लखनऊ।प्राकृतिक वादियां शहर के जीवन की भागदौड़ से लोगों को सुकून दिलाती हैं।यही कारण है कि लोग समय निकालकर कुल्लू-मनाली,शिमला,मसूरी,ऊटी,शिलांग जैसी हसीन वादियों में घूमने जाते हैं।वहां के पहाड़,झरने लोगों को आकर्षित और रोमांचित करते हैं।अगर हम बात उत्तर प्रदेश की करें तो इसको लोग ऐतिहासिक स्मारकों और धार्मिक स्थलों के लिए जानते हैं,लेकिन ऐसा नहीं है,यहां भी मनमोहक प्राकृतिक अजूबों का खजाना है।यूपी में एक-दो नहीं पूरे 19 झरने हैं,ये छुपे हुए अजूबे रत्न आपको शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर,प्रकृति की गोद में एक सुकून का एहसास दिलाते हैं।आपको इन्हीं छुपे हुए मनमोहक झरनों के बारे में बताने चल रहे हैं,जिनमें हर एक टूरिस्ट स्पॉट अपने अनूठे आकर्षण और शांति से परिपूर्ण है।
बनारस मंडल का राजदरी और देवदरी
वाराणसी के पास चंदौली जिले के चंद्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य में राजदरी और देवदरी झरने स्थित हैं।अभयारण्य की स्थापना एशियाई शेरों के संरक्षण के लिए की गई थी। हालांकि उनकी आबादी कम हो गई है,फिर भी यहां जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियां रहती हैं।
साफ पानी लोगों का जीत रहा दिल
जानवरों और पक्षियों के अलावा अभयारण्य कई अन्य आकर्षणों का घर है,जिनमें राजदरी और देवदरी झरने विशेष हैं।चट्टानों पर कलकल करता हुआ क्रिस्टल जैसा साफ पानी एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है।यहां का सुंदर,शांत वातावरण एक रहस्यमयता का एहसास देता है।
रुकने की कोई व्यवस्था नहीं,पर भीड़ अपरंपार
लोग आमतौर पर यहां एक दिन की यात्रा के लिए आते हैं। क्योंकि यहां रहने की कोई व्यवस्था नहीं है,फिर भी यहां नाश्ते और पेय पदार्थों के लिए कई भोजनालय अब बन गए हैं,जो इसे एक पर्यटन स्थल का रूप दे रहे हैं।
चित्रकूट जलप्रपात
चित्रकूट के पास स्थित चित्रकूट जलप्रपात अपनी कल-कल करती धाराओं और हरे-भरे परिवेश के साथ एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है।जब आप प्रकृति की इस भव्यता को निहारते हुए विस्मित होते हैं, तो पानी की लयबद्ध ध्वनि एक मधुर संगीत का निर्माण करती है, जो आपको उसकी शांति में डूबने के लिए आमंत्रित करती है।
चित्रकूट का शबरी,तुलसी जलप्रपात और सीता कुंड
शबरी जलप्रपात,जिसे शबरी झरना भी कहते हैं,चित्रकूट जिले में दुदैला गांव में स्थित है,यह मारकुंडी से 10 किलोमीटर,मझगवा (मध्य प्रदेश) से 13 किलोमीटर, मानिकपुर से 32 किलोमीटर और चित्रकूट धाम से 47 किलोमीटर दूर स्थित है।
भगवान राम ने शबरी के बेर खाकर यहां किया था स्नान
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रभु श्री राम ने शबरी मां द्वारा अर्पित फल खाने के बाद इस स्थान पर स्नान किया था। इसीलिए इस स्थान का नाम उनके नाम पर पड़ा।शबरी जलप्रपात देखने का सबसे अच्छा समय मानसून के दौरान होता है जब जल प्रवाह प्रचुर होता है।
जुलाई से सितंबर सैर-सपाटे के लिए उचित समय
जुलाई से सितंबर इस स्थान की सैर के लिए आदर्श माने जाते हैं।हालांकि दिसंबर तक पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है।पौराणिक कथाओं से ओतप्रोत,चित्रकूट जिले में स्थित सीता कुंड अपने रहस्यमय आकर्षण से यात्रियों को आकर्षित करता है।
माता सीता ने मंदाकिनी नदी में किया था स्नान
चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित जानकी कुंड हिंदुओं के लिए एक पूजनीय स्थल है।किंवदंती है कि मां सीता ने वनवास के दौरान इस पवित्र जल में स्नान किया था,जिससे इस स्थल को आध्यात्मिक महत्व और प्राकृतिक सुंदरता प्राप्त हुई।
