लखनऊ।उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा चुनाव होना है, लेकिन अभी समाजवादी पार्टी ने चुनाव की तैयारी तेज कर दी है।सपा की नजर यूपी की उन सीटों पर है,जिस पर उसकी पकड़ कमजोर है।सपा ऐसी एक-एक सीट पर पार्टी के संगठन और उन तमाम वजहों की समीक्षा करने में जुटी है जो हार का कारण बन सकती है।इन सभी सीटों के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है,जो चुनाव की तैयारियों को लेकर समीक्षा करेंगे और अपनी रिपोर्ट सपा मुखिया अखिलेश यादव को देंगे।
ये पहली बार है जब सपा ने इस तरह की कवायद शुरू की है। 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए सपा की नजर खासतौर पर उन 108 सीटों पर है जहां पिछले तीन बार से लगातार हार का सामना करती आ रही है।इसमें मध्य यूपी की इलाहाबाद पश्चिम,लखनऊ कैंटोनमेंट सीट है।पूर्वी यूपी की बासी और देवरिया,पश्चिमी यूपी में नोएडा और गंगोह, ब्रज क्षेत्र में आगरा केंटोनमेंट और एत्मादपुर जैसी सीटें हैं।
इसके अलावा सपा उन सीटों पर भी सही स्थिति परखने में लगी है,जहां सहयोगी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इनमें से एक पर्यवेक्षक दल पश्चिमी यूपी की शामली सीट पर भी भेजा गया है।इस सीट पर सपा ने 2022 में जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी हालांकि 2017 में और 2012 में सपा को यहां हार का सामना करना पड़ा था,वहीं फिरोजाबाद की दो और बदायूं की एक सीट भी ऐसी है जहां सपा कमजोर हैं।
सपा के पर्यवेक्षकों की टीम ने इन कमजोर सीटों पर पिछले एक पखवाड़े में दो-दो बार दौरा किया है,जिसमें उन्होंने यहां के जिलाध्यक्षों,जिला ईकाई समेत तमाम पदाधिकारियों के साथ बैठक की।इसके साथ ही उन्होंने विभिन्न जातियों और समुदायों के प्रभावशाली लोगों के साथ भी अलग-अलग बैठकें की हैं।सूत्रों के मुताबिक सपा ने पूर्व विधायकों को पर्यवेक्षकों की टीम में शामिल किया है,किसी तरह के पक्षपात से बचने के लिए ऐसे नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है जो बाहर के हैं।
सपा के पर्यवेक्षकों की टीम इन सीटों पर जाकर उन कारणों की समीक्षा करेगी,जिससे पार्टी को नुक़सान हो सकता है।यहां पर पीडीए की रणनीति के तहत भी पार्टी को जमीनी स्तर पर मज़बूत करने का काम किया जाएगा।
बता दें कि लोकसभा चुनाव में सपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है,ऐसे में सपा यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर एक-एक कदम पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ा रही है।सपा गलती की ऐसी कोई जगह नहीं छोड़ना चाहती है,जिसकी वजह से चुनाव में पार्टी को खामियाजा उठाना पड़ सकता है।