पिता-पुत्र की जोड़ी ने बनाया पुल,160 साल से झेल रहा है यमुना की लहरें,आज तक नहीं उखड़ी एक भी ईंट


पिता-पुत्र की जोड़ी ने बनाया पुल,160 साल से झेल रहा है यमुना की लहरें,आज तक नहीं उखड़ी एक भी ईंट

धनंजय सिंह | 15 Aug 2025

 

प्रयागराज।आज पूरा देश अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा।इस बार का स्वतंत्रता दिवस उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में यमुना नदी पर बना पुराना नैनी पुल के लिए भी बेहद खास है।ऐसा इसलिए है क्योंकि आज शुक्रवार को इस पुल को बने हुए 160 साल पूरा हो गया।

खास बात यह है कि ब्रिटिश इंजीनियर सिवले की देखरेख में बने इस पुल की डिजाइन पिता-पुत्र की जोड़ी अलेक्जेंडर और जेम्स मीडोज रेंडेल ने तैयार किया था।इसके 17 पिलर, खासकर हाथी पांव और डबल-डेकर डिजाइन इसे देश का सबसे अनूठा रेल पुल बनाते हैं।

15 अगस्त 1865 को इस पुल पर सबसे पहली ट्रेन चली थी। यह इंजीनियरिंग की कारीगरी,इतिहास की गवाही और प्रयागराज की सांस्कृतिक धड़कन का प्रतीक है।बारिश में बाढ़ की घटनाएं आम बात हैं।हालांकि यह पुल 160 साल से यमुना नदी की लहरों को झेल रहा है और अपनी मजबूती का परिचय दे रहा है,अब भी पूरी मजबूती से टिका हुआ है।इसके बिना संगम नगरी की कहानी अधूरी है,जो समय को भी मात दे देती है।

इस पुल की नींव की कहानी 1855 में शुरू हुई थी,जब अंग्रेजों ने यमुना नदी पर एक मजबूत रेलवे पुल बनाने की योजना बनाई।हालांकि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण गवर्नर जनरल लार्ड कैनिंग ने निर्माण कार्य को रोक दिया। उनकी चाहत थी कि इसे रेलवे लाइन को किले या उसके आसपास से जोड़ा जाए।हालांकि तकनीकी कारणों की वजह से ऐसा नहीं हो सका। 

शुरुआत में पुराना यमुना पुल केवल रेलवे के लिए बनाया गया था,लेकिन वर्ष 1920 के दशक में इसके निचले हिस्से में सड़क जोड़ी गई,जिससे सड़क और रेल दोनों का आवागमन संभव हुआ। मौजूदा समय में यह पुल 200 से अधिक ट्रेनें और हजारों वाहनों का बोझ सहता है।

अब पुराने यमुना पुल पर शोध होने वाला है,ताकि इसे भविष्य में भी चलायमान रखा जा सके।नैनी पुल न केवल इंजीनियरिंग का चमत्कार है,बल्कि संगम नगरी की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का प्रतीक भी है। स्थानीय लोग इसे गर्व के साथ यमुना का गहना कहते हैं।


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