सोनभद्र में झरने की भरमार
सोनभद्र जिला मुक्खा,धंधरौल,कोरई जैसे मनमोहक झरने, मनमोहक पहाड़ियों और अद्भुत वनस्पतियों-जीवों की भूमि है। ये बारिश के मौसम में विशेष रूप से मनमोहक हो जाते हैं।
मुक्खा जलप्रपात
मुक्खा जलप्रपात रॉबर्ट्सगंज से घोरावल मार्ग पर पश्चिम में लगभग 50 किलोमीटर और घोरावल से 15 किलोमीटर दूर, बेलन नदी पर स्थित है।बेलन नदी का पानी लगभग 100 फीट की ऊंचाई से गिरता है।झरने की प्राकृतिक सुंदरता और इसके समृद्ध परिवेश पर्यटकों को बार-बार यहां आने के लिए मजबूर करते हैं।बड़ी संख्या में सुंदर शैलचित्र इसकी सुंदरता और भव्यता में चार चांद लगाते हैं।
धंधरौल जलप्रपात
यह प्राकृतिक जलप्रपात सोनभद्र जिले में स्थित है।यह अपने शांत वातावरण के लिए जाना जाता है,जो इसे पिकनिक और प्रकृति की सैर के लिए एक लोकप्रिय स्थान बनाता है।धंधरौल जलप्रपात विजयगढ़ किले के रास्ते में स्थित है,जो एक दर्शनीय ऐतिहासिक स्थल है।आसपास के अन्य आकर्षणों में धंधरौल बांध,मुक्खा जलप्रपात,लखनिया दरी जलप्रपात और वीर लोरिक पत्थर शामिल हैं।यह सोनभद्र जिले में रॉबर्ट्सगंज-चुर्क मार्ग पर रॉबर्ट्सगंज से लगभग 23 किलोमीटर दूर स्थित है,यह चुर्क रेलवे स्टेशन से भी लगभग 5.3 किलोमीटर दूर है।यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त देखना काफी मनमोहक होता है।
कोरई जलप्रपात
यह सोनभद्र में रॉबर्ट्सगंज के पास स्थित एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।खासकर बारिश के मौसम में धुंध और सीढ़ियों पर झरने दिखाई देते हैं।यह रॉबर्ट्सगंज से केवल 5-6 किलोमीटर और लोधी टोल प्लाजा से 300-400 मीटर पूर्व में स्थित है।
इस जलप्रपात तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।प्रवेश निःशुल्क होने के कारण पहले से टिकट खरीदने की आवश्यकता नहीं है।घूमने का सबसे अच्छा समय बारिश का सीजन सबसे अच्छा होता है।इस समय झरने अपने पूरे शबाब पर होते हैं और आसपास का क्षेत्र हरा-भरा होता है।
लखनिया दरी जलप्रपात
मिर्जापुर जिले में अहरौरा के पास स्थित लखनिया दरी जलप्रपात मनमोहक झरना है।चुनार से लगभग 35 किलोमीटर और वाराणसी से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लखनिया दरी यूपी के अद्भुत झरनों में से एक है।साथ ही वाराणसी में घूमने के लिए सबसे अच्छे स्थानों में से एक है।अहरौरा के पास स्थित इस झरने तक पहुंचने के लिए शांत जंगल से होकर एक छोटी,ऊबड़-खाबड़ चढ़ाई करनी पड़ती है।पहाड़ों,बंदरों और गुफाओं के नजारों वाला यह एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है।सुरक्षा सावधानियों में बंदरों और फिसलन भरी चट्टानों से सावधान रहना होता है।
150 मीटर की ऊंचाई से गिरता हैं पानी
लखनिया दरी जलप्रपात लगभग 150 मीटर की ऊंचाई से एक कुंड में गिरता है। बारिश में जब यह पूरे शबाब पर होता है, तो काफी सुंदर और भव्य दिखाई देता है।इस जलप्रपात का पानी अहरौरा बांध में संग्रहित होता है,जिसका उपयोग आसपास के गांवों के खेतों और मैदानों की सिंचाई के लिए किया जाता है।यह एक पिकनिक स्थल और ट्रेकर्स को रोमांचकारी अनुभव देता है।
विंडम जलप्रपात
इसे विंध्यवासिनी जलप्रपात या विंडम जलप्रपात के नाम से भी जाना जाने वाला यह झरना,चट्टानी भू-भाग और हरे-भरे वातावरण में बसा है।यह मिर्जापुर शहर से लगभग 15 किलोमीटर और वाराणसी से 50 किलोमीटर दूर है।इसमें तैराकी के लिए रॉक पूल, पिकनिक स्थल और पास में एक खेल का मैदान भी है।
