यूपी में दलित वोटरों को लुभाने के लिए भाजपा की न‌ई रणनीति,अखिलेश के पीडीए की निकाली काट:धनंजय सिंह 


यूपी में दलित वोटरों को लुभाने के लिए भाजपा की न‌ई रणनीति,अखिलेश के पीडीए की निकाली काट:धनंजय सिंह 

धनंजय सिंह | 23 Jun 2025

 

लखनऊ।उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा चुनाव होगा। विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भारतीय जनता पार्टी ने दलित वोटरों को लुभाने के लिए नई रणनीति बनाई है। भाजपा ने यूपी में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की(पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) पीडीए राजनीति की भी काट ढूंढ़ना चाहती है। भाजपा की इस रणनीति के केंद्र में बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर हैं,जिनके नाम और विचारों के सहारे भाजपा दलित वोटरों का विश्वास जीतने का प्रयास कर रही है।इसी कड़ी में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर राजधानी लखनऊ में आंबेडकर पार्क में भाजपा ने एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया।इस कार्यक्रम में दलित समुदाय के लगभग 5 हजार लोगों को योग के लिए आमंत्रित किया गया।

सभी प्रतिभागियों को पार्टी की ओर से सफेद टी-शर्ट दी गई,इन पर किसी भाजपा नेता की तस्वीर नहीं, बल्कि बाबासाहेब आंबेडकर की तस्वीर छपी थी।लखनऊ में लगी होर्डिंग्स में भी आधे से अधिक पर बाबा साहब की तस्वीरें नजर आईं,जो भाजपा की इस रणनीति को और स्पष्ट करती हैं।भाजपा ने 2027 विधानसभा चुनाव को देखते हुए दलित वोटरों को लुभाने के लिए बाबा साहब आंबेडकर के नाम पर कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू की है।योग दिवस पर आंबेडकर पार्क में बड़ा आयोजन कर पार्टी ने नई रणनीति का संकेत दिया।पिछले दो महीनों में भाजपा ने लखनऊ में आंबेडकर के नाम पर कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं।इनमें आंबेडकर मैराथन और कई विचार गोष्ठियां शामिल हैं।इन आयोजनों का नेतृत्व रक्षा मंत्री और लखनऊ सांसद राजनाथ सिंह के बेटे नीरज सिंह कर रहे हैं।

2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 8.50 प्रतिशत गिरा है,जिससे भाजपा को यूपी में 26 लोकसभा सीटों का नुकसान हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 49.98 प्रतिशत वोट मिला था,जो 2024 में घटकर 41.37 प्रतिशत रह गया।इसकी बड़ी वजह दलित वोटों का खिसकना माना गया। एक सर्वे के मुताबिक 2024 के चुनाव में इंडिया ब्लॉक को गैर-जाटव दलितों के 56 प्रतिशत और जाटव दलितों के 25 प्रतिशत वोट मिले,जबकि 2019 में भाजपा को लगभग 50 प्रतिशत दलित वोट मिला था।यूपी में 21 प्रतिशत दलित मतदाता हैं,जो किसी भी पार्टी की जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का संविधान बदला जाएगा नारे ने दलित मतदाताओं को प्रभावित किया और भाजपा को भारी नुकसान हुआ।दूसरी ओर यूपी में दलितों की प्रमुख नेता मानी जाने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती का प्रभाव कमजोर हुआ है।भाजपा इसी का फायदा उठाकर बाबा साहब के नाम और उनके विचारों के सहारे दलित वोटरों को अपनी ओर करने की कोशिश में है।

सपा मुखिया अखिलेश यादव अपने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले के सहारे 2027 में यूपी की सत्ता में वापसी करने कोशिश में हैं।दूसरी ओर भाजपा ने दलित वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए आंबेडकर के नाम पर कार्यक्रमों की शुरुआत की है। भाजपा का यह कदम न केवल दलित वोटरों को आकर्षित करने की रणनीति है, बल्कि विपक्ष के संविधान से जुड़े दुष्प्रचार का जवाब देने का भी प्रयास है। अब यूपी में दलित वोटरों की निर्णायक भूमिका को देखते हुए भाजपा की यह रणनीति 2027 के विधानसभा चुनाव में कितना असर दिखाएगी यह देखना दिलचस्प होगा।


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