क्या स्पेस टूरिज्म भी अरबपतियों का बड़ा व्यापार बन जाएगा?


मानव अंतरिक्ष के प्रति काफी जिज्ञासु रहा है। अंतरिक्ष में सैर करने की इंसान की चाहत बहुत पुरानी है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा लम्बे समय से अंतरिक्ष पर्यटकों की मेजबानी करने में संकोच करता रहा है, इसलिए रूस ने 1990 और 2000 के दशक में शीत युद्ध के बाद धन के स्रोतों की तलाश में कई दौलतमंद लोगों को पैसे की एवज में अंतरिक्ष की सैर कराई थी।

अशोक भाटिया | 21 Oct 2021

 

छुट्टी के लम्हे, वो भी अंतरिक्ष में, ये ख्याल ही रोमांच से भर देने वाला है। स्पेस टूरिज्म अब एक हकीकत बन रहा है। अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन की कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक ने स्पेस के प्राइवेट टूर का सपना सच कर दिखाया। ब्रैनसन के बाद अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस भी स्पेस में सैर- सपाटा करके लौटे हैं। तो मान लीजिए कि अंतरिक्ष के एक नये प्राइवेट बिजनेस माडल की शुरुआत हो चुकी है। कल्पना से आगे, धरती के पार, अंतरिक्ष में इंसानों की पार्टी यूं ही चलेगी। दुनिया की टाप ई-कामर्स कंपनियों में शामिल अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस अंतरिक्ष की 11 मिनट की यात्रा करके धरती पर लौट आए हैं। इस सफर पर उनके साथ 3 और यात्री थे। जेफ बेजोस से पहले अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन के वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी ने स्पेस टूरिज्म की शुरुआत की थी।

गौरतलब बात यह है कि 21 वीं सदी में अमीर देशों के महाधनाढ्य लोगों का नया शगल अब अंतरिक्ष पर्यटन है। बावजूद इसके कि पूरी दुनिया आज कोविड 19 की महामारी से जूझ रही है, लाखों लोग प्राण गंवा चुके हैं। विश्व की 22 फीसदी आबादी के सामने रोटी, कपड़ा और मकान के लाले हैं। वैचारिक दुराग्रह हिंसक रूप में इंसानों के प्राण ले रहे हैं और मनुष्य के स्वार्थी आचरण के चलते यह पृथ्वी धीरे-धीरे उजड़ती जा रही है लेकिन मनुष्य की आकांक्षा और लालसा अंतरिक्ष से भी ऊंची और विराट है, सो अब वो करने का मजा लिया जा रहा है जो कभी दूर की कौड़ी लगता था तथा जिसे परीकथाओं में सुनकर हम बड़े हुए।

अमेरिका में व्यावसायिक अंतरिक्ष उड़ानों और आकाश से भी ऊपर शून्य में कुछ पल बिताने का रोमांच एक नया तथा भविष्य में और फलने-फूलने वाला शौक बन रहा है। पैसा देकर अंतरिक्ष की कुछ मिनटों की सैर का रोमांच अब ‘दुनिया की सैर’ के रोमांच से कई गुना बड़ा है, कुछ वैसा ही थ्रिल जो मनुष्य को दुनिया की पहली  रेलगाड़ी में बैठकर हुआ होगा। बीते 51 सालों में वैज्ञानिक कारणों और मनुष्य की पृथ्वीतर खोज की अदम्य इच्छा के चलते अंतरिक्ष यात्री सुदूर अंतरिक्ष में जाते रहे हैं। हजारों सालों से सौंदर्य और शीतलता के प्रतीक चांद पर आधी सदी पहले नील आर्म स्ट्रांग के रूप में मनुष्य के कदम पहली बार पड़े। इसी के साथ ब्रह्मांड को सशरीर पादाक्रांत करने का विराट सपना आकार लेने लगा था जिसने अब व्यावसायिक रूप ले लिया है। लिहाजा दुनिया के महाधनाढ्यों ने अंतरिक्ष पर्यटक कंपनियां कायम कर दीं। इनमें पहली है अरबपति बिजनेसमैन सर रिचर्ड ब्रैनसन की ‘वर्जिन गैलेक्टिक।‘

