निर्माण और विध्वंस से निकलने वाला मलबा बन रहा है बड़ी चुनौती,निस्तारण के मामले में एमसीडी लाचार,सड़कों के किनारे,नालों और खाली जमीनों पर मलबे के ढेर बन चुके हैं नजारा


निर्माण और विध्वंस से निकलने वाला मलबा बन रहा है बड़ी चुनौती,निस्तारण के मामले में एमसीडी लाचार,सड़कों के किनारे,नालों और खाली जमीनों पर मलबे के ढेर बन चुके हैं नजारा

मनोज बिसारिया | 11 Aug 2025

 

नई दिल्ली।राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कूड़े की तरह ही निर्माण और विध्वंस से निकलने वाला मलबा भी बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।एमसीडी के पास इतनी क्षमता नहीं है कि वह रोज निकलने वाले पूरे मलबे का निपटान कर सके।परिणामस्वरूप,सड़कों के किनारे,नालों और खाली जमीनों पर मलबे के ढेर आम नजारा बन चुके हैं।

जानें क्या बताते हैं आंकड़े 

आंकड़े बताते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी में रोज लगभग 6000 टन कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन (सीएंडडी) वेस्ट यानी मलबा निकलता है,लेकिन एमसीडी की निस्तारण की क्षमता 5000 टन प्रति दिन तक ही सीमित है।इससे लगभग 20 फीसदी मलबा बिना प्रोसेस हुए रह जाता है।आलम यह है कि मलबा नालों को जाम करता है।धूल प्रदूषण बढ़ाकर निर्माण स्थलों के आसपास सफाई को प्रभावित करता है।इस समस्या को देखते हुए एमसीडी ने क्षमता विस्तार का रोडमैप तैयार किया है।इसके तहत ओखला के सेनेटरी लैंडफिल पर आठ एकड़ भूमि में 1,000 टन प्रतिदिन क्षमता का नया सीएंडडी प्लांट प्रस्तावित है।इसके दिसंबर 2026 तक इसके शुरू होने की संभावना है।इसके चालू होने के बाद कुल प्रोसेसिंग क्षमता 6,000 टन प्रतिदिन हो जाएगी जो मौजूदा जरूरत के बराबर होगी।

ठेकेदार खुले में डाल देते हैं मलबा

एमसीडी ने 106 सीएंडडी डंपिंग साइट जनता के लिए निर्धारित हैं। वहीं 300 टन रोज से अधिक कचरा उत्पन्न करने वाले बड़े उत्पादकों को सीधे प्रोसेसिंग प्लांट पर कचरा पहुंचाने का निर्देश है,लेकिन कई ठेकेदार निर्धारित साइटों की जगह मलबा खुले में डाल देते हैं,जिससे सड़क किनारे गंदगी और वायु प्रदूषण बढ़ता है।

100 प्रतिशत निपटान का लक्ष्य

एमसीडी के अधिकारियों का कहना है कि नया संयंत्र समय पर शुरू होने और डंपिंग साइटों का सही इस्तेमाल होने पर दिल्ली में मलबा प्रबंधन की स्थिति में बड़ा बदलाव संभव है। रिसाइकल उत्पादों के व्यापक इस्तेमाल से न केवल पर्यावरण को फायदा होगा,बल्कि निर्माण लागत में भी कमी आएगी। अधिकारियों का कहना है कि एमसीडी का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में सीएंडडी का 100 प्रतिशत निपटान हो और रिसाइकल उत्पाद निर्माण क्षेत्र में मुख्यधारा बनें। इसके लिए निगरानी को सख्त करने और अवैध डंपिंग करने वालों पर भारी जुर्माने की तैयारी की है।

मलबे की वर्तमान स्थिति

दिल्ली में रोज लगभग 6000 मीट्रिक टन सीएंडडी कचरा निकलता है,एमसीडी के चार सीएंडडी संयंत्र चालू हैं। बक्करवाला में 1000 टन, बुराड़ी में 2000 टन, रानीखेड़ा में 1000 टन और शास्त्री पार्क में 1000 टन मलबा रोज निस्तारित होता है।बाकी मलबा अस्थायी डंपिंग साइटों या अवैध रूप से फेंका जाता है।ओखला में 1000 टन रोज क्षमता का नया संयंत्र प्रस्तावित है।


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