गोरखपुर।उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और बस्ती मंडल के सभी जिलों में विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण (एफआईआर) अभियान के तहत गणना प्रपत्र भरने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।अब तक सामने आए आंकड़ों के मुताबिक दोनों मंडलों में कुल मतदाताओं के 18.08 प्रतिशत यानी 28 लाख 86 हजार 473 नाम मतदाता सूची से हटाए जाएंगे।
इन मतदाताओं को अबसेंट,शिफ्टेड,डुप्लीकेट और डेड श्रेणी में रखा गया है
इन मतदाताओं को अबसेंट,शिफ्टेड,डुप्लीकेट और डेड (एएसडीडी) श्रेणी में रखा गया है।हालांकि जिलों में ड्राफ्ट सूची का सत्यापन जारी है,लेकिन आंकड़ों में बड़े बदलाव की संभावना नहीं जताई जा रही है।अब तक के आंकड़ों के मुताबिक सिद्धार्थनगर जिले में सबसे अधिक 20.65 फीसदी मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाएंगे। इसके बाद संतकबीरनगर में 20.36 फीसदी मतदाता डिलीट श्रेणी में आए हैं।
गोरखपुर जिले में 17.64 फीसदी मतदाताओं के नाम हटेंगे
गोरखपुर जिले में 17.64 फीसदी मतदाताओं के नाम हटेंगे, जबकि महराजगंज में यह आंकड़ा सबसे कम 15.27 फीसदी रहा है।डिलीट होने वाले नामों में सबसे अधिक संख्या शिफ्टेड मतदाताओं की है।इसके अलावा पांच लाख से अधिक ऐसे मतदाता भी चिह्नित किए गए हैं,जिनकी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उनके नाम अब तक सूची में दर्ज थे।
महराजगंज की मतदाता सूची सबसे सटीक
महराजगंज जिले की मतदाता सूची सबसे अधिक दुरुस्त पाई गई है।यहां डिलीट किए जाने वाले मतदाताओं की संख्या अन्य जिलों की तुलना में कम है।यही कारण है कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में महराजगंज का मतदान प्रतिशत गोरखपुर–बस्ती मंडल में हमेशा बेहतर रहा है।
सिद्धार्थनगर में परदेसियों के नाम कटे
आंकड़ों पर नजर डालें तो आकांक्षी जिला सिद्धार्थनगर में सबसे अधिक बोगस मतदाता सामने आए हैं।रोजगार के सिलसिले में इस जिले के बड़ी संख्या में परिवार महानगरों में बस चुके हैं।गांव से भावनात्मक जुड़ाव बना रहने के कारण उनके नाम दोनों स्थानों की मतदाता सूचियों में दर्ज थे। एसआईआर के दौरान अधिकांश लोगों ने वहीं का मतदाता बने रहना उचित समझा,जहां वे अधिक समय निवास कर रहे हैं। परिणामस्वरूप गांवों की सूची से उनके नाम हटाए गए।यही स्थिति संतकबीरनगर जिले में भी देखने को मिली। कुल मतदाताओं की बात करें तो संतकबीरनगर में लगभग 13.37 लाख और सिद्धार्थनगर में 19.61 लाख मतदाता दर्ज हैं। सातों जिलों में सबसे अधिक मतदाता गोरखपुर जिले में हैं, जहां 36.66 लाख नाम दर्ज थे। लगभग 6.46 लाख नाम हटने के बाद यह संख्या 30 लाख के आसपास रह जाएगी।