पिछले कुछ महीनों में लोहे, कपड़े की कीमतों में डेढ़ गुना तक बढ़ोत्तरी हो चुकी है। यही स्थिति खाद्य पदार्थों की भी है। रसोई में प्रतिदिन उपयोग में लिए जाने वाला खाने का तेल, आटा, चीनी, दालें, अनाज, दूध, चाय पत्ती जैसी वस्तुओं के दामों में भारी बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। खाने के तेल की कीमतें तो गत वर्ष की तुलना में दोगुनी हो चुकी हैं। प्रतिदिन घरेलू उपयोग की अन्य वस्तुओं की कीमतों में हो रही बढ़ोत्तरी ने आम आदमी का बजट बिगाड़ कर रख दिया है।
रमेश सर्राफ धमोरा | 26 Sep 2021
कोरोना प्रबंधन के नाम पर सरकार लगातार पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में बढ़ोत्तरी करती जा रही है। पिछले 15 महीनों में ही सरकार ने घरेलू गैस सिलेंडर पर 300 रूपयों से अधिक की बढ़ोत्तरी कर दी है। घरेलू गैस सिलेंडर पर उपभोक्ताओं को मिलने वाली सब्सिडी भी लंबे समय से बंद है।
आज देश में पेट्रोल 110 रूपये प्रति लिटर, डीजल 100 प्रति लिटर से भी अधिक के दर पर बिक रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2014 से 2021 तक के सात वर्ष के मोदी राज में पेट्रोल में 42 प्रतिशत, डीजल में 32 प्रतिशत व रसोई गैस की कीमतों में 116 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल के दामों में भारी कमी होने के उपरांत भी सरकार लगातार देश में पेट्रोलियम पदार्थों की दरों में वृद्धि करती जा रही है। इस बाबत सरकार का तर्क भी हास्यास्पद है। सरकार का कहना है कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए चिकित्सा सुविधाओं में विस्तार करना व देश के सभी लोगों को कोविड-19 का निःशुल्क वैक्सीनेशन करवाने के लिए बड़ी राशि की जरूरत है जिस कारण सरकार पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स की दर कम नहीं कर पा रही है।
हाल ही में केंद्र सरकार ने आंकड़े जारी कर बताया था कि अगस्त महीने में जीएसटी कर संग्रहण के रूप में सरकार को एक लाख बारह हजार करोड़ रुपए की बड़ी राशि मिली है। कोरोना संक्रमण शुरू होने व उसके बाद की परिस्थितियों में भी सरकार का कर संग्रहण निरंतर बढ़ते ही जा रहा है। जिससे हम समझ सकते हैं कि देश में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह चल रही हैं। जीएसटी के रूप में बहुत बड़ी राशि मिलने के उपरांत भी सरकार घरेलू गैस सिलेंडरों की कीमत को लगातार बढ़ा रही है। जिसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ रहा है।
आम आदमी का साधन माने जाने वाली रेल सेवा को भी सरकार ने गरीबों को लूटने का साधन बना दिया है। कोरोना संक्रमण के बाद से देश में चलने वाली सभी रेलगाडि़यों को विशेष रेल सेवा के नाम से चलाया जा रहा है। जिस पर नियमित रेल सेवा से काफी अधिक किराया वसूला जा रहा है। जिसका भार देश के आम आदमी पर पड़ रहा है। देश में महंगाई लगातार विकराल रूप धारण करती जा रही है। सभी वस्तुओं के दामों में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। पिछले कुछ महीनों में लोहे, कपड़े की कीमतों में डेढ़ गुना तक बढ़ोत्तरी हो चुकी है। यही स्थिति खाद्य पदार्थों की भी है। रसोई में प्रतिदिन उपयोग में लिए जाने वाला खाने का तेल, आटा, चीनी, दालें, अनाज, दूध, चाय पत्ती जैसी वस्तुओं के दामों में भारी बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। खाने के तेल की कीमतें तो गत वर्ष की तुलना में दोगुनी हो चुकी हैं। प्रतिदिन घरेलू उपयोग की अन्य वस्तुओं की कीमतों में हो रही बढ़ोत्तरी ने आम आदमी का बजट बिगाड़ कर रख दिया है। नरेगा में काम करने वाले लोग व अन्य दिहाड़ी कामगारों के सामने तो रोजमर्रा के घरेलू खर्चे चला पाना भी मुश्किल हो रहा है। प्रतिदिन 200 रूपये की मजदूरी पर नरेगा में काम करने वाला भूमिहीन मजदूर अपना घर खर्च कैसे चलाएं यह उसके समझ में नहीं आ रहा है।