नौका दरी जलप्रपात
यह मिर्जापुर के आकर्षणों में से एक है,जहां लखनिया दरी और विंधम जलप्रपात जैसे कई अन्य झरने भी हैं।यह जिगना रेलवे स्टेशन से लगभग 6.22 किलोमीटर दूर है।मिर्जापुर में अहरौरा और नारायणपुर के पास यह झरना स्थित है। चट्टानों और पानी से घिरा यह झरना एक शांत प्राकृतिक वातावरण देता है।यहां आने के लिए सबसे अच्छा समय बारिश में ही रहता है।
टांडा जलप्रपात
वाराणसी से लगभग 79 किलोमीटर दूर मिर्जापुर जिले में स्थित टांडा जलप्रपात एक मनोरम प्राकृतिक स्थल है। यह स्थान एक स्फूर्तिदायक अभयारण्य है, जो शहरी भागदौड़ से दूर एक ताजगी भरा विश्राम स्थल है।मिर्जापुर से लगभग 15 किलोमीटर दक्षिण में स्थित यह मनमोहक जलप्रपात लगभग 30 फीट ऊंचा है और इसके ठीक सामने लगभग 85 साल पहले बना एक जलाशय (टांडा बांध) है।यह एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है।
चूना दरी झरना
जंगल महल में स्थित यह झरना खासकर बारिश के मौसम में एक अनोखा अनुभव प्रदान करता है।झरने तक पहुंचने के लिए जंगल से होकर 1.5 किलोमीटर की ट्रैकिंग करनी पड़ती है,जो एक रोमांचक यात्रा का अनुभव कराती है।इसी के साथ कुशियारा जलप्रपात मिर्जापुर से लगभग 38 किलोमीटर दूर लालगंज में बेलन नदी पर स्थित है।
सिद्धनाथ की दरी
मनमोहक सिद्धनाथ दरी जलप्रपात का नाम पूज्य सिद्धनाथ बाबा के नाम पर पड़ा है।यह यूपी के दक्षिणी भाग में स्थित एक सुंदर जलप्रपात है।घने जंगल के बीच एक अनछुआ, जंगली झरना है।यह चट्टानों के बीच से करीब 100 फीट की ऊंचाई से गिरता है।चारों ओर शांति के बीच इस झरने से एक मनमोहक संगीत निकलता है।यह मिर्जापुर जिले में है,जो चुनार से लगभग 14-20 किलोमीटर और वाराणसी से 30 किलोमीटर दूर है।
सिरसी जलप्रपात
सिरसी बांध वाराणसी और मिर्जापुर के पास एक शानदार और लोकप्रिय पिकनिक स्थल है।यह बांध सिरसी नदी पर बना है।सिरसी जलप्रपात मिर्जापुर से 45 किलोमीटर दूर है। सिरसी पहुंचने पर सबसे पहले आपको बांध दिखाई देगा, उसके बाद थोड़ी दूर आगे बढ़ने पर झरने शुरू हो जाते हैं, जहां पानी काफी ऊंचाई से गिरता है,जिसका नजारा अद्भुत लगता है और पानी की मधुर ध्वनि एक रोमांच पैदा करती है।
पटपरे जलप्रपात
पटपरे जलप्रपात,जिसे पथपरे जलप्रपात या तमसा नदी जलप्रपात भी कहा जाता है।यह प्रयागराज के पास मेजा (करछना तहसील के कौंधियारा ब्लॉक) के सोधिया में स्थित है।यह प्रयागराज शहर से लगभग 40-45 किलोमीटर दूर है। पानी के पास खासकर बरसात के मौसम में,सावधानी बरतें, क्योंकि पानी का बहाव तेज़ और अप्रत्याशित हो सकता है। अकेले यात्रा न करें, समूह के साथ जाएं।
कुशियारा जलप्रपात
मिर्जापुर शहर के मध्य में स्थित कुशियारा जलप्रपात अपनी शांत,भव्य और अद्भुत छटा से पर्यटकों को मंत्रमुग्ध करता है। यह जलप्रपात प्रयागराज से 80 किलोमीटर दूर है। घने पेड़ों से घिरा यह प्राकृतिक अजूबा,शहरी जीवन की भागदौड़ से एक सुखद विश्राम प्रदान करता है।ऊबड़-खाबड़ चट्टानों पर बहती चमचमाती धाराओं के साथ एक शांत संगीत हवा में घुल जाता है, जिससे एक शांत वातावरण बनता है।यहां पर ताजगी भरी तैराकी का आनंद ले सकते हैं।सुरम्य पैदल मार्गों पर टहलने का आनंद ले सकते हैं।
शंकरगढ़ श्रेणी के झरने
