सत्ता की जंग में विश्वासघात,दिल्ली की गद्दी के लिए औरंगजेब ने बड़े भाई को बनाया बंदी,मुगल इतिहास का काला अध्याय:धनंजय सिंह 


सत्ता की जंग में विश्वासघात,दिल्ली की गद्दी के लिए औरंगजेब ने बड़े भाई को बनाया बंदी,मुगल इतिहास का काला अध्याय:धनंजय सिंह 

धनंजय सिंह | 05 Jul 2025

 

भारत पर मुगलों ने लगभग 200 साल तक राज किया।सत्ता की जंग में आज का दिन मुगल इतिहास में एक काला अध्याय की तरह गिना जाता है। 367 साल पहले 5 जुलाई 1658 को औरंगजेब ने अपने बड़े भाई मुराद बख्श को बंदी बनाकर दिल्ली की गद्दी की ओर एक और कदम बढ़ाया। यह घटना मुगल सल्तनत के उत्तराधिकार संग्राम का हिस्सा थी, जो शाहजहां के बीमार पड़ने के बाद शुरू हुई।चार भाइयों दारा शिकोह,शाह शुजा,औरंगजेब और मुराद बख्श के बीच सत्ता की इस लड़ाई में औरंगजेब की चालाकी और क्रूरता ने उसे सबसे आगे रखा।

मुराद को साजिश के तहत किया कैद

औरंगजेब ने मुराद बख्श को सहयोगी बनाकर शुरू में उसका समर्थन हासिल किया। औरंगजेब और मुराद बख्श ने मिलकर आगरा में दारा शिकोह को हराया था,लेकिन औरंगजेब को मुराद की महत्वाकांक्षा और लोकप्रियता खतरे की घंटी की तरह लगी। 5 जुलाई 1658 को औरंगजेब ने मथुरा के पास मुराद बख्श को नशे की हालत में धोखे से बंदी बना लिया। मुराद बख्श को पहले आगरा के किले में और बाद में ग्वालियर किले में कैद कर दिया गया।यह औरंगजेब की उस रणनीति का हिस्सा था,जिसमें उसने अपने सभी भाइयों को एक-एक कर रास्ते से हटाया।

मुगल इतिहास का काला अध्याय

मुराद बख्श की कैद ने औरंगजेब की सत्ता पर पकड़ को और मजबूत किया,लेकिन इसने मुगल सल्तनत के नैतिक पतन को भी उजागर किया।भाई-भाई के बीच विश्वासघात और सत्ता की भूख ने मुगल साम्राज्य की नींव को कमजोर करना शुरू कर दिया।मुराद बख्श को बाद में 1661 में राजद्रोह के झूठे आरोप में फांसी दे दी गई,जिसने औरंगजेब के शासन को और विवादास्पद बना दिया।

ऐसे बादशाह बना औरंगजेब

इस घटना ने औरंगजेब को दिल्ली की गद्दी तक पहुंचाया, लेकिन यह जीत खून और विश्वासघात से रंगी थी।औरंगजेब का यह कदम न केवल उसके भाइयों के लिए,बल्कि पूरे मुगल साम्राज्य के भविष्य के लिए घातक साबित हुआ।मुराद बख्श की कैद उस दौर की क्रूर सियासत का प्रतीक बन गई, जो आज भी इतिहास के पन्नों में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है।


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