नई दिल्ली।राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की गलियों में हर कोई आसमान की ओर देख रहा है।घने बादल,तेज हवाएं,मौसम विभाग के अलर्ट की गूंज,लेकिन बारिश की एक भी बूंद नहीं। दिल्ली के लोग उमस के इस चैंबर में फंसे हुए हैं,पसीना और परेशानी दोनों अपने चरम पर है।मानसून राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से रूठ गया है।
बादल तो हैं,पर बारिश कहां
पिछले तीन दिनों से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आसमान में काले घने बादल मंडरा रहे हैं।हरियाणा,उत्तर प्रदेश और राजस्थान में झमाझम बारिश हो रही है,लेकिन दिल्ली सूखे का दंश झेल रही है।मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक दिल्ली के ठीक ऊपर बादलों का वो जादू जो बारिश बनाता है वो कमजोर पड़ रहा है।इसकी वजह है दिल्ली की भौगोलिक स्थिति और हवाओं का खेल।दिल्ली एक लैंडलॉक्ड है,इसके ऊपर चक्रवाती हवाएं (साइक्लोनिक सर्कुलेशन) उत्तर-पश्चिम से आ रही हैं,जो बारिश को दबा रही हैं।बादल तो बन रहे हैं,लेकिन वे बरसने की बजाय बस मंडराने का मूड बना रहे हैं।
मानसून की देरी,असली विलेन कौन
मौसम विभाग ने 24 जून तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मानसून की दस्तक की भविष्यवाणी की थी,लेकिन मौसम विभाग का ये अनुमान गलत साबित हुआ।अब एक्सपर्ट्स का कहना है कि मानसून 27 जून तक दिल्ली पहुंच सकता है।दिल्ली में देरी से मानसून पहुंचने के पीछे जलवायु परिवर्तन और वैश्विक मौसमी पैटर्न का असर है।ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती मात्रा और मानवजनित एरोसोल में कमी ने मौसम के चक्र को थोड़ा खिसका दिया है।ग्लोबल वार्मिंग के कारण वायुमंडल की नमी धारण करने की क्षमता बढ़ी है,जिससे चरम मौसमी घटनाएं तो बढ़ रही हैं,लेकिन दिल्ली जैसे कुछ क्षेत्रों में मानसून की प्रगति धीमी हो रही है।
पसीना छुड़ा रही दिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इन दिनों फील्स लाइक तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है।इसकी वजह है उच्च नमी का स्तर, जो 700 hPa दबाव स्तर पर 60 फीसदी से अधिक है।बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से नमी तो आ रही है,लेकिन बारिश नहीं होने से यह नमी हवा में अटकी रहती है,इस वजह से उमस बढ़ रही है।उमस दिल्ली को एक चिपचिपे,गर्म चैंबर में तब्दील कर रही है, जहां पंखे भी बेअसर साबित हो रहे हैं।
जानें मानसून का वैज्ञानिक गणित
मौसम विभाग मानसून की घोषणा के लिए कुछ खास मापदंडों पर नजर रखता है।दिल्ली जैसे प्रमुख मौसम स्टेशनों (सफदरजंग और पालम) पर लगातार दो दिन 2.5 मिमी से अधिक बारिश होनी चाहिए। साथ ही निचले वायुमंडल में 15-20 नॉट की गति से पूर्वी या दक्षिण-पश्चिमी हवाएं चलनी चाहिए,लेकिन दिल्ली में अभी ये शर्तें पूरी नहीं हो रही हैं। मानसून ट्रफ,जो बारिश का मुख्य इंजन है,दिल्ली के आसपास से गुजर तो रहा है, लेकिन इसकी गति और दिशा में स्थिरता की कमी है।
जलवायु परिवर्तन का छुपा हाथ
एक्सपर्ट्स का मानना है कि जलवायु परिवर्तन मानसून के पैटर्न को और जटिल बना रहा है।समुद्री सतह का बढ़ता तापमान नमी वाली हवाओं को तो सक्रिय कर रहा है,लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर बारिश का वितरण असमान हो रहा है। दिल्ली-एनसीआर में प्री-मानसून बारिश ने मई में 125 साल का रिकॉर्ड तोड़ा, लेकिन अब मानसून की बारी आने पर यह असमानता साफ दिख रही है।
कब बरसेंगे बदरा
मौसम विभाग के ताजा अपडेट के मुताबिक अगले 36 घंटों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मानसून की प्रगति के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो रही हैं। 27 जून तक हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है, जो उमस से कुछ राहत दे सकती है,लेकिन भारी बारिश के लिए दिल्ली के लोगों को अभी थोड़ा और इंतज़ार करना पड़ सकता है।