पहलगाम आतंकी हमले के बाद से शिकारों-हाउसबोटों में पसरा है सन्नाटा,पर्यटक नदारद


पहलगाम आतंकी हमले के बाद से शिकारों-हाउसबोटों में पसरा है सन्नाटा,पर्यटक नदारद

मनोज बिसारिया | 25 May 2025

 

श्रीनगर।जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला एक महीना हो चुका है। पहलगाम में आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को 26 पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।इसका प्रभाव अभी भी जम्मू-कश्मीर में दिख रहा है।श्रीनगर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर सन्नाटा पसरा हुआ है।डल झील पर हाउसबोट और शिकारे खाली पड़े हैं।

हाल के वर्षों में फेमस सेल्फी प्वाइंट बन चुका श्रीनगर का लाल चौक जैसा इलाका भी सुनसान पड़ा है,सड़कों पर पर्यटकों के वाहनों का आना-जाना भी काफी कम है।जम्मू-कश्मीर का सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल डल झील है।गर्मियों के मौसम में यहां पूरे देश के लोग घूमने के लिए आते हैं। बरहाल अभी यहां होटल,रेस्तरां,दुकानें और हाउसबोट सभी खाली हैं।डल झील के सामने वाली सड़क पर कार-टैक्सी का जाम लगा रहता था,लेकिन आज यह सड़क सूनी पड़ी है,ऐसा लगता है कर्फ्यू लगा है।

शिकारा चलाने वाले बिलाल का कहना है कि पिछले 24 दिन से उनका शिकारा झील के किनारे जस का तस खड़ा है, जबकि पिछले सीजन में तीन शिफ्ट में अलग-अलग लोग शिकारा चला रहे थे।श्रीनगर के टूर ऑपरेटर और टैक्सी कंपनी चलाने वाले शौकत मीर का कहना है कि पहलगाम की वारदात इंसानियत पर हमला था।जम्मू-कश्मीर में टूरिस्टों पर कभी ऐसा हमला नहीं हुआ था।

मीर के मुताबिक इस हमले ने पूरे देश और दुनिया में इंसानियत को शर्मसार कर दिया है,इस हमले में मासूम लोग मारे गए,वहीं लाखों कश्मीरियों का रोजगार भी छीन गया है,हम कई महीने पहले से सीजन के लिए तैयारी करते हैं,लेकिन अब आमदनी बंद होने से टैक्सियों की किस्त तक भरना मुश्किल हो गया है,ऑफिस व दुकानों का किराया भरने तक की आमदनी नहीं हो रही है।टूरिस्ट न होने के कारण कई लोगों ने तो अपनी दुकानें,रेस्टोरेंट,स्टोर और होटल अस्थायी रूप से बंद कर दिए हैं।

डल झील के दूसरे किनारे पर कश्मीरी केसर और ड्राई फूड्स का बड़ा स्टोर चला रहे अली का भी कुछ यही हाल है।अली के मुताबिक पहले इस सीजन में दुकान में इतनी भीड़ होती थी कि उन्हें 15 अतिरिक्त लोगों को काम पर रखना पड़ता था, लेकिन अब दुकान बिलकुल खाली पड़ी है।कई दिन से कुछ नहीं बिका।

श्रीनगर के लाल चौक पर भी सन्नटा है। लालचौक पर हर दिन सैकड़ों पर्यटक सेल्फी लेने और घूमने आते थे।फोटो और वीडियो बनाने वालों की भीड़ रहती थी। इन्हीं पर्यटकों से यहां के बाजारों में रौनक रहती थी।

कश्मीरी काहवा बेचने वाले सलामत का कहना है कि उन्होंने लाल चौक पर ऐसा सन्नाटा आज से पहले कोविड के दौरान देखा था।सुरक्षा की बात करें तो पूरे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था काफी पुख्ता नजर आती है।पुलिस के साथ-साथ सेना के जवान भी तैनात हैं।एयरपोर्ट,बस अड्डे,रेलवे स्टेशनों व संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा जांच की जा रही है।

बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में मौजूद आतंकवादी कैंपों को तबाह कर दिया था। इसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए।भारतीय सेना ने केवल आतंकी ठिकानों को अपना निशाना बनाया था,लेकिन पाकिस्तानी सेना ने पलटवार करते हुए भारत में सैन्य और नागरिक क्षेत्रों पर ड्रोन हमले किए।पाकिस्तान ने भारत के विभिन्न इलाकों में 300 से 400 ड्रोन भेजे,हालांकि आमने-सामने की इस लड़ाई में पाकिस्तान भारतीय सेना से बुरी तरह पिछड़ गया।भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के ड्रोन मार गिराए। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी चौकियों को तबाह कर दिया।इस पराजय के बाद पाकिस्तान ने सीमा पर फायरिंग और गोलाबारी न करने की बात कही और संघर्ष विराम का प्रस्ताव दिया।


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