लखनऊ।उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने गुरुवार को राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।इस मौके पर मायावती ने दलित-पिछड़ा वर्ग के अधिकारों और आरक्षण व्यवस्था पर हो रहे षड्यंत्र को लेकर गहरी चिंता जताई है। मायावती ने समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए यूपी में आरक्षण विरोधी नीतियों का आरोप लगाया और मेडिकल यूनिवर्सिटी का नाम बदलने पर नाराज़गी जाहिर की।
पूर्व सीएम मायावती ने गुरुवार को एक्स पर पोस्ट कर कहा कि कोल्हापुर के राजर्षि शाहूजी महाराज ने देश में सबसे पहले दलितों को नौकरी में आरक्षण देकर सामाजिक न्याय की क्रांति की थी।राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज को आरक्षण के जनक बताते हुए मायावती ने कहा कि आज के दौर में जब संविधान प्रदत्त आरक्षण प्रणाली को निष्क्रिय और निष्प्रभावी बनाया जा रहा है। ऐसे में उनकी स्मृति को सहेजना और उनके आदर्शों पर चलना बेहद जरूरी हो गया है।
मायावती ने दावा किया कि उनकी सरकारों में यूपी में शाहूजी महाराज की स्मृति को जीवित रखने के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए थे।इनमें उनके नाम पर ज़िला और शिक्षण संस्थान बनाना,प्रतिमाएं स्थापित करना और राजधानी लखनऊ में छत्रपति शाहूजी महाराज मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना शामिल है।
मायावती ने आरोप लगाया कि सपा सरकार ने सत्ता में आते ही यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर उसे किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी कर दिया,जबकि इसी नाम से पहले से एक कॉलेज मौजूद था।मायावती ने इसे घोर जातिवादी और द्वेषपूर्ण रवैया बताते हुए सपा की आलोचना की।
मायावती ने भाजपा सरकार पर हमला बोला। मायावती ने कहा कि सपा के इस गलत फैसले को सुधारने में भाजपा ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। मायावती ने मांग की कि लखनऊ की मेडिकल यूनिवर्सिटी को उसका असली नाम वापस दिया जाए।
मायावती ने कहा कि ऐसे समय में जब जाति के आधार पर सदियों से तोड़े और पछाड़े गए खासकर दलितों,आदिवासियों एवं अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण से वंचित करने की साजिशें चल रही हैं।
मायावती ने कहा कि ऐसे समय में राजर्षि शाहूजी महाराज जैसे महापुरुषों को याद करना और उनके विचारों को आगे बढ़ाना जनहित में अत्यंत महत्वपूर्ण है। मायावती ने बसपा को बहुजनों की एकमात्र सशक्त राजनीतिक आवाज बताया। मायावती ने कहा कि बहुजन समाज के लोगों को फिर से सत्ता तक पहुंचाकर ही दलितों और पिछड़ों के अधिकारों की रक्षा की जा सकती है।