शंकरगढ़ श्रेणी के झरने प्रयागराज शहर से लगभग 60 किलोमीटर दूर,शंकरगढ़ जिले की घुमावदार पहाड़ियों और वन्य वातावरण के बीच स्थित हैं,ये झरने अन्य की तुलना में कम लोकप्रिय हैं,जो इन्हें शांतिपूर्ण,यादगार छुट्टियों की तलाश करने वाले पर्यटकों के लिए उत्कृष्ट बनाते हैं।यहां घनी हरियाली लोगों एक रमणीक अनुभव देती हैं।साथ ही कभी-कभार वन्यजीवों के दर्शन पर्यटकों को और लुभाते हैं। बारिश के मौसम में कई छोटी धाराएं जीवंत झरनों में बदल जाती हैं,जिससे पूरा परिदृश्य जीवंत हो उठता है।पत्थर की खदानें और वन भूमि भी है, जो इसे एक चट्टानी, प्राकृतिक एहसास देती हैं।यह लंबी पैदल यात्रा और फोटोग्राफी के लिए काफी अच्छा स्थान है।चूंकि यहां पर्यटकों की संख्या कम है, इसलिए अपना भोजन और पानी साथ ले जाएं।सड़कें थोड़ी ऊबड़-खाबड़ हैं, लेकिन प्राकृतिक दृश्य ऐसा है जो इन कमियों को हावी नहीं होने देता।
कजरदह कुंड
कजरदह कुंड प्रयागराज से लगभग 120 किलोमीटर दूर चंदौली में चंद्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य के भीतर एक झरना है।यह झरना मौसमी बारिश और झरनों के बीच बहता है और बारिश के मौसम में जब यह तेजी से एक चट्टानी घाटी में गिरता है, तो यह जीवंत लगता है।अभयारण्य के हरे-भरे जंगलों से होकर एक छोटी,लेकिन मनमोहक सैर करके झरनों तक पहुंचा जा सकता है,जहां पर्यटक वन्यजीवों और दुर्लभ पक्षियों को देखने का आनंद ले सकते हैं।यह स्थान एक दिवसीय पिकनिक, लंबी पैदल यात्रा या प्रकृति की सैर के लिए आदर्श है।भीड़-भाड़ से दूर इसके दूरस्थ स्थान पर होने के कारण,आगंतुक एक मनोरम प्राकृतिक अनुभव का आनंद ले सकते हैं।हालांकि बुनियादी सुविधाएं सीमित हैं,इसलिए भोजन,पानी और एक प्राथमिक चिकित्सा किट साथ जरूर रखें।साथ ही यहां अकेले न जाएं,दिन के समय समूह में ही घूमने का आनंद लें।
औरवाटांड जलप्रपात
औरवाटांड जलप्रपात चंदौली जिले में कर्मनाशा नदी के किनारे स्थित है।घने जंगलों और ऊबड़-खाबड़ भू-भाग से घिरा यह जलप्रपात प्रकृति प्रेमियों के लिए एक शांतिपूर्ण आश्रय स्थल प्रदान करता है।यह लगभग 200 फीट की ऊंचाई से गिरता है।यह क्षेत्र वन्य जीव से भरा हुआ है,जहां पक्षियों को देखने के अवसर उपलब्ध हैं।औरवाटांड जलप्रपात,जो राजदरी-देवदरी जलप्रपात से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित है।इसके अलावा जलप्रपात के पीछे की गुफाओं की दीवारों पर प्राचीन शैल कलाकृतियां चित्रित की गई हैं,जो इस आकर्षण को एक ऐतिहासिक स्पर्श प्रदान करती हैं।प्रदेश सरकार ने बेहतर पहुंच और सुविधाओं के साथ एक पर्यटन स्थल बनाने के लिए 20 लाख रुपए का निवेश किया है।
जोगिया दरी झरना
मिर्जापुर जिले के मड़िहान के जंगलों में बसा जोगिया दरी सबसे खूबसूरत जगह है।इस जगह की तस्वीरें देखकर आप इसकी खूबसूरती के कायल हो जाएंगे।इस प्रसिद्ध घाटी में पहाड़ों से पानी कलकल की आवाज करता हुआ नीचे आता है।मिर्जापुर जिला मुख्यालय से जोगिया दरी की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है।जोगिया दरी झरना मड़िहान के दाढ़ी राम ग्राम सभा में स्थित है।
अलोपी दरी
अलोपी दरी दादीराम उमरिया के पास स्थित है।यह दरी केवल बारिश के दौरान ही दिखाई देती है।बारिश के बाद यहां पानी लगभग नगण्य रहता है। दरी में पहाड़ों के अंदर से पानी आता है। बारिश के दौरान यहां का नजारा स्वर्ग जैसा होता है।
भाना जलप्रपात
भाना जलप्रपात,जिसे भाना दरी भी कहा जाता है,यह एक मनोरम जलप्रपात है जो मिर्जापुर जिले की चुनार तहसील के बलुवा बाजाहुर में स्थित है।भाना दरी वाराणसी से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। इसका संपर्क मार्ग चुनार से राजगढ़ जाने वाली मुख्य सड़क से अलग है।यह सक्तेसगढ़ रेलवे स्टेशन से लगभग 2.99 किलोमीटर दूर है।