नई दिल्ली।फिल्म धुरंधर से बलूचिस्तान फिर से लाइमलाइट में आ गया है।धुरंधर कराची के ल्यारी इलाके के बैकग्राउंड पर बनी है,जहां पहले बलूच कम्युनिटी का दबदबा था,लेकिन बहुत से लोग यही नहीं जानते कि स्क्रीन पर चर्चा का विषय बनने से बहुत पहले ही बलूचिस्तान ने पर्दे के पीछे से बॉलीवुड को आकार दे दिया था।बलूचिस्तान ने बॉलीवुड को कई स्टार्स दिए, कुछ ने अभिनय की दुनिया में अपना जलवा दिखाया तो कुछ ऐसे राइटर जिन्होंने हिंदी सिनेमा को सबसे ज़्यादा पॉपुलर डायलॉग दिए।
सुरेश ओबेरॉय
1946 में क्वेटा में जन्मे सुरेश ओबेरॉय का परिवार भारत आ गया,जहां ओबेरॉय ने फिल्म सेट से बहुत दूर रेडियो और मॉडलिंग से अपना करियर शुरू किया।जब सुरेश ओबेरॉय ने बॉलीवुड में एंट्री की तो वे इसके सबसे भरोसेमंद चेहरों में से एक बन गए। 135 से अधिक फिल्मों में सुरेश ओबेरॉय ने पुलिस ऑफिसर,हीरो या हीरोइन के पिता,मेंटर और मोरल एंकर के रोल आसानी से निभाए।पंजाबी,पश्तो,हिंदी,उर्दू और इंग्लिश समेत कई भाषाओं में माहिर ओबेरॉय की संस्कृति में उनकी जड़ों की झलक दिखती थी।बाद में सुरेश ओबेरॉय ने 2004 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर राजनीति में भी कदम रखा,इससे साबित हुआ कि सुरेश ओबेरॉय का असर सिनेमा से कहीं ज़्यादा है।
कादर खान
बहुत कम लोगों ने बॉलीवुड की भाषा को उस तरह से बनाया है,जैसा कादर खान ने बनाया।कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर 1937 को काबुल में एक पश्तून परिवार में हुआ था।उनकी जड़ें पिशिन,बलूचिस्तान से जुड़ी हैं।कादर खान मुंबई चले गए और सिविल इंजीनियरिंग प्रोफेसर के तौर पर जिंदगी शुरू की। 1973 की फिल्म दाग से अपना एक्टिंग करियर शुरू करने वाले कादर खान ने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया।कादर खान ने 250 से ज़्यादा फिल्मों के लिए डायलॉग भी लिखे,कई फिल्मफेयर ट्रॉफी और 2019 में मरणोपरांत पद्मश्री से सम्मानित कादर खान बॉलीवुड के बेहतरीन कलाकारों में से एक रहे।
अमजद खान
1940 में क्वेटा में जन्मे अमजद खान शोले में गब्बर सिंह की भूमिका से अमर हो गए।अमजद खान ने 130 से ज्यादा फिल्मों में काम किया।अमजद खान ने रेंज,इंटेंसिटी और डायलॉग डिलीवरी पर एक अनोखी पकड़ दिखाई।अमजद खान ने बॉलीवुड के विलेन को यादगार बना दिया,उनकी आवाज और स्क्रीन प्रेजेंस ने हिंदी फिल्मों के विलेन को नया रूप दिया,जिससे विलेन ज़्यादा लेयर वाले और यादगार बन गए।अमजद खान भारत के सबसे पॉपुलर एक्टर्स में से एक बने।
राज कुमार
1926 में लोरलाई में कुलभूषण पंडित के तौर पर जन्म लेने वाले राजकुमार का सिनेमा का सफ़र बिल्कुल भी पारंपरिक नहीं था। राजकुमार मुंबई पुलिस में रहे फिर फिल्मों की दुनिया में कदम रखा।अपनी दमदार पर्सनेलिटी और शानदार डायलॉग्स से राजकुमार बड़े पर्दे पर छा गए।
वीना कुमारी (ताजौर सुल्ताना)
क्वेटा में जन्मी वीना कुमारी 1940 और 1950 के दशक में हिंदी और उर्दू सिनेमा के चमकदार चेहरों में से एक थीं.।अपनी शालीनता और प्रभावशाली परफॉर्मेंस के लिए जानी जाने वाली वीना कुमारी उस सुनहरे दौर का हिस्सा थीं,जिसने भारतीय सिनेमा की नींव रखी जैसा कि हम आज जानते हैं।
ज़ेबा बख्तियार
बलूचिस्तान से जुड़ी ज़ेबा बख्तियार ने आसानी से दो फिल्म इंडस्ट्री को जोड़ा।हालांकि जेबा बख्तियार एक मशहूर पाकिस्तानी फिल्म और टेलीविजन अभिनेत्री, निर्माता और निर्देशक हैं।जेबा बख्तियार को हिना में अपनी भूमिका के लिए पहचान मिली,जिसने उन्हें भारतीय दर्शकों के लिए एक जाना-पहचाना चेहरा बना दिया।पाकिस्तानी टेलीविजन में जेबा बख्तियार के काम ने सीमाओं के पार उनकी विरासत को मजबूत किया।