बस्तर की माटी से निकली हर्बल-क्रांति: एमडी-बोटैनिकल्स का ऐतिहासिक विपणन-शिविर संपन्न


बस्तर की माटी से निकली हर्बल-क्रांति: एमडी-बोटैनिकल्स का ऐतिहासिक विपणन-शिविर संपन्न

डॉ. राजाराम त्रिपाठी | 21 Jul 2025

 

बस्तर।छत्तीसगढ़ के बस्तर में कोंडागांव में मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म तथा रिसर्च सेंटर,देश का पहला अंतरराष्ट्रीय प्रमाणित जैविक हर्बल फार्म है, जहां उत्पाद वैश्विक गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरे हैं और सैकड़ों आदिवासी परिवारों को आजीविका भी मिली है।यहां की जैविक काली मिर्च में 16 फीसदी तक पिपराइन प्रमाणित है, जबकि अन्य सभी औषधीय पौधों में सक्रिय तत्वों की गुणवत्ता भी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में सिद्ध है।यह संस्थान आईसीएआर/ आईएचबीटी पालमपुर के शीर्ष शोध संस्थान के साथ मिलकर स्टीविया की सर्वश्रेष्ठ प्रजाति के विकास सहित औषधीय फसलों पर अग्रणी शोध कर रहा है।एमडी बोटैनिकल्स के इस नवाचारपूर्ण जैविक मिशन का नेतृत्व अपूर्वा त्रिपाठी कर रही हैं,जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वुमन एग्री-इनोवेटर ऑफ द ईयर जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं।

रविवार को कोंडागांव में भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय जैविक प्रमाणित हर्बल फार्म मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म एवं अनुसंधान केंद्र में आयोजित एमडी बोटैनिकल्स का पहला इंडक्शन मीट सिर्फ एक प्रशिक्षण शिविर नहीं,बल्कि विपणन की पारंपरिक दृष्टि और आधुनिक सोच के मध्य एक सेतु था।इस ऐतिहासिक आयोजन ने छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में एक सक्रिय,जमीनी बिक्री नेटवर्क की नींव रखते हुए नवगठित टीम को उत्पादों, मूल्यों और समूह के दीर्घकालिक विज़न से परिचित कराया।

एमडी बोटैनिकल्स की संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक अपूर्वा त्रिपाठी को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश की श्रेष्ठ युवा महिला उद्यमी के रूप में सम्मानित किया जा चुका है। अपूर्वा त्रिपाठी ने उद्घाटन सत्र में कंपनी की आत्मा और उद्देश्य को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि एमडी बोटैनिकल्स केवल एक ब्रांड नहीं, बल्कि उनका ब्रेनबेब है,जो जनजातीय क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण, जैविक औषधीय खेती और वैश्विक गुणवत्ता के समर्पण से जन्मा है।

प्रशिक्षण सत्र में प्रतिभागियों को मां दंतेश्वरी समूह के संस्थापक और भारत के हर्बल क्रांति पुरुष डॉ. राजाराम त्रिपाठी की प्रेरणादायी यात्रा से भी परिचित कराया गया, जिन्होंने 1996 में समूह की स्थापना की थी। भारत में जैविक हर्बल क्रांति के अग्रदूत डॉ. त्रिपाठी को हर्बल किंग ऑफ इंडिया के रूप में भी जाना जाता है। मां दंतेश्वरी हर्बल समूह को भारत सरकार के राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा सर्वश्रेष्ठ निर्यातक पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

