रामनगरी में बंदरों की भरमार,नर से दोगुने मादा,आक्रामकता से लोगों में भय,शोध में कई चौंकाने वाले खुलासे


रामनगरी में बंदरों की भरमार,नर से दोगुने मादा,आक्रामकता से लोगों में भय,शोध में कई चौंकाने वाले खुलासे

धनंजय सिंह | 29 Dec 2025

 

अयोध्या।रामनगरी अयोध्या में नरों की तुलना में मादा बंदरों की संख्या दोगुना है।बंदरों की बढ़ती जनसंख्या और उसके प्रबंधन पर किए जा रहे शोध में कई रोचक बातें सामने आई हैं।शोध के जरिये यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि कैसे इनकी जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सकता है,इसके लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए,खान-पान के क्या तरीके अपनाकर मानव-जीव संघर्ष को रोका जा सकता है।बंदरों के प्रबंधन पर यह शोध कार्य अवध विश्वविद्यालय से संबद्ध साकेत महाविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग की ओर से किया जा रहा है।

बंदरों के प्रबंधन पर शोध कर रहे साकेत महाविद्यालय में जीव विज्ञान विभाग के प्रो. डॉक्टर प्रशांत कुमार ने बताया कि शोध के लिए पूरे नगर निगम क्षेत्र को लिया गया है। अब तक जो जानकारी मिल पाई है,उसके अनुसार अयोध्या नगर में इनका वितरण असमान है। उन्होंने बताया कि किसी खास इलाके राम की पैड़ी व आचार्य नरेंद्र देव नगर में इनकी संख्या अधिक है तो राष्ट्रीय राजमार्ग के आसपास के इलाकों में इनकी संख्या या तो कम है या फिर नहीं है। इनके समूह का आकार 15-20 से लेकर 100 से ज्यादा तक देखा गया। हालांकि समूह के आकार का निर्धारण सामूहिक बसावट के समय बड़ी समस्या है। 

डॉ. प्रशांत कुमार ने बताया कि शोध में अब तक जो जानकारियां उपलब्ध हुई हैं उसके अनुसार मादाओं की संख्या नर से दो गुना तक है।इसके अलावा शिशु-वयस्क अनुपात भी तीन गुना से ज्यादा संभव है,प्रजननशील वयस्क भी अप्रजनन शील उम्रदराज की अपेक्षा ज्यादा देखे गए हैं। इससे यह कहा जा सकता है कि निकट भविष्य में इनकी जनसंख्या और तेजी से बढ़ सकती है। 

डाॅ. प्रशांत कुमार ने बताया कि उपलब्ध पुस्तकों तथा शोध सामग्रियों के अध्ययन से यह पता लगता है कि इस दिशा में अब तक कोई ठोस कार्य नहीं किया गया है।यहां तक कि अयोध्या नगर में बंदरों की संख्या व उनकी बसावट के संबंध में भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। बंदरों के प्रबंधन के लिए यह बिंदु काफी महत्वपूर्ण हैं।

डॉ. प्रशांत कुमार ने बताया कि बंदर धार्मिक पुस्तकों में देवताओं के सदृश्य बताए गए हैं।जैव विकास के सिद्धांत के अनुसार बंदर, मनुष्यों से काफी नजदीकी रखते हैं,मनुष्यों की तरह ही ये भी जंतु जगत में अत्यधिक बुद्धिमान और संवेदनशील होते है,इनकी बसावट मनुष्यों की बसावट से मेल खाती नजर आती है।

डॉ. प्रशांत कुमार ने बताया कि विगत कुछ वर्षों में तेज नगरीकरण और वास स्थानों की लगातार होती कमी से समस्या और विकराल रूप लेती जा रही है।फलदार वृक्षों की लगातार होती कमी इन्हें मनुष्यों से विवाद के लिए मजबूर कर रही है। इसलिए नगर में फलदार पौधे लगाए जाने चाहिए।शोध छात्र सुनील कुमार भी इस कार्य में लगे हुए हैं।

डॉ. प्रशांत कुमार ने बताया कि अयोध्या नगर में बंदरों की आबादी काफी अधिक है।चूंकि यहां इनकी जनसंख्या ज्यादा है।इस वजह से इन्हें समस्या के रूप में देखा जाने लगा है। उन्होंने बताया कि घर से सामान लेकर भाग जाने या हमला करने की खबरें भी आती हैं।इससे बचने के लिए लोग अतिरिक्त प्रबंध करते हैं और जालियां लगाते हैं। झटका वाले तार भी लगाते हैं। इससे मकान निर्माण की लागत बढ़ जाती है। यह मानव-जीव संघर्ष की मिसाल है।

बता दें कि जिस जीव में हम देव का प्रतिबिंब देखते हैं,वे आज हमारा जूठन खाने को विवश हैं।बंदरों की समस्या से त्रस्त लोग बंदरों के साथ अमानवीय व्यवहार कर रहे हैं।मानवीय दृष्टि से इस समस्या का हल निकाल कर ही हम अपने आराध्यों का वास्तविक पूजन कर पाएंगे।


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