जलालाबाद तहसील अब कहलाएगी परशुरामपुरी,केंद्र सरकार ने दी मंजूरी
धनंजय सिंह | 20 Aug 2025
शाहजहांपुर।मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शाहजहांपुर का नाम बदलने की मांग की थी।उमा भारती ने कहा था कि शाहजहांपुर नाम गुलामी के दौर का है।इसे तत्काल बदल दिया जाना चाहिए।इस बीच शाहजहांपुर जिले की जलालाबाद तहसील का नाम बदल दिया गया है।जलालाबाद को उसके पुराने नाम से नहीं पुकारा जाएगा।केंद्र सरकार ने मंजूरी देते हुए आधिकारिक रूप से जलालाबाद का नाम बदलकर परशुरामपुरी कर दिया है।गृह मंत्रालय की ओर से जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि इस प्रस्ताव पर केंद्र को कोई आपत्ति नहीं है।इसके बाद जिला प्रशासन को निर्देश भेजे गए हैं और गजट नोटिफिकेशन जारी कर नाम परिवर्तन लागू कर दिया गया है।
इस ऐतिहासिक फैसले की जानकारी केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने सोशल मीडिया पर भी शेयर की है।जितिन प्रसाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के प्रति आभार जताते हुए कहा कि यह कदम संस्कृति और आस्था को सम्मान देने वाला है।जितिन प्रसाद ने कहा कि शाहजहांपुर स्थित जलालाबाद का नाम बदलकर परशुरामपुरी कर दिए जाने पर माननीय गृह मंत्री जी का हार्दिक धन्यवाद। यह निर्णय हमारी परंपरा को नई पहचान देने वाला है।
गृह मंत्रालय के पत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सर्वे ऑफ इंडिया का भी जिक्र है।इसमें नए नाम की वर्तनी देवनागरी और रोमन दोनों लिपियों में तय की गई है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार के प्रस्ताव को केंद्र की स्वीकृति मिलने के बाद अब सभी विभागों और प्रशासनिक अभिलेखों में परशुरामपुरी नाम का उपयोग किया जाएगा। फैसले के बाद कस्बे में खुशी का माहौल है।
लोगों का कहना है कि इस बदलाव से क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बल मिलेगा।भाजपा कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह मिठाइयां बांटकर जश्न मनाया। बता दें कि योगी सरकार में इससे पहले भी प्रयागराज,फैजाबाद और मुगलसराय का नाम बदला जा चुका है।अब जलालाबाद का नया नाम परशुरामपुरी भी इस सूची में जुड़ गया है।
बता दें कि भगवान परशुराम की यह नगरी आसपास क्षेत्र में ही नहीं बल्कि दूरदराज जनपदों के लोगों की आस्था से जुड़ी रही है। इस नगर का नाम परशुरामपुरी घोषित किए जाने की मांग भी लंबे समय से चली आ रही था। 24 अप्रैल 2022 को घोषित हुई परशुराम की जन्मस्थली भगवान परशुराम की इस नगरी को शासन की ओर से 24 अप्रैल 2022 को जन्मस्थली घोषित किया गया था। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने मंदिर प्रांगण में आयोजित सभा में इसकी घोषणा की थी। इस दौरान उन्होंने मंदिर प्रांगण का सुंदरीकरण करते हुए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कराने का वादा भी किया था।
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