गजब का नजारा:नीचे नदी का प्रवाह,ऊपर नहर की लहर, इंजीनियरिंग की अद्भुत मिसाल


गजब का नजारा:नीचे नदी का प्रवाह,ऊपर नहर की लहर, इंजीनियरिंग की अद्भुत मिसाल

धनंजय सिंह | 28 Jul 2025

 

 
लखनऊ।राजधानी लखनऊ से लगभग 20 किलोमीटर दूर इंदिरा डैम का नजारा आंखों को बहुत सुकून देता है।भारतीय इंजीनियरिंग की अद्भुत मिसाल भी पेश करता है।यहां नीचे गोमती नदी बहती है,ठीक इसके ऊपर इंदिरा नहर गुजरती है। गोमती नदी के ऊपर इंदिरा नहर बहने का यह नजारा किसी अजूबे से कम नहीं लगता है।दोनों तरब बने पुल और हरे-भरे प्राकृतिक नजारा इसे परफेक्ट पिकनिक स्पॉट बना देता है।
लखनऊ से सुल्तानपुर और बनारस की ओर जाने वाले लोग भी इस रास्ते से गुजरते हैं,जिससे यह क्षेत्र हमेशा गुलजार रहता है।

1958 में रखी गई थी नींव,1975 में हुआ तैयार

इस नहर परियोजना की नींव 1958 में रखी गई थी,इसका मकसद उत्तर प्रदेश के 15 से 16 जिलों में जलापूर्ति करना था। 1975 में जब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं तो उन्होंने इस परियोजना को इंदिरा गांधी नहर परियोजना के तहत शुरू किया,उसी दौरान इस नहर का नाम इंदिरा नहर पड़ा।यही मॉडल बाद में राजस्थान के जयपुर में भी अपनाया गया।

इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना 

यह इंदिरा डैम एक प्रकार के एक्वाडक्ट की तरह बनाया गया है।नीचे की चौड़ाई 35 मीटर और ऊपर की चौड़ाई 45 मीटर है।तेज प्रवाह के बावजूद पानी बड़ी आसानी से नहर में बहता है।इसमें कुल छह कॉलम और दो पियर्स हैं,जो इसकी मजबूती की गारंटी देते हैं।यहां की इंजीनियरिंग संरचना देखने लायक है,यही कारण है कि कुछ समय पहले इसमें आई तकनीकी समस्याओं को ठीक करने के लिए आईआईटी मुंबई के विशेषज्ञों की मदद ली गई थी।अब यह पूरी तरह दुरुस्त और सुरक्षित है।

राजस्थान की तर्ज पर बना मॉडल

 1958 में ही सतलज और व्यास नदियों के पानी को राजस्थान के शुष्क इलाकों तक पहुंचाने की योजना बनी थी। उसी आधार पर उत्तर प्रदेश में भी इंदिरा नहर परियोजना तैयार की गई।आज यह नहर सुल्तानपुर,जगदीशपुर सहित कई जिलों में पीने के पानी की सप्लाई करती है।आज भी पसंदीदा पर्यटन स्थल इंदिरा डैम को केवल जलापूर्ति के केंद्र के रूप में ही नहीं, बल्कि खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया गया है,यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। इंदिरा डैम के ऊपर बनी दो तरफा सड़कों से गुजरते छोटे वाहन और आसपास की हरियाली इस स्थान को और भी मनोहारी बना देती है।

कासगंज का झाल ब्रिज भी ऐसा ही है

कासगंज जिले में भी ऐसा ही नदरई पुल है,जिसके ऊपर नहर बहती है और नीचे नदी बहती है,इसे झाल ब्रिज कहा जाता है। कासगंज जिले की एक महत्वपूर्ण जल संरचना है,जो गंगा नहर और काली नदी पर बनी है,यह अंग्रेजों के दौर में 1885 से 1889 के बीच बनाया गया था,यह 346 मीटर लंबा है, इसकी निर्वहन क्षमता 7095 क्यूसेक है,यह सिंचाई विभाग का ऐतिहासिक और शानदार डैम है। यूपी के अलग-अलग जिलों के छात्र छात्राएं वास्तुकला का अध्ययन करने के लिए यहां आते हैं।यह शानदार पर्यटन स्थल भी है।


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