लखनऊ।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि आज भी सबसे अधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र है। करीब 3 करोड़ लोग इससे जुड़े हैं,इसके बाद एमएसएमई सेक्टर में 1.65 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है।सीएम ने कहा कि कृषि तभी खुशहाली का आधार बन सकती है जब अनुसंधान का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचे।यदि यूपी विकसित होता है, तो भारत को विकसित होने से कोई नहीं रोक सकता।
सीएम योगी लखनऊ में आयोजित 36वें स्थापना दिवस समारोह में उप्र कृषि अनुसंधान परिषद के कार्यक्रम में शामिल हुए।सीएम ने विकसित कृषि-विकसित उत्तर प्रदेश 2047 विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया,प्रदर्शनी का अवलोकन किया, न्यूज लेटर और पुस्तिकाओं का विमोचन भी किया।इस अवसर पर एफपीओ,वैज्ञानिकों और युवा नवाचारियों को सम्मानित भी किया गया।
सीएम योगी ने कहा कि यूपी के पास दुनिया की सबसे उपजाऊ और सिंचित भूमि है,86 फीसदी से अधिक क्षेत्र सिंचित है। सीएम ने कहा कि राज्य में चार कृषि विश्वविद्यालय पहले से संचालित हैं,एक नया विश्वविद्यालय भी बन रहा है। साथ ही 89 कृषि विज्ञान केंद्र और 15 से अधिक अनुसंधान संस्थान किसानों के लिए काम कर रहे हैं।इसके बावजूद सिर्फ 25-30 फीसदी किसान ही वैज्ञानिक अनुसंधान का लाभ ले पा रहे हैं।
सीएम योगी ने कहा कि यूपी में देश की 11 फीसदी कृषि भूमि है,लेकिन यहां 20 फीसदी खाद्यान्न उत्पादन होता है।यदि आधुनिक तकनीक और अनुसंधान का समुचित उपयोग हो, तो इसी भूमि से तीन गुना उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। सीएम ने कहा कि रिसर्च और इनोवेशन पर ध्यान देने वाले ही देश आगे बढ़े हैं।
सीएम योगी ने कहा कि यूपी के पास केवल देश नहीं, बल्कि दुनिया का पेट भरने की भी क्षमता है,जलवायु के अनुसार अनुसंधान को तेज करने की आवश्यकता है।प्राकृतिक संसाधनों और वातावरण को ध्यान में रखते हुए नई तकनीकों और बीजों पर रिसर्च आगे बढ़ेगा,तभी प्रदेश प्रगति की रफ्तार पकड़ सकेगा।
सीएम योगी ने कहा कि यूपी सरकार पहले से ही विजन 2047 की योजना पर काम कर रही है,लेकिन इसके साथ ही 2027, 2029 और 2035 जैसे लक्ष्य तय करने की आवश्यकता है।कृषि विवि,अनुसंधान केंद्र,कृषि विज्ञान केंद्रों को चाहिए कि शॉर्ट,मीडियम और लॉन्ग टर्म प्लान बनाकर किसानों को जागरूक करें।
सीएम योगी ने कहा कि अगर बीज पुराना है या फसल की बुवाई देर से होती है, तो उत्पादन में 30 फीसदी तक गिरावट आती है,क्या वैज्ञानिक किसानों को लेट वैरायटी या बीज की जानकारी देकर तैयार कर रहे हैं,यदि किसान आज भी पुरानी तकनीक अपना रहा है, तो यह हमारी असफलता है कि हम उसे अनुसंधान केंद्र तक नहीं ला पाए।
कार्यक्रम में कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही,राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह,कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख,गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता,प्रमुख सचिव रविंद्र,उप्र कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. संजय सिंह, अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता आदि मौजूद रहे।