37 करोड़ हुए खर्च,9 करोड़ लीटर छोड़ा पानी,फिर भी वेलकम झील सूखी,नशेड़ियों का बनी उड्डा


37 करोड़ हुए खर्च,9 करोड़ लीटर छोड़ा पानी,फिर भी वेलकम झील सूखी,नशेड़ियों का बनी उड्डा

संध्या त्रिपाठी | 05 Jul 2025

 

नई दिल्ली।सौंदर्यीकरण के बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली इलाके में स्थित वेलकम झील अब घास का मैदान बन गई है।झील में एक बूंद पानी नहीं है,झील परिसर बदरंग दिखाई देने लगा है। हैरानी वाली बात है कि 2018 से 2022 तक इस झील के सौदर्यीकरण पर लगभग 37 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इसके बावजूद झील उपेक्षित नजर आ रही है। 

वेलकम झील के पुनरुद्धार के बाद इसमें लगभग साढ़े नौ करोड़ लीटर पानी भी छोड़ा गया था,लेकिन झील में दूर-दूर तक सूखा मैदान ही नजर आ रहा है। 33 एकड़ में फैले झील परिसर में पर्यटन स्थल,समारोह स्थल और पार्क बनाया जाना था।बच्चों के लिए खेल का मैदान,बुजुर्गों के लिए बैठने का स्थान,फुटपाथ,स्ट्रीट लाइटें,लाइट एंड साउंड शो,लेजर शो, कैफेटेरिया,बैंड स्टैंड,एम्फी थियेटर,मैडिटेशन गार्डन,बोटिंग और फाउंटेन जैसी चीजें भी बनाई जानी थीं,लेकिन करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद सिविक एजेंसियों की अनदेखी की वजह से झील की पुरानी रौनक नहीं लौटी।

सौंदर्यीकरण के बाद झील परिसर के प्रवेश द्वार पर झुग्गियां बन गई हैं।झील के पास लोगों के लिए बनाया गया सामूहिक बैठक स्थल बड़ी-बड़ी घास में दब गया है,झील के पास बना फाउंटेन अब सिर्फ गड्ढा बनकर रह गया है। फाउंटेन में न तो फव्वारा है और न ही पानी। 

स्थानीय लोगों का कहना है कि परिसर में बच्चों के लिए खेल का मैदान बनाया गया था,जिसमें बच्चों के लिए कुछ झूले लगाए गए थे।इससे सुबह-शाम बच्चे मैदान में खेल सकें।ऐसे में मैदान में सुबह-शाम बच्चे क्रिकेट खेलते थे,लेकिन बच्चों की संख्या अधिक होने से नगर निगम ने मैदान में गड्ढे खुदवा दिए। इससे मैदान में बच्चे आना बंद हो गए। अब मैदान के पास दिन-रात सिर्फ असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। 

स्थानीय लोगों का कहना है कि झील के चारों तरफ लोगों के टहलने के लिए बनाया गया पैदल पथ जर्जर अवस्था में हैं, पथ पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं,जिससे लोगों को आने-जाने में परेशानी होती है।ऐसे में लोग टहलने के लिए नहीं आते हैं। इसके अलावा पार्क में लगी स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं।ऐसे में अंधेरे का फायदा उठाकर चोर मैदान में लगे झूले चोरी कर लेते हैं। परिसर में कई बार चोरी हो चुकी हैं। 

स्थानीय लोगों का कहना है कि झील परिसर में बुजुर्गों के बैठने के लिए बनाया गया टीन शेड टूट कर खंडहर हो गया है, शेड की छत टूटी पड़ी है।साथ ही शेड में बैठने के लिए लगाई गई कुर्सियों की जगह अब सिर्फ मिट्टी रह गई है।


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