शरद संक्रांति कब है,साल में सबसे लंबी होगी ये रात,जानें अगले दिन से किसकी होगी शुरुआत
धनंजय सिंह | 20 Dec 2025
गोरखपुर।उत्तरी गोलार्ध में कल रविवार को साल की सबसे लंबी रात होगी।इस दिन शीतकालीन संक्रांति से दिन सबसे कम और रात सबसे अधिक होगी।वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला तारामंडल के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि इस खगोलीय घटना के चलते भारत में दिन लगभग 10 घंटे 26 मिनट का होगा और 13 घंटे 34 मिनट की रात होगी। इसके बाद उत्तरी गोलार्ध में लंबे दिन और छोटी रात होने की शुरुआत हो जाएगी।इसे विंटर सोलस्टिस के अलावा शरद संक्रांति, दिसंबर संक्रांति व शीत अयनांत या हिंदी में सूर्य का स्थिर होना भी कहते हैं।
अमर पाल सिंह ने बताया कि ऋतुएं पृथ्वी की सूर्य से दूरी के अनुसार नहीं बदलतीं,बल्कि पृथ्वी के सूर्य की ओर और सूर्य से दूर झुकाव के कारण बदलती हैं।उन्होंने बताया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है और इसी झुकाव के साथ सूर्य की परिक्रमा करती है। जब पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव सूर्य से दूर अपने अधिकतम झुकाव पर पहुंचता है, तब उत्तरी गोलार्ध में शीतकालीन संक्रांति होती है। इस दौरान सूर्य आकाश में अपनी न्यूनतम ऊंचाई पर दिखाई देता है, जिससे दिन छोटे और रातें लंबी हो जाती हैं।
अमर पाल सिंह का कहना है कि शीतकालीन संक्रांति वर्ष में दो बार होती है-एक बार उत्तरी और एक बार दक्षिणी गोलार्ध में,जिस गोलार्ध में यह घटना होती है,वहां उस दिन सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती है।इसके विपरीत स्थिति को ग्रीष्म संक्रांति कहा जाता है।
बता दें साल 2025 में शीतकालीन संक्रांति कल रविवार को पड़ेगी।यह खगोलीय क्षण रात 8:33 बजे पर घटित होगा। इसके बाद उत्तरी गोलार्ध में दिन की अवधि धीरे-धीरे बढ़ने लगेगी और रात छोटी होने लगेगी।शीतकालीन संक्रांति प्राचीन काल से ही विभिन्न सभ्यताओं में महत्वपूर्ण मानी जाती रही है,इसे कई संस्कृतियों में पर्व और अनुष्ठानों से जोड़ा गया है। वैज्ञानिक नजरिए से यह पृथ्वी के झुकाव और सूर्य के सापेक्ष उसकी स्थिति का परिणाम है,जो ऋतु परिवर्तन का आधार बनता है।
बता दें कि भारतीय परंपरा में इस खगोलीय परिवर्तन को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।शीत संक्रांति के बाद सूर्य की उत्तर दिशा में गति को उत्तरायण कहा जाता है।ये सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करने का संकेत देती है और इसके बाद से दिन धीरे-धीरे बड़े होने लगते हैं।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उत्तरायण को शुभ समय की शुरुआत के साथ सकारात्मक ऊर्जा का काल और आध्यात्मिक उन्नति का चरण माना जाता है।
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