भारत किसी दूसरे देश को क्यों नहीं बेच सकता है ब्रह्मोस मिसाइल,जानें क्या है वजह


भारत किसी दूसरे देश को क्यों नहीं बेच सकता है ब्रह्मोस मिसाइल,जानें क्या है वजह

मनोज बिसारिया | 23 May 2025

 

नई दिल्ली।भारत और पाकिस्तान के बीच बीते दिनों हुए सैन्य संघर्ष में विश्व ने भारत के रक्षा उत्पादों की जबरदस्त ताकत देखी।भारत ने पाकिस्तान पर 15 ब्रह्मोस मिसाइल दागीं। ब्रह्मोस ने पाकिस्तान के 11 एयरबेसों को तबाह कर दिया था। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस ने तबाही के कारनामे ने दुनिया को दिखा दिया है कि भारत अब विदेशी रक्षा उत्पादों पर ही निर्भर नहीं है,बल्कि वह देश में बने हथियारों से भी दुश्मन को धूल चटा सकता है।

ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है,इसका निशाना भी एकदम सटीक है। दावा किया जाता है कि ब्रह्मोस अपने निर्धारित लक्ष्य के एक मीटर के घेरे में जाकर हिट करती है,जो इसे अचूक बनाता है। ब्रह्मोस की सफलता के बाद विश्व के कई देश इस मिसाइल को खरीदने की डिमांड हो रही है।कई मुस्लिम देशों ने भी ब्रह्मोस में अपनी रुचि दिखाई है।ऐसे में आइए जानें भारत ब्रह्मोस मिसाइल को किसी दूसरे देश को बेच सकता है या नहीं। इसके लिए किसकी अनुमति जरूरी होती है।

फिलीपींस से हुआ था सबसे पहला सौदा

भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने वाला सबसे पहला फिलीपींस था।फिलीपींस ने 2022 में ब्रह्मोस एरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ 37.4 करोड़ डॉलर का सौदा किया था। भारत ने बीते माह अप्रैल में इस मिसाइल की दूसरी खेप फिलीपींस को डिलीवर की थी,इसके बाद भारत और वियतनाम के बीच भी ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर डील हुई थी। 

इन देशों से भी आ रही डिमांड

भारत और इंडोनेशिया के बीच बातचीत चल रही है और जल्द ही ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर डील फाइनल भी हो सकती है। इसके अलावा वियतनाम भी अपने सेना और नौसेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की योजना बना रहा हैं।इन देशों के अलावा थाईलैंड,सिंगापुर,ब्रुनेई,ब्राजील,चिली,अर्जेंटीना, वेनेजुएला,मिस्र,सऊदी अरब,संयुक्त अरब अमीरात,कतर और ओमान जैसे देशों ने भी इसमें रुचि दिखाई है।

भारत को चाहिए होती है इस देश की अनुमति

ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस का ज्वाइंट वेंचर है।इस डील के तहत भारत में ब्रह्मोस एयरोस्पेस की स्थापना की गई थी, जो इस मिसाइल को बनाने का काम देखती है।एक्सपर्ट की मानें तो ब्रह्मोस मिसाइल की तकनीक में 50-50 फीसदी भारत और रूस की साझेदारी है।ऐसे में भारत अगर किसी देश को यह मिसाइल बेचना चाहता है तो उसे रूस से इस पर सहमति लेनी जरूरी होती है।


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