यूपी के इस जिले में है अयातुल्लाह खुमैनी के पूर्वजों का गांव,एक बार फिर चर्चा में गांव


यूपी के इस जिले में है अयातुल्लाह खुमैनी के पूर्वजों का गांव,एक बार फिर चर्चा में गांव

धनंजय सिंह | 20 Jun 2025

 

बाराबंकी।ईरान और इजरायल के बीच जारी जंग और बढ़ते तनाव के बीच भारत का एक छोटा सा गांव वैश्विक चर्चा में आ गया है।उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले का किन्तूर गांव में कभी अयातोल्ला रूहोल्लाह खुमैनी के पूर्वज रहा करते थे,जो किंतूर से इराक होते हुए ईरान लौट गए थे‌।खुमैनी के दादा अहमद हुसैन मुसावी हिंदी का जन्म 1830 में किंतूर गांव में हुआ था,वे धार्मिक शिक्षा के लिए ईरान गए और वहीं बस गए,उनके नाम में हिंदी जोड़ना इस बात का प्रमाण है कि उनका दिल भारत से जुड़ा रहा।आज भी किन्तूर के महल मोहल्ला में खुमैनी के वंशज रहते हैं।

किंतूर गांव के निहाल काज़मी, डॉ. रेहान काजमी और आदिल काजमी बताते हैं कि वे खुमैनी के परिवार से हैं, उनके घरों की दीवारों पर खुमैनी की तस्वीरें आज भी सजी हैं।आदिल काजमी कहते हैं कि जब वो ईरान गए थे और खुद को किन्तूर का निवासी बताया तो लोगों ने उन्हें सम्मान दिया।

ईरान-इजरायल जंग को लेकर डॉ. रेहान काजमी ने कहा कि वो किसी भी युद्ध के पक्ष में नहीं हैं। खुमैनी की विचारधारा इंसाफ और अमन की थी।आदिल काजमी ने स्पष्ट किया कि मौजूदा सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खमेनेई का किन्तूर से कोई संबंध नहीं है, वो केवल खुमैनी के शिष्य और उत्तराधिकारी हैं।

डॉक्टर सैयद मोहम्मद रेहान काजमी ने बताया कि अभी भी हमारे काफी रिश्तेदार ईरान में हैं।हमारे चाचा नेहाल काजमी तो दाे-तीन वर्ष पहले ही ईरान से लौटे हैं,भाई आबिद अभी ईरान में ही हैं।गांव में शांति के लिए दुआएं की जा रही है।

बता दें 1979 की ईरानी क्रांति एक महत्वपूर्ण घटना थी,जिसने ईरान के इतिहास को बदल दिया‌ इस क्रांति ने शाह मोहम्मद रजा पहलवी के शासन का अंत कर दिया और अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी के नेतृत्व में एक इस्लामी गणराज्य की स्थापना की।


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