पीएम मोदी के लिए स्पेशल डिनर कार्यक्रम से भन्नाए शी जिनपिंग,ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में नहीं होंगे शामिल 


पीएम मोदी के लिए स्पेशल डिनर कार्यक्रम से भन्नाए शी जिनपिंग,ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में नहीं होंगे शामिल 

संध्या त्रिपाठी | 26 Jun 2025

 

नई दिल्ली।अगले महीने 6-7 जुलाई को ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन होगा। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हो सकते हैं।इसको लेकर ब्राजील के राष्ट्रपति लूला द सिल्वा परेशान हैं।साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की शिड्यूल से परेशानी हैं और इसलिए वो इसमें शामिल नहीं हो सकते हैं।शी जिनपिंग की जगह प्रधानमंत्री ली कियांग अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ इसमें शामिल होंगे,लेकिन परदे के पीछे से आ रही रिपोर्ट्स में कहा गया है कि शी जिनपिंग भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए रखी गई डिनर पार्टी से बहुत खफा हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्राजील के राष्ट्रपति लूला द सिल्वा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्मेलन के बाद विशेष स्टेट डिनर के लिए आमंत्रित किया है,जिससे बीजिंग काफी असहज हो गया है। कहा जा रहा है कि चीन को आशंका है कि यदि शी जिनपिंग सम्मेलन में शामिल होते हैं, तो ब्राजील और भारत के नेताओं की आपसी मुलाकात इस मंच से महफिल लूट लेगी और शी जिनपिंग की भूमिका सिर्फ साइड एक्टर की तरह दिखाई देगी,जो विदेशों में बनाई गई उनकी सशक्त नेता की छवि को धूमिल कर सकती है।

ब्राजील के अधिकारियों ने SCMP को बताया है कि राष्ट्रपति लूला ने मई 2025 में चीन की यात्रा भी विशेष रूप से इसलिए की थी, ताकि शी जिनपिंग को ब्रिक्स सम्मेलन में आमंत्रित किया जा सके।लूला ने इसे गुडविल जेस्चर बताते हुए उम्मीद जताई थी कि शी जिनपिंग ब्राजील दौरे को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे।ब्राजील के विशेष विदेश नीति सलाहकार सेल्सो अमोरीम ने भी चीनी विदेश मंत्री वांग यी के सामने इस मुद्दे को उठाया भी था।फिर भी शी जिनपिंग ने ब्रिक्स में शामिल नहीं होने का फैसला किया है।दूसरी तरफ चीनी अधिकारियों का कहना है कि शिखर सम्मेलन में शी जिनपिंग की अनुपस्थिति की अटकलों का एक और कारण यह है कि लूला और शी जिनपिंग एक साल से भी कम समय में दो बार मिल चुके हैं।दोनों की पहली मुलाकात जी-20 शिखर सम्मेलन में पिछले साल नवंबर में ब्रासीलिया की राजकीय यात्रा के दौरान और फिर मई में बीजिंग में चीन-सेलाक फोरम के दौरान हो चुकी है।

बुधवार को मीडिया ब्रीफिंग के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने जिनपिंग के फैसले के बारे में रिपोर्ट्स पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में चीन की गैरमौजूदगी के बारे में सही समय पर जानकारी मुहैया कराई जाएगी।चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन ब्रिक्स में ब्राजील की अध्यक्षता का समर्थन करता है।

चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि बीजिंग अपने सदस्यों के बीच गहन सहयोग को बढ़ावा देना चाहता है।चीनी अधिकारियों ने कहा है कि एक अस्थिर और अशांत दुनिया में ब्रिक्स राष्ट्र अपने रणनीतिक संकल्प को बनाए रखते हैं और वैश्विक शांति,स्थिरता और विकास के लिए मिलकर काम करते हैं,लेकिन चीन की ये दलील पल्ले नहीं पड़ रही है। क्योंकि द्विपक्षीय मुलाकात अलग है और ब्रिक्स एक मल्टीफोरम प्लेटफॉर्म है। साल 2008 में ब्रिक्स का पहला शिखर सम्मेलन ब्राजील में ही हुआ था, उस समय चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ चीन में आए विनाशक भूकंप के बावजूद शामिल हुए थे।हू जिंताओ भले ही एक ही दिन रहे फिर भी वो शामिल हुए थे।

विदेश मामलों के एक्सपर्ट्स का मानना है कि शी जिनपिंग अगर ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल नहीं होते हैं तो इससे ब्राजील-चीन रिश्तों को झटका लगेगा और चीन की उन कोशिशों को भी झटका लगेगा,जिसमें चीन खुद को ब्रिक्स में नेतृत्वकारी भूमिका में दिखाना चाहता है।

बता दें कि ब्रिक्स एक प्रमुख मल्टीफोरम मंच है,इसमें विश्व की पांच बड़ी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं वाले देश ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इसकी शुरुआत 2009 में हुई थी और इसका मकसद वैश्विक शासन,व्यापार, जलवायु परिवर्तन,तकनीकी सहयोग और दक्षिण सहयोग जैसे मुद्दों पर साझा रुख अपनाना रहा है।ब्रिक्स को अक्सर पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाले G7 या NATO जैसे मंचों के जवाब के रूप में देखा जाता है,जहां विकासशील देश अपनी आवाज और हितों को मजबूती से पेश करते हैं। भारत और चीन जैसे के शामिल होने से यह मंच वैश्विक संतुलन के लिए एक शक्तिशाली उपकरण बन गया है।

बताते चलें कि ब्रिक्स ने हाल के वर्षों में ब्रिक्स बैंक कारोबार में डॉलर के अलावा स्पेशल करेंसी बनाने और वैश्विक निवेश के साझा मंच विकसित किए हैं। साथ ही यह मंच सदस्य देशों के बीच सांस्कृतिक, रक्षा, साइबर और वैज्ञानिक सहयोग को भी बढ़ावा देता है। इस सम्मेलन में अगर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति लूला के बीच द्विपक्षीय वार्ता और स्टेट डिनर होता है, तो यह न सिर्फ भारत-ब्राजील संबंधों को मजबूती देगा, बल्कि भारत को लैटिन अमेरिकी राजनीति में भी एक ठोस मौजूदगी का संकेत होगा,जिससे यह बीजिंग के लिए एक असहज स्थिति बनाता है, क्योंकि चीन लातिन अमेरिका में खुद को एकमात्र लीडर के तौर पर पेश करने की कोशिश करता है।


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