गाजीपुर के 8 शहीदों की कहानी,18 अगस्त को आजा


गाजीपुर के 8 शहीदों की कहानी,18 अगस्त को आजा

धनंजय सिंह | 18 Aug 2025

द कराई तहसील,एयरपोर्ट को कर दिया आग के हवाले

गाजीपुर।देश को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली, लेकिन उत्तर प्रदेश गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद तहसील में जाबांज वीर सपूतों ने महात्मा गांधी के आवाह्न पर 18 अगस्त 1942 को तिरंगा फहराकर तहसील को आजाद कर लिया था।इस आजादी में आठ वीर सपूत शहीद हो गए थे।शहीदों की याद में उस जगह पर शहीद पार्क स्तंभ और तहसील भवन को शहीद स्मारक भवन घोषित किया गया।

यहां हर साल 18 अगस्त को शहीद दिवस कार्यक्रम आयोजित होता है। स्वतंत्रता दिवस मनाने के बाद भले ही लोग अब अपने-अपने दिनचर्या में लग गए हो,लेकिन मोहम्मदाबाद तहसील में अब भी स्वतंत्रता दिवस की झलक देखने को मिल रही है। 18 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी के आवाहन पर शेरपुर गांव के रहने वाले आठ वीर सपूतों ने डॉक्टर शिवपूजन राय की अगुवाई में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान तहसील मुख्यालय पर तिरंगा फहराया था।

तत्कालीन तहसीलदार ने उस समय गोली चलाने का आदेश दे दिया था,इसमें आठ वीर सपूत शहीद हुए थे।डॉक्टर शिवपूजन राय,वंश नारायण राय,ऋषेश्वर राय,श्री नारायण राय,राजा राय,वशिष्ठ नारायण राय,रामबदन उपाध्याय शामिल हैं।इन शहीदों की याद में हर साल 18 अगस्त को शहीद दिवस मनाया जाता है।

बता दें कि 14 अगस्त 1942 को शेरपुर गांव के रहने वाले जमुना गिरी के नेतृत्व में युवाओं ने गौसपुर हवाई अड्डा पहुंचकर उसमें आग लगा दी थी।तब सुरक्षा में तैनात अंग्रेज सिपाहियो ने फायरिंग शुरू कर दी थी।इस फायरिंग में जमुना गिरी घायल हो गए थे और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।इस आंदोलन का असर युवाओं पर पड़ा और फिर 18 अगस्त 1942 को डॉक्टर शिवपूजन राय के नेतृत्व में गांव के युवाओं का जत्था आजादी का तिरंगा फहराने के लिए निकल पड़ा।आंदोलनकारी युवा पास के ही बड़की बारी गांव के पास एकत्र हुए और वहां से निहत्थे तिरंगा लेकर तहसील मुख्यालय की तरफ कूच किया फिर तहसील भवन पर तिरंगा झंडा फहराने के लिए चढ़ने लगे।इसकी जानकारी होने पर तत्कालीन तहसीलदार ने पहले आंदोलनकारियों को झंडा फहराने से रोका,लेकिन जब आंदोलनकारी नहीं माने तो उन पर गोली चलाने का आदेश दे दिया।गोलियां चलती रहीं, उसके बाद भी आंदोलनकारी आगे बढ़ते रहे और अंततः गोलियां खाकर भी उन्होंने तिरंगे को तहसील भवन पर लहरा दिया।इस फायरिंग में सीताराम राय बुरी तरह से जख्मी हो गए थे,अंग्रेजों ने सीताराम राय को मृत समझ लिया था।फिर उनको ले जाकर पास के बेसो नदी में फेंक दिया गया था, लेकिन वो काफी दिनों तक जीवित भी रहे।लोग सीताराम राय को जिंदा शहीद के नाम से जानते हैं। 

18 अगस्त वही दिन है,जिस दिन वीर सपूतों ने तिरंगा लहराया था।शहीदों की याद में हर साल शहीद दिवस का कार्यक्रम आयोजित होता है।इस बार भी इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।गाजीपुर को शहीदों की धरती के तौर पर भी जाना जाता है।


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