नई दिल्ली।उफान पर आई यमुना ने न केवल लोगों को बेघर किया,बल्कि किसानों की सारी फसलों को भी बर्बाद कर दिया है।किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ा है।किसान सवाल पूछ रहे हैं कि यमुना तूने ये क्या किया।ऐसे में अब यमुना खादर,चिल्ला,पुराना उस्मानपुर,गढ़ी मांडू और सोनिया विहार के किसान यमुना का जलस्तर कम होने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि वह फिर से खेतों में लौट सके और नई फसलें बो सकें। यमुना डूब क्षेत्र में किसान अधिकतर सब्जी की फसलें उगा रखे थे।इनमें बैंगन,भिंडी,लौकी,मूली,गाजर,टमाटर,गोभी, मटर,आलू,प्याज और मिर्च समेत अन्य फसलें शामिल थीं।
लोन और उधार लेकर उगाते हैं फसल
किसानों ने बताया कि वह फसलें उगाने के लिए जमीन को पट्टे पर लेते हैं,इसके लिए वह अपने रिश्तेदारों,दोस्तों और बैंकों से लोन लेते हैं।दिन-रात मेहनत कर फसल उगाते हैं।किसानों क कहना है कि उगाई हुई फसलों में से कुछ हिस्सा वह अपनी जरूरतों के मुताबिक रख लेते हैं,बाकी कि फसलें वह पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेस-1, मयूर विहार फेस-2, पांडव नगर, त्रिलोकपुरी, लक्ष्मी नगर, शकरपुर, गाजीपुर अनाज मंडी और अन्य इलाको में बेच देते हैं।ऐसे ही उनका घर परिवार चलता है।फसल बेचकर जो पैसे आते हैं, उसी से ब्याज और उधार के पैसे देते हैं,लेकिन बाढ़ ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है। उन्हें सड़क पर लाने के साथ-साथ कर्जदार भी बना दिया है।
सुरक्षा के नहीं हैं ठीक इंतजाम
यमुना खादर की महिला किसानों का आरोप है कि सरकार की ओर से जो टेंट लगाए गए हैं, उनमें सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। रात के समय बाहरी व्यक्ति यहां आकर शराब का सेवन करते हैं और शराब की बोतलों को सड़क पर फेंक देते हैं। नशे की हालत में कुछ लोग शिविरों के अंदर ताका-झांकी करते हैं। ऐसे में उन्हें डर लगा रहता है कि कुछ अनहोनी न हो जाए।
किसान आशाराम का कहना है कि इस बार मैंने मक्के की खेती की थी,इसके लिए किराये पर खेत लिया था,उसमें अच्छी फसलें भी उग आई थी, लेकिन बाढ़ से सब फसलें बर्बाद हो गईं। साथ ही अब सर पर कर्ज भी हो गया है।
किसान राम स्नेह कहती हैं कि सारा सामान यमुना में डूब चुका है।कई महीनों तक दिन-रात मेहनत करते हुए फसल उगाई थी, वह भी बर्बाद हो गई हैं। अब खेतों का पानी कम होगा, तो फिर से फसल उगाऊंगी।
किसान प्रेम मति कहती हैं कि रात के समय कुछ बाहरी लोग यहां पर आकर शराब का सेवन करते हैं। उसके बाद शराब की बोतलेें पुल के नीचे फेंक देते हैं। कुछ लोग शराब के नशे में इधर-उधर घूमते रहते हैं।
किसान मदरी केवट का कहना है कि इस बार बैंगन और भिंडी उगाई थी, वह भी पानी में डूब कर खत्म हो गए हैं। खाने-पीने के लिए भी पर्याप्त चीजें नहीं हैं। छोटे-छोटे बच्चे साथ में हैं। सारा परिवार सड़क पर आ चुका है।