महंगाई पर रोकथाम ज़रूरी महंगाई का विरोध करने पर सरकार समर्थक लोग तर्क देने लगते हैं कि बाजारों में वाहनों की बिक्री लगातार बढ़ रही हैं। विलासिता की वस्तुएं लगातार खरीदी जा रही है। पेट्रोल पम्पों पर भीड़ लगी रहती है। जब इतना कुछ है तो फिर महंगाई कहां है मगर ऐसा बोलने वाले वास्तविकता का एक पक्ष दिखाकर दूसरे पक्ष को नजरअंदाज कर जाते हैं। दो पहिया या चार पहिया वाहन हो या महंगी चीजें खरीदने वाले लोग संपन्नता की श्रेणी में ही आते हैं। देश का आम गरीब आदमी कहीं भी महंगी विलासिता की वस्तुएं खरीदते हुये नहीं मिलेगा। केंद्र की मोदी सरकार को महंगाई पर नियंत्राण करने के लिए शीघ्र ही प्रभावी कदम उठाने चाहिए ताकि देश का आम आदमी राहत महसूस कर सके। कोरोना प्रबंधन के नाम पर आम गरीबों से अधिक टैक्स वसूल करना कहीं से भी न्यायोचित नहीं माना जा सकता है। सरकार को कोरोना प्रबंधन के लिए अपने अन्य स्त्रोतों से फंड की व्यवस्था करनी चाहिए। धनाढ्य लोगों पर अधिक कर लगाकर इसकी भरपाई की जा सकती है। देश के एक गरीब आदमी को सरकार अनुदान के नाम पर जो कुछ सहूलियत दे देती है। उससे कई गुना तो सरकार टैक्स के रूप में वसूल कर लेती है। नरेंद्र मोदी को आम जन की बेहतरी के लिए लगातार दो बार वोट देकर प्रधानमंत्री बनवाया था। मगर मोदी सरकार ने महंगाई को नियंत्राण करने की दिशा में अभी तक ऐसा कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है। जिससे आम आदमी राहत महसूस कर सके।
महंगाई पर रोकथाम ज़रूरी
महंगाई का विरोध करने पर सरकार समर्थक लोग तर्क देने लगते हैं कि बाजारों में वाहनों की बिक्री लगातार बढ़ रही हैं। विलासिता की वस्तुएं लगातार खरीदी जा रही है। पेट्रोल पम्पों पर भीड़ लगी रहती है। जब इतना कुछ है तो फिर महंगाई कहां है मगर ऐसा बोलने वाले वास्तविकता का एक पक्ष दिखाकर दूसरे पक्ष को नजरअंदाज कर जाते हैं। दो पहिया या चार पहिया वाहन हो या महंगी चीजें खरीदने वाले लोग संपन्नता की श्रेणी में ही आते हैं। देश का आम गरीब आदमी कहीं भी महंगी विलासिता की वस्तुएं खरीदते हुये नहीं मिलेगा।
केंद्र की मोदी सरकार को महंगाई पर नियंत्राण करने के लिए शीघ्र ही प्रभावी कदम उठाने चाहिए ताकि देश का आम आदमी राहत महसूस कर सके। कोरोना प्रबंधन के नाम पर आम गरीबों से अधिक टैक्स वसूल करना कहीं से भी न्यायोचित नहीं माना जा सकता है। सरकार को कोरोना प्रबंधन के लिए अपने अन्य स्त्रोतों से फंड की व्यवस्था करनी चाहिए। धनाढ्य लोगों पर अधिक कर लगाकर इसकी भरपाई की जा सकती है। देश के एक गरीब आदमी को सरकार अनुदान के नाम पर जो कुछ सहूलियत दे देती है। उससे कई गुना तो सरकार टैक्स के रूप में वसूल कर लेती है।
नरेंद्र मोदी को आम जन की बेहतरी के लिए लगातार दो बार वोट देकर प्रधानमंत्री बनवाया था। मगर मोदी सरकार ने महंगाई को नियंत्राण करने की दिशा में अभी तक ऐसा कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है। जिससे आम आदमी राहत महसूस कर सके।
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