फार्म भ्रमण का संचालन फार्म निदेशक अनुराग त्रिपाठी और वरिष्ठ विषय विशेषज्ञ जसमती नेताम और कृष्णा नेताम के नेतृत्व में हुआ। इस दौरान विपणन अधिकारियों ने प्रत्यक्ष रूप से 340 से अधिक दुर्लभ एवं संकटग्रस्त वनौषधियों को उनके प्राकृतिक रहवास में संरक्षित और संवर्धित होते देखा।
यहां विशुद्ध पारंपरिक जैविक पद्धतियों और आधुनिकतम सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी के मेल से विश्व की सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता की सफेद मूसली, गोल्डन मूसली, कालमेघ और इन्सुलिन प्लांट जैसी वन औषधियां उगाई जाती हैं। विशेष रूप से यहां की काली मिर्च में 16 फीसदी तक पिपराइन की उपस्थिति पाई गई है, जिसकी पुष्टि भारत सरकार के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पाइस रिसर्च ने भी की है,जो इसे वैश्विक बाजार में विशिष्ट बनाती है।

इस भ्रमण के दौरान अधिकारियों ने एक अभिनव जैविक पालीहाउस मॉडल भी देखा,जिसे केवल 1.5 लाख की लागत से पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल रूप में तैयार किया गया है। यह संरचना पारंपरिक प्लास्टिक पालीहाउस (40 लाख लागत) की तुलना में अधिक टिकाऊ है और नाइट्रोजन फिक्सेशन जैसी जैविक प्रक्रियाओं को भी बढ़ावा देती है। इस मॉडल से 10 वर्षों में प्रति एकड़ 3 करोड़ रुपए तक का प्रतिफल मिलने की संभावना है।

शिविर का एक प्रमुख आकर्षण स्टीविया अनुसंधान परियोजना रही, जो एमडी बोटैनिकल्स और सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर के बीच एक ऐतिहासिक समझौते के तहत संचालित है। इसमें अत्यधिक मीठी, कड़वाहट रहित और शून्य कैलोरी वाली स्टीविया की सर्वश्रेष्ठ प्रजातियों का विकास किया जा रहा है, जो भारत में पहली बार हो रहा है। इस दिशा में कंपनी एक प्राकृतिक चीनी उत्पादन संयंत्र की स्थापना की दिशा में भी अग्रसर है।

शिविर का कुशल समन्वय राष्ट्रीय विपणन प्रमुख केविन जेवियर ने किया। उनके साथ प्रवीण कुमार और प्रवेश मिश्रा (क्षेत्रीय विपणन प्रबंधक), संतोष उपाध्याय, ज्योति मजूमदार, संजय साहू, सुमंता रक्षित (बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर), सुरेंद्र प्रधान और सत्यं राजावत (एरिया सेल्स मैनेजर) जैसे अनुभवी अधिकारी उपस्थित रहे।इसके अतिरिक्त  स्वामीनाथन,मुख्य सलाहकार के रूप में विशेष रूप से उपस्थित थे, जिन्होंने नीति और दिशा पर आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान किया।

 जसमती नेताम ने टीम को फार्म में कार्यरत महिला स्व-सहायता समूहों से भी परिचित कराया, जो स्वयं अपूर्वा त्रिपाठी और जसमती नेताम के संयुक्त नेतृत्व में संचालित होते हैं। ये समूह जनजातीय महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण का जीता-जागता प्रमाण हैं।
सभी 25 प्रतिभागियों ने एमडी बोटैनिकल्स के उत्पाद पोर्टफोलियो,जिसमें हर्बल पाउडर, कैप्सूल, वेलनेस टी और स्किन केयर उत्पाद शामिल हैं।इस पर केंद्रित गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया।

 प्रतिभागियों ने एकमत से कहा कि यह पहली बार है जब उन्होंने जाना कि हर्बल उत्पादों की श्रेष्ठता पैकेजिंग या प्रचार में नहीं, बल्कि उसकी उत्पत्ति की पवित्रता और प्रक्रिया की पारदर्शिता में निहित होती है।यह आयोजन प्रमाण है कि मां दंतेश्वरी हर्बल समूह यूं ही भारत में हर्बल उत्पादन का सिरमौर नहीं बना, यह उसकी वर्षों की वैज्ञानिक शोध,पारंपरिक ज्ञान, तकनीकी नवाचार और सामाजिक समर्पण का परिणाम है, जो अब वैश्विक मंच पर भारत की जैविक शक्ति का प्रतिनिधित्व कर रहा है।


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