मथुरा।उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में कल मंगलवार को बलदेव थाना क्षेत्र में यमुना एक्सप्रेसवे पर घने कोहरे से भीषण सड़क हादसा हुआ।इस भीषण हादसे में यात्रियों की मौत के बाद यमुना एक्सप्रेसवे पर शून्य दृश्यता में वाहनों के संचालन पर सवाल खड़े हो गए हैं।एक्सप्रेसवे पर बीते 11 सालों में हुए हादसों में 75 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है, और 665 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।कोहरे से सिर्फ यमुना एक्सप्रेसवे पर ही 338 सड़क दुघर्टनाएं हो चुकी हैं। सड़क सुरक्षा से जुड़ी कमेटियों के विशेषज्ञों ने हादसे की फॉरेंसिक जांच के साथ शून्य दृश्यता में एक्सप्रेसवे पर वाहनों का संचालन बंद करने की मांग की है।इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर करने की तैयारी है।
यमुना एक्सप्रेसवे पर 12 बसों और तीन कारों के आपस में टकराने और उनमें आग लगने के बाद सड़क सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं।एक्सप्रेसवे की इंजीनियरिंग के साथ कोहरे में वाहनों की रफ्तार कम करने और शून्य दृश्यता में संचालन पूरी तरह से रोक देने का सुझाव दिया गया है।सड़क सुरक्षा समिति से जुड़े और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता केसी जैन ने कहा कि वह शून्य दृश्यता में एक्सप्रेसवे पर कुछ घंटों के लिए यातायात पूरी तरह से बंद करने की याचिका दायर करेंगे।आंखों पर सफेद पट्टी बांधने की तरह ही कोहरे में जब कुछ नहीं दिखता तो संचालन क्यों किया जाना चाहिए।एक्सप्रेसवे पर प्रवेश नियंत्रित किया जा सकता है। वह सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका में ये मांग करेंगे।
कोहरे में रफ्तार बन गई जानलेवा
यमुना एक्सप्रेसवे पर कोहरे में वाहनों के पीछे से टकराने के मामले अधिक हैं।सड़क हादसों के आंकड़ों के मुताबिक साल 2012 से लेकर 2023 तक घने कोहरे से यमुना एक्सप्रेसवे पर ही 338 सड़क दुघर्टनाएं हो चुकी हैं,इनमें 75 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और 665 से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए।आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और नेशनल हाईवे का आंकड़ा जोड़ा जाए तो हालत बहुत भयावह है।अधिवक्ता केसी जैन के मुताबिक मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 115 में राज्य सरकार सुरक्षा, सुविधा के लिए सड़क पर आवागमन नियंत्रित या अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर सकती है। घने कोहरे में जब शून्य दृश्यता हो तो आवागमन बंद किया जाना चाहिए।
जानें सड़क सुरक्षा समिति के सदस्य ने क्या बताया
सड़क सुरक्षा समिति के सदस्य डॉक्टर संजय चतुर्वेदी ने बताया कि यमुना एक्सप्रेसवे पर इस हादसे की पूरी फॉरेंसिक जांच की जरूरत है ताकि टकराने के बाद आग लगने की जानकारी हो सके।यह ऐसा हादसा है,जिससे सबक सीखना होगा। यह इंजीनियरिंग नहीं,बल्कि कोहरे में संचालन व्यवहार में लापरवाही का मामला लगता है। विस्तृत रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
जानें सुनामी ऑन रोड्स संस्था के अध्यक्ष ने क्या बताया
सुनामी ऑन रोड्स संस्था के अध्यक्ष डॉक्टर संजय कुलश्रेष्ठ ने बताया कि घने कोहरे में और हादसे न हों,इसलिए वाहन तुरंत हटाने की व्यवस्था होनी चाहिए।एलईडी,रिफ्लेक्टर टेप के बिना कोई गाड़ी एक्सप्रेसवे और हाईवे पर न जाए,यह संबंधित अथॉरिटी की जिम्मेदारी है,जिसमें लापरवाही बरती गई है। कोहरे में गाड़ियों को चलाने की एसओपी का सख्ती से पालन कराया जाए।