बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अचानक क्यों बदला विदेश सचिव,यूनुस की कुर्सी कमजोर होने लगी है
मनोज बिसारिया | 23 May 2025
नई दिल्ली।शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में शासन संभाल रही अंतरिम सरकार के साथ सब चंगा सा नहीं है।एक तरफ अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेश के विदेश सचिव जशीम उद्दीन को उनके पद से हटा दिया गया है।देश की अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर रहे मोहम्मद यूनुस और विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन के साथ उनका तालमेल नहीं बैठ रहा था और अब उनको पद से हटा दिया गया है।
बांग्लादेश विदेश मंत्रालय कार्यालय के आदेश में कहा गया है कि एक निर्णय लिया गया है कि अगले आदेश तक विदेश सचिव जाशिम उद्दीन के जिम्मेदारियों से हटने के बाद विदेश सचिव के नियमित कार्यों का निर्वहन एम रुहुल आलम सिद्दीकी करेंगे।विदेश मंत्रालय के महानिदेशक द्वारा हस्ताक्षरित संक्षिप्त आदेश में कहा गया है कि यह 23 मई से प्रभावी होगा और इसे सार्वजनिक हित में जारी किया गया था।
इस बीच देश के प्रमुख बंगाली दैनिक प्रोथोम अलो की रिपोर्ट में कहा गया है कि सचिव (पूर्व) नजरुल इस्लाम ने विदेश सलाहकार हुसैन के मौखिक निर्देशों पर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली हैं। विशेष रूप से नजरुल इस्लाम ने 15 मई को टोक्यो में जापान के साथ विदेश सचिव-स्तरीय बैठक में बांग्लादेश के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था।यह पांच दशक में पहली बार था जब बांग्लादेश के विदेश सचिव के अलावा किसी और ने इस तरह की बैठक का नेतृत्व किया।
सूत्रों ने बताया कि पिछले 12 दिनों में जशीम उद्दीन मंत्रालय का प्रतिनिधित्व करने वाले सचिव रैंक के दो अन्य अधिकारियों के साथ किसी भी अंतर-मंत्रालयी बैठक में मौजूद नहीं रहे हैं।सूत्रों ने पुष्टि की है कि विदेश नीति प्राथमिकताओं,खासकर रोहिंग्या संकट और राखीन कॉरिडोर के संबंध में प्रमुख नीति निर्माताओं के साथ जशीम उद्दीन के मतभेद थे।जशीम उद्दीन ने मानवीय गलियारे और रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए सुरक्षित क्षेत्र की पहलों का विरोध किया था,जिसे यूनुस और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) खलीलुर रहमान ने आगे बढ़ाया था और संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसका समर्थन किया जा रहा था।
उनके विचार सैन्य नेतृत्व के साथ मेल खाते हैं, जिन्हें डर है कि मानवीय गलियारा बिना किसी रणनीतिक लाभ के बांग्लादेश की संप्रभुता से समझौता साबित हो सकता है।साथ ही नॉन-स्टेट एक्सटर्नल एक्टर्स संवेदनशील सीमा क्षेत्रों में घुसपैठ कर सकते हैं और मानवीय गलियारे में प्रत्यावर्तन की बजाय शरणार्थियों की आमद देखी जा सकती है।
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