मथुरा।कोहरे की चादर में लिपटे यमुना एक्सप्रेसवे पर हुए भीषण सड़क हादसे में मां की ममता और साहस की कहानी ने हर आंख नम कर दीं।आग की लपटों में घिरी इस मां ने बस की खिड़की से धकेल कर दोनों बच्चों को तो बचा लिया, लेकिन खुद नहीं बच सकी।अब उसकी शिनाख्त डीएनए से होगी।पति बच्चों को लेकर अस्पताल तो कभी पोस्टमार्टम हाउस का चक्कर लगाता रहा,हालांकि उनकी सैंपलिंग हो चुकी है।
बता दें कि यमुना एक्सप्रेसवे पर मंगलवार तड़के हुआ भीषण हादसे का पार्वती शिकार हो गई थी।पार्वती हमीरपुर जिले के राठ की रहने वाली थी।पार्वती अपने बच्चों 12 वर्षीय प्राची और 8 वर्षीय सनी के साथ डबल डेकर बस से नोएडा अपने पति गोविंद के पास जा रही थी।रास्ते में पार्वती हादसे का शिकार हो गई।इस हादसे में पार्वती ने दोनों बच्चों को बचा लिया।बस की खिड़की का कांच तोड़कर बच्चों को बाहर निकाल दिया, जबकि खुद आग की लपटों में फंस गई और जिंदा जल गई। पार्वती के शव की पहचान के लिए बेटी प्राची का डीएनए सैंपल लिया गया है।डीएनए रिपोर्ट आने के बाद अब पार्वती के शव की पहचान हो सकेगी।डीएनए रिपोर्ट लगभग एक सप्ताह में आएगी।पति गोविंद और दोनों बच्चे इधर-उधर घूमकर रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहे हैं।
पार्वती का पति है राजमिस्त्री
नोएडा के सेक्टर-87 में किराए के मकान में रहने वाले गोविंद राजमिस्त्री है।गोविन्द ने बताया कि सोमवार शाम छह बजे उनकी पत्नी दोनों बच्चों के साथ स्लीपर बस में सवार होकर उनके पास लौट रही थी।हादसे के बाद बच्चे किसी दूसरी बस से किसी तरह घर पहुंच गए।बेटी प्राची की कमर में गंभीर चोट है,बेटे सनी के सिर में चोट आई है।पार्वती का मोबाइल फोन लगातार बंद आ रहा है।
जिला अस्पताल से 33 घायलों को मिली छुट्टी,अन्य की हालत में सुधार
जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों की छुट्टी का सिलसिला बुधवार को शुरू हो गया।बुधवार को 30 मरीजों की छुट्टी हो गई जबकि तीन को एसएन मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर दिया।तीन मरीज ऐसे हैं जिनका उपचार जिला अस्पताल में चल रहा है।राहत की बात यह है कि वर्तमान में कोई भी मरीज गंभीर हालत में नहीं है।
मरीजों की निगरानी कर रही है डॉक्टरों की टीम
जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. नीरज अग्रवाल ने बताया कि सभी घायलों को आवश्यक चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।डॉक्टरों की टीम लगातार मरीजों की निगरानी कर रही है और दवाइयों के साथ जरूरी जांचें की जा रही हैं। मंगलवार को दुर्घटना की जानकारी मिलने के बाद प्रशासनिक मशीनरी भी अस्पताल पहुंची और घायलों का हालचाल जाना।अधिकारियों ने चिकित्सकों को बेहतर इलाज सुनिश्चित करने के निर्देश दिए और घायलों के परिजनों से बातचीत कर हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने बताया कि बुधवार को जिला अस्पताल में भर्ती 36 मरीजों में से 30 मरीजों की छुट्टी करके उन्हें एंबुलेंस से घर भेजा गया। जबकि 3 मरीजों की स्थिति गंभीर होने पर उन्हें शाम को एसएन मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया। अब जिला अस्पताल में तीन मरीज हैं जिनका उपचार चल रहा है। स्थिति में सुधार होने पर उनकी छुट्टी करके घर भेजा जाएगा।
सीएमएस कक्ष में डटे रहे प्रशासनिक अधिकारी
हादसे के दूसरे दिन प्रशासनिक अधिकारियों ने जिला अस्पताल में डेरा डाल दिया।सीएमएस कार्यालय में बैठकर उन्होंने मरीजों के घर जाने की व्यवस्था कराई।बुधवार को सुबह से ही एसडीएम सदर अभिनव जे जैन,एडीएम नमामि गंगे राजेश यादव,डिप्टी कलेक्टर नरेंद्र यादव,ऊषा समेत अन्य अधिकारी जिला अस्पताल पहुंच गए।सीएमएस डॉ. नीरज अग्रवाल के कक्ष में सभी अधिकारी बैठे रहे और घायलों के परिजन से बातचीत की। बातचीत के बाद जिन मरीजों की हालत ठीक थी उनको घर जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की।