इस तरह स्पेस एक्स ने इतिहास रच दिया है। अंतरिक्ष को पर्यटन के लिए इस्तेमाल करने का पहला विरोध करने वाला नासा अब ऐसी निजी उड़ानों का समर्थन कर रहा है। मानव अंतरिक्ष के प्रति काफी जिज्ञासु रहा है। अंतरिक्ष में सैर करने की इंसान की चाहत बहुत पुरानी है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा लम्बे समय से अंतरिक्ष पर्यटकों की मेजबानी करने में संकोच करता रहा है, इसलिए रूस ने 1990 और 2000 के दशक में शीत युद्ध के बाद धन के स्रोतों की तलाश में कई दौलतमंद लोगों को पैसे की एवज में अंतरिक्ष की सैर कराई थी।

वर्जिन गैलेक्टिक के संस्थापक रिचर्ड ब्रैनसन और कंपनी के पांच क्रू मैम्बरों ने अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी। इस कमर्शियल फ्लाइट में भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक सिरीशा बांदला भी थी जो कंपनी में सरकारी मामलों और अनुसंधान कार्यों की उपाध्यक्ष हैं।  अंतरिक्ष की सैर करने के लिए दो दिग्गज अरबपतियों में होड़ लगी हुई है जैसे उनके लिए पृथ्वी पर जमीन कम पड़ गई है। अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस ने अंतरिक्ष में उड़ान भरी लेकिन उन्हें चुनौती मिली दूसरे अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन से। प्राइवेट स्पेस एजेंसी वर्जिन गैलेक्टिक के संस्थापक ब्रैनसन बेजोस से 9 दिन पहले ही अंतरिक्ष की सैर कर आए। उसके साथ ही एलन मस्क भी इस होड़ में शामिल हो गए। अरबपति बेजोस के साथ अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाले व्यक्ति ने 28 मिलियन डालर  (लगभग 205 करोड़ रुपए) देकर नीलामी की सीट खरीदी थी। चार मिनट के भीतर ही बोलियां 150 करोड़ के पार चली गई थीं। अब क्योंकि इनकी उड़ानें सफल रही हैं, इसलिए अब स्पेस टूरिज्म में भी होड़ मचने की संभावना है।


अंतरिक्ष में यात्रा करने का गौरव हासिल करने के लिए रोमांच प्रिय अरबपति  लाखों डालर खर्च करने में कोई गुरेज नहीं करते। यह तो अमीरों के लिए एक वैश्विक स्टेट्स सिम्बल हासिल करने जैसा है। अब सवाल यह खड़ा हो चुका है कि क्या स्पेस टूरिज्म अरबपतियों का शगल बनकर रह जाएगा। क्या स्पेस टूरिज्म भी अरबपतियों का बड़ा व्यापार बन जाएगा ? इसमें कोई संदेह नहीं कि इससे अंतरिक्ष का परिदृश्य तो बदल ही जाएगा। निजी स्पेस कंपनियों के उदय से अमीर लोगों को अंतरिक्ष का अनुभव कराना आसान हो जाएगा। स्पेस टूरिज्म को लेकर भी काफी मतभेद है। पर्यावरण विशेषज्ञ और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े लोगों का कहना है कि खरबपतियों की स्पेस कंपनियां विज्ञान को आगे बढ़ाने पर मानवता की सीमा का विस्तार या उनका कल्याण करने के लिए धन नहीं खर्च कर रहे बल्कि वह अपना धन एक ऐसी प्रणाली पर खर्च कर रहे हैं जो अंतरिक्ष में भी जलवायु को तबाह कर देगा।

कंपनियां जलवायु परिवर्तन की वास्तविक समस्या को नजरंदाज कर रही हैं। अंतरिक्ष यात्रा का मकसद अमीरों को रिझा कर कमाई करना है। अब तक ज्ञात ब्रह्मांड में केवल हमारी धरती पर ही जीवन है। आज हमने सुविधापूर्वक और सुरक्षित जीवन जीने की प्रौद्योगिकी हासिल कर ली है मगर दुनिया सामाजिक और पर्यावरणीय दौर में उथल-पुथल के दौर में है। अंतरिक्ष भले ही इंसान के सपनों को नई मंजिल दे लेकिन मानवजाति जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का विनाश, परमाणु युद्ध की आशंकाओं से घिर चुकी है। अंतरिक्ष यात्रा सरकारों के कब्जे से धीरे-धीरे बाहर हो जाएगी और निजी कंपनियां सक्रिय होंगी और नासा को भी निजी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ेगा।

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