हाईवे पर डाक कांवड़ों का जुनून और महादेव की भक्ति का अद्भुत संगम आ रहा है नजर
डाक कांवड़ की भागम-भाग,सात घंटे में 150 किमी. की दौड़, हर टीम पर दो लाख तक का खर्च
मेरठ।देवाधिदेव महादेव का प्रिय माह सावन 11 जुलाई से शुरू हो गया है।लोगों के घरों से लेकर मंदिरों तक इस महीने का रंग चढ़ा हुआ नजर आ रहा है।सोशल मीडिया पर भी लोगों की भक्ति देखते ही बन रही है।हरिद्वार से गंगाजल लेकर आने वाली डाक कांवड़ में महादेव के भक्तों की रफ्तार और जुनून कमाल का है।हर की पौड़ी से शहर में बाबा औघड़नाथ मंदिर तक लगभग 150 किलोमीटर की दूरी महादेव के भक्त दौड़कर पूरा करेंगे।इसमें सात घंटे से लेकर साढ़े सात घंटे तक यात्रा पूरी होती है।डाक कांवड़ में 30 से 50 भक्तों की टोलियां पूरे इंतजाम के साथ चल रही हैं।ऐसी कांवड़ पर 80 हजार से दो लाख रुपये तक का खर्च आया है।
हाईवे पर डाक कांवड़ों का जुनून और महादेव भक्ति का अद्भुत संगम नजर आ रहा है।केसरिया और नीली पोषाक में महादेव के भक्तों की टोलियां सड़कों पर दौड़ते हुए मंदिरों तक पहुंचेंगी।डाक कांवड़ की खासियत यह है कि समय अवधि को लक्ष्य मानकर हर की पौड़ी से जल उठाया जाता है।निश्चित समय अवधि में शिवालयों में जलाभिषेक किया जाता है।
इस बार जिले से 155 डाक कांवड़ गई हैं।इसमें सरधना,दौराला, रोहटा,मवाना,खरखौदा क्षेत्र के विभिन्न गांव की टीमें हैं।प्रत्येक डाक कांवड़ टीम में 15 से 50 महादेव के भक्त होते हैं।यह यात्रा दौड़ते हुए पूरी की जाती है।बोल बम और हर-हर महादेव के जयघोष के साथ कांवड़िया निरंतर दौड़ते हुए आगे बढ़ते हैं।डाक कांवड़ लाने में 80 हजार से दो लाख तक खर्च आता है।इसमें कैंटर,जेनरेटर,खाद्यान्न में जूस, ओआरएस,चार से आठ बाइकें मुख्य रूप से शामिल होती हैं। कुछ डाक कांवड़ियों ने इस बार अपनी गाड़ियों को राम मंदिर, अघोरी और तिरंगा रूप में सजाया है।
हर की पौड़ी से जल उठाने के बाद दो अलग-अलग युवक बोतल या पाइप जैसे पात्र में जल लेकर दौड़ते हैं।एक युवक के सहयोग में तीन बाइकें होती हैं।इनमें एक बाइक पर तीन से चार युवक पहले से बैठे होते हैं।एक युवक एक बार में 50 से 100 मीटर दौड़ता है।इस बीच बाइक पर बैठा दूसरा युवक बाइक से उतरकर उसके हाथ से बोतल लेकर दौड़ना शुरू कर देता है।दूसरी बाइक थके हुए युवक को कैंटर में पहुंचाती है।
कैंटर में आराम कर तैयार हुए युवक को बाइक पर दौड़ने वाले स्थान पर पहुंचाया जाता है।दोनों युवक जल देने और लेने के कार्य को दौड़ते हुए ही करते हैं।हरिद्वार से गांव के शिवालय तक यही क्रम चलता रहता है। शिवालय में जलाभिषेक कर यात्रा पूरी होती है।दो युवक अलग-अलग बोतल में जल लेकर इसलिए दौड़ते हैं, अगर एक जल गिरकर खंडित हो जाए तो दूसरी जल की केन सुरक्षित रहे।
लावड़ के पास खरदौनी गांव के प्रमोद की टीम इस बार तीसरी बार डाक कांवड़ ला रही है।गांव के दीपक शर्मा ने बताया कि इनकी डाक कांवड़ का नाम शिव एक्सप्रेस डाक कांवड़ है। पिछले वर्ष 15 युवकों की टीम ने 7 घंटे 20 मिनट में हर की पौड़ी से जल उठाकर दौड़ते हुए शिव मंदिर खरदौनी में जलाभिषेक किया।
दीपक शर्मा ने बताया कि टीम अपने साथ लिक्विड डाइट और केले लेकर जाती है।कुछ खाकर आराम करते हैं और स्नान ध्यान कर यात्रा आरंभ की जाती है।यात्रा के दौरान बीच में कहीं रुकते नहीं है।दीपक ने बताया कि उनकी टीम में दीपक, रचित,शिवा,भूषण,अनुज,अंकुर आदि शामिल हैं। डाक कांवड़ लाने में लगभग 80 हजार का खर्च आया।
रोहटा गांव के राजन ने बताया कि उनकी टीम चौथी बार डाक कांवड़ ला रही है।रात्रि में जल लेकर दौड़ना शुरू करते हैं और अपने शिवालय में जलाभिषेक करते हैं।पिछले साल 7 घंटे 28 मिनट में यात्रा पूर्ण की गई।राजन ने बताया कि 22 जुलाई की रात्रि में 12 बजे के बाद दौड़ना आरंभ करेंगे। शिवरात्रि की सुबह मंदिर में जलाभिषेक किया जाएगा। यात्रा में 50 हजार रुपये का खर्च आएगा।टीम में अतुल, सचिन, मानिक, अरुण आदि शामिल हैं।