नई दिल्ली।उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। चंद्रशेखर ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त सेवानिवृत्ति के बाद किसी राजनीतिक दल में शामिल हो सकते हैं।चंद्रशेखर ने बिहार में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले जारी SIR पर सवाल उठाते हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों पर भी संदेह जताया है।
सांसद चंद्रशेखर आजाद ने संसद परिसर में मुख्य चुनाव आयुक्त पर यह टिप्पणी की। चंद्रशेखर ने कहा कि उनकी भाषा एक जिम्मेदार अधिकारी की नहीं,बल्कि एक नेता की थी।चंद्रशेखर ने बिहार में मतदाता सूची से नाम हटाने पर सवाल उठाए और पूछा कि लोकसभा चुनाव के बाद यह प्रक्रिया क्यों हो रही है।
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव के बाद यह प्रक्रिया हो रही है,तो क्या लोकसभा चुनाव में रिपोर्ट गलत थी,या अब गलत है।चंद्रशेखर ने सवाल किया कि क्या चुनाव को प्रभावित करने के लिए ऐसा किया गया,किसी भी चुनाव से पहले मतदाता सूची की जांच होती है।बिहार में लोकसभा चुनाव हुए और उसके ठीक एक साल बाद आप 65 लाख मतदाताओं के नाम हटा देते हैं, तो सवाल उठता है कि क्या आपकी रिपोर्ट तब गलत थी या अब गलत है, क्या विधानसभा चुनाव को प्रभावित करने के लिए ऐसा किया गया है।
चंद्रशेखर आजाद ने चुनाव आयुक्त की जवाबदेही पर भी प्रश्नचिह्न लगाया। चंद्रशेखर ने कहा कि देश यह देख रहा है कि चुनाव आयुक्त कब जवाबदेह होंगे और कब डेटा देंगे।मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि सेवानिवृत्ति के बाद वह किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाएंगे। चंद्रशेखर ने यह भी दावा किया कि चुनाव आयुक्त सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद एक राजनीतिक पार्टी में शामिल होंगे।
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि चुनाव आयुक्त की भाषा एक जिम्मेदार अधिकारी की नहीं बल्कि एक नेता की थी।मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि चुनाव आयुक्त अपनी सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद एक राजनीतिक पार्टी में शामिल होंगे क्योंकि उनकी भाषा एक जिम्मेदार अधिकारी की नहीं बल्कि एक नेता की थी। सवाल यह है कि चुनाव आयुक्त कब जवाबदेह होंगे, कब वह डेटा देंगे, देश यह देख रहा है।
चंद्रशेखर आजाद के इन आरोपों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।विपक्षी दल पहले से ही निर्वाचन आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। चंद्रशेखर के आरोपों के बाद चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं। लोगों का कहना है कि चुनाव आयोग को अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए इन आरोपों का स्पष्टीकरण देना चाहिए। चंद्रशेखर के बयान के बाद सियासी दलों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। कुछ दलों ने चंद्रशेखर के आरोपों का समर्थन किया है, जबकि कुछ दलों ने इसे निराधार बताया है।