लखनऊ।पहाड़ी इलाकों में और उत्तर भारत में लगातार हो रही बारिश से गंगा नदी के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है।काशी,संगम नगरी और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ की चेतावनी जारी की गई है। संगम नगरी में गंगा उफान पर है तो वहीं काशी के सभी 84 घाट पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं। प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है।
समूचे उत्तर भारत में रुक रुक कर हो रही बारिश से यूपी में गंगा-यमुना समेत अधिकतर नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, इससे बाढ़ का खतरा गहराने लगा है।संगम नगरी,काशी, कानपुर,बहराइच और कन्नौज समेत कई जिलों में प्रशासन ने बाढ़ से बचाव के लिए खास इंतजाम किये हैं।बाढ़ चौकियों से नदी के जलस्तर की निगरानी की जा रही है। संगम नगरी में गंगा और यमुना के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। नागवासुकी,छोटा बघाड़ा,सलोरी,दारागंज,और कछारी निचले इलाकों में पानी भरने लगा है।हालांकि अभी गंगा और यमुना खतरे के निशान से नीचे हैं,लेकिन खतरा टला नहीं है।गंगा और यमुना का लाल निशान 84.73 मीटर निर्धारित है और जलस्तर में तेजी से इस दिशा में वृद्धि हो रही है। प्रशासन ने पूरी सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है।
जिला प्रशासन संभावित बाढ़ प्रभावित इलाकों को खाली करा रहा है,लोगों सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं,राहत कैंप भी तैयार किए गए हैं।बाढ़ नियंत्रण कक्ष को 24 घंटे एक्टिव मोड में रखा गया है,हर इलाके की निगरानी की जा रही है।कंट्रोल रूम में जल निगम,जलकल,स्वास्थ्य विभाग और एनडीआरएफ की टीमें समन्वय के साथ काम कर रही हैं। स्थानीय नागरिकों से अपील भी की गई है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें अपने और अपने परिवार की सुरक्षा को देखते हुए सुरक्षित स्थानों पर रहें।
काशी में गंगा के बढ़ते जलस्तर से हजारों नाविकों और घाट किनारे छोटे दुकानदारों की जीविका पर संकट छा गया है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार काशी में गंगा का चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर है,जबकि जलस्तर 68.70 मीटर तक पहुंच गया है।गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु से मात्र 1.56 मीटर नीचे है।
मां गंगा निषाद राज सेवा न्यास के संगठन मंत्री शंभू निषाद ने बताया कि रामनगर से लेकर आदिकेशव घाट के बीच एक हजार से ज्यादा नावें, मोटरबोट और बजड़े चलते हैं। नावों और मोटरबोट के संचालन पर रोक के कारण हजारों नाविकों के सामने परिवार चलाने की समस्या खड़ी हो गई है।घाटों के किनारे सैकड़ों छोटे दुकानदारों की जीविका पर भी संकट आ गया है। गंगा के बढ़ते जलस्तर ने लोगों के जीवन पर गहरा असर डालना शुरू कर दिया है।
घाट किनारे माला-फूल की दुकान लगाने वाली सरोज ने बताया कि इस दौरान एक महीने तक काफी परेशानी होती है। दशाश्वमेध घाट पर स्थित शीतला मंदिर में पानी प्रवेश कर चुका है। काशी के सभी घाट जलमग्न हो चुके हैं। प्रभारी निरीक्षक जल पुलिस राजकिशोर पांडेय ने बताया कि दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती अब सांकेतिक रूप में ही होगी।
बता दें कि पूर्वांचल में भारी बारिश और नदियों के उफान से लोग संकट में हैं।गंगा,वरुणा और सरयू (घाघरा) की बाढ़ में कई गांव और मोहल्ले प्रभावित हैं।बलिया में गंगा दो दिन से खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। आजमगढ़, मऊ और बलिया में 80 बीघे से अधिक कृषियोग्य जमीन घाघरा नदी में विलीन हो चुकी है। बुधवार को वाराणसी में बारिश के बीच दीवार गिरने से दो लोगों की मौत हो गई।