सुरक्षा विशेषज्ञों को मानें तो ये कार्रवाई केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि रणनीतिक जवाब की ओर भी संकेत कर रही हैं। भारत सरकार पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के जरिए यह स्पष्ट कर चुकी है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति शून्य सहिष्णुता की है।अब जब सरकार ने प्रारंभिक कूटनीतिक प्रतिक्रियाएं दे दी हैं तो संभव है कि आने वाले दिनों में कोई कदम भी उठाया जाए।
पहलगाम आतंकी हमला सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं है, बल्कि भारत की एकता,सुरक्षा और संप्रभुता के खिलाफ एक संगठित साजिश है। ऐसे समय में जब कुछ शक्तियां देश में डर और अविश्वास का माहौल बनाना चाहती हैं,सरकार का यह दृढ़ और निर्णायक रुख यह दर्शाता है कि भारत झुकने वाला नहीं है।
ऐसे हालात में देश के लोगों को भरोसा है कि यह सरकार केवल प्रतिक्रिया नहीं देती, बल्कि परिणाम भी सुनिश्चित करती है। शायद यही कारण है कि आज फिर देश सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ठोस कदम की उम्मीद कर रहा है। एक ऐसा जवाब,जो न केवल हमले का बदला हो, बल्कि देश की सुरक्षा का भविष्य भी सुनिश्चित करे।वैसे भी आम आदमी की मानें तो मोदी है तो मुमकिन है।