कानपुर।दिल्लीवासियों को अगले तीन दिन में प्रदूषण से राहत मिल जाएगी। रेखा गुप्ता सरकार की मदद से कानपुर आईआईटी अगले तीन दिन में कृत्रिम बारिश कराने की तैयारी कर रहा है।इसमें इस्तेमाल होने वाले एयरक्राफ्ट ने गुरुवार को कानपुर से दिल्ली और दिल्ली से वापस कानपुर की ट्रायल उड़ान भी भरी।विमान कृत्रिम बारिश के लिए जरूरी उपकरण और रसायनों के मिश्रण के साथ तैयार है।नागरिक उड्डयन मंत्रालय और दिल्ली सरकार ने इसकी अनुमति दे दी है।
कानपुर आईआईटी के निदेशक प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से लोगों को राहत दिलाने के लिए कृत्रिम बारिश कराने को कहा गया है।इसके लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय और दिल्ली सरकार ने अनुमति प्रदान कर दी है। प्रो. अग्रवाल ने बताया कि कृत्रिम बारिश के लिए संस्थान में मौजूद विमान का प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए विमान पूरी तरह तैयार है।
प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि गुरुवार को विमान ने कानपुर से दिल्ली के लिए उड़ान भरी,वहां कृत्रिम बारिश के लिए रिहर्सल भी किया। इसके बाद विमान वापस कानपुर लौट आया है।वैज्ञानिकों की टीम ने भी रिहर्सल कर तैयारी पूरी कर ली है। अब सिर्फ बादलों के आने का इंतजार है,बादल आते ही दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराई जाएगी।
प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि कृत्रिम बारिश के लिए सिल्वर आयोडाइड,नमक जैसे कई केमिकल को मिलाकर एक मिश्रण तैयार किया जाता है। इसके बाद एक विमान की विंग में उपकरण लगाकर इस मिश्रण को भरा जाता है। विमान से बादलों के बीच जाकर फायर के साथ केमिकल का छिड़काव करने से बारिश होती है। इस तकनीक से लगभग 100 किलोमीटर के दायरे में बारिश होगी।
जानें कृत्रिम बारिश के बारे में
बता दें कि कृत्रिम बारिश एक ऐसी प्रक्रिया है,जिसमें रासायनिक पदार्थों की सहायता से बादलों से कृत्रिम रूप से वर्षा कराई जाती है।जब प्राकृतिक बारिश नहीं होती या बहुत कम होती है,तब सूखे की स्थिति से राहत पाने को कृत्रिम बारिश कराई जाती है।
इसमें प्रयुक्त होने वाले रसायन
बता दें कि कृत्रिम बारिश कराने के लिए इसमें सिल्वर आयोडाइड,सोडियम क्लोराइड या पोटैशियम आयोडाइड जैसे रसायनों का उपयोग किया जाता है।विमान या रॉकेट द्वारा इन रसायनों को बादलों में छोड़ा जाता है,ये रसायन बादलों में मौजूद जलवाष्प को संघनित कर देते हैं।जल की बूंदें बड़ी होकर बारिश के रूप में गिरती हैं।
जानें कब-कब उपयोगी
सूखे प्रभावित क्षेत्रों में,प्रदूषण घटाने के लिए,फसलों को बचाने के लिए।
भारत में कहां-कहां हुआ प्रयोग
महाराष्ट्र,कर्नाटक,तमिलनाडु और दिल्ली में कृत्रिम बारिश के प्रयोग किए गए हैं।