आगरा। उत्तर प्रदेश के आगरा में यमुना नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है।दिल्ली और हरियाणा में भारी बारिश के बाद हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़े जाने से यमुना लगातार उफान पर है।मोहब्बत की निशानी ताजमहल पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।यमुना का पानी ताजमहल के पीछे बनी दीवारों तक पहुंच गया है।पिछले 45 साल में यह पहली बार है जब यमुना का पानी ताजमहल के इतने करीब आया है।
खतरे के निशान की ओर बढ़ रही यमुना
यमुना का जलस्तर 495.5 फीट के स्तर पर पहुंचने वाला है, जो 2023 में आए बाढ़ के लेवल के पास है।तब यमुना का पानी ताजमहल की दीवारों से टकराया था।यहां पर हाई फ्लड लेवल 508 फीट है।संकेत मिल रहे हैं कि जलस्तर अभी और बढ़ेगा।बढ़ते खतरे को देखते हुए ताजमहल की सुरक्षा में लगी सीआईएसएफ ने अपने शिविर को पीछे हटा लिया है और बाढ़ प्रभावित क्षेत्र को बंद कर दिया गया है।
कई गांवों में अलर्ट जारी
यमुना के बढ़ते जलस्तर से आगरा और आसपास के इलाकों में दहशत का माहौल है।प्रशासन ने एहतियातन आगरा के लगभग 40 गांवों में अलर्ट जारी कर दिया है।लोगों को यमुना की तरफ न जाने की सख्त हिदायत दी गई है।यमुना का पानी खेतों में भी घुस रहा है। 80-85 किलोमीटर दूर तीर्थ स्थल बटेश्वर में भी घाट की सीढ़ियां डूब गई हैं और वहां स्नान करने पर रोक लगा दी गई है।
लोग 1978 की भयावह बाढ़ को कर रहे हैं याद
स्थानीय लोग 1978 की भीषण बाढ़ को याद कर रहे हैं। यमुना का जलस्तर 508 फीट तक पहुंच गया था और पानी ताजमहल के गेट तक आ गया था।उस समय कई मंदिर भी डूब गए थे।हालांकि उतनी बड़ी बाढ़ अब तक नहीं आई है, लेकिन वर्तमान हालात खतरे की ओर इशारा कर रहे हैं। फिलहाल पुरातत्व विभाग का कहना है कि ताजमहल को कोई खतरा नहीं है, क्योंकि इसका निर्माण ऊंचे चबूतरे पर किया गया था और बाढ़ को ध्यान में रखकर ही इसे डिजाइन किया गया था।फिर भी स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है।
ताजनगरी में बढ़ा दहशत का माहौल
यमुना का पानी ताजनगरी के कई इलाकों में घुस गया है। यमुना के किनारे रोड पर पानी भर गया है,यातायात प्रभावित हुआ है।यमुना के किनारे स्थित कई घाट पूरी तरह से डूब गए हैं।स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है क्योंकि 1978 की भीषण बाढ़ के बाद ऐसी स्थिति पहली बार देखने को मिली है।प्रशासन और पुलिस की टीमें मिलकर हालात पर काबू पाने की कोशिश कर रही हैं।
मथुरा में भी अलर्ट
मथुरा जिले में लगातार यमुना का जलस्तर खतरे के निशान की ओर बढ़ रहा है।ऐसे में गोकुल बैराज के 22 गेट खोल दिए गए हैं। 82 हजार क्यूसेक पानी लगातार गोकुल बैराज से आगरा की ओर डिस्चार्ज किया जा रहा है।विश्राम घाट पूरी तरह से यमुना के पानी में डूब चुका है।मान्यता है कि श्रीकृष्ण के जन्म के बाद इसी घाट से वासुदेव जी उन्हें लेकर गए थे।