विश्व में भारत जैसे कई देश अर्थव्यवस्था में समानान्तर नकदी व्यवस्था की चुनौतियों से निपटने में लगे थे और नोटबंदी एवं अन्य प्रचार के माध्यम से लोगों को बैंकिंग एवं डिजिटल इकानमी की तरफ प्रोत्साहित कर रहे थे लेकिन अब इस नई डिजिटल इकानामी में भी क्रिप्टो-करेंसी नाम की एक डिजिटल करेंसी बड़े ही धीरे धीरे दस्तक दे रही है। यह कई देशों में तो पैर पसार ही चुकी है और इसकी दस्तक अब भारत में भी हो चुकी है, बिटकाइन, एटीसीकॉइन एवं तरह तरह नामों के रूप में ।
दुनिया के भौतिक बाजार आजकल आनलाइन हो रहे हैं और यह आनलाइन डेस्कटाप और लैपटाप की यात्रा को पार करते हुए हमारे फिंगर टिप्स पर बसे मोबाइल पर आ गये हैं और लोग अपनी खरीदारी का एक बड़ा भाग आजकल इस आभासी माध्यम मोबाइल इंटरनेट से कर रहें हैं। लोगों के पास भौतिक वैलट की जगह वर्चुअल वैलट होने लगे हैं। जैसे जैसे देश डिजिटल होते चले गये और लोगों के वैलेट एवं दुनिया मोबाइल में सिमटती गई, बाजार की बहुत सी चीजें सीधे मोबाइल के बहाने लोगों के पास प्रत्यक्ष अंगुलियों के टिप पर आ गईं।
जैसा कि उपर भी मैंने उल्लेख किया है, मुद्रा का अस्तित्व मानव जीवन के व्यवस्थित अस्तित्व के लिए एक बड़ा आविष्कार है जिसने मानव जीवन को नियंत्रित एवं व्यवस्थित करने का कार्य किया और यह किसी भी राष्ट्र के उसके खुद के आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक प्रशासन का मेरुदंड है। कालांतर में जब हमने मानव की बस्तियां बसाईं तो इस पृथ्वी ग्रह के बुद्धिमान प्राणियों ने विनिमय की शुरुआत की और जैसे जैसे मानवों की बस्तियां बढ़ीं, गांव बने, कस्बे बने, और धीरे धीरे राष्ट्र राज्य का जन्म हुआ। इसी राष्ट्र राज्य ने अपने राज्य में नागरिक प्रशासन एवं सुविधा के साथ व्यापार एवं लेन देन की प्रक्रिया को भी नियमित किया और माध्यम बनी मुद्रा , और तभी से विनिमय के लिए सत्ता प्रतिष्ठानों ने मान्यता प्राप्त धातु की एक भौतिक मुद्रा का चलन प्रारम्भ किया जिसे मुद्रा का नाम दिया गया और यहीं से विनिमय का मानकीकरण मुद्रा के रूप में होता गया और राज्यों का शासन एवं नियंत्राण मुद्रा के माध्यम से नागरिकों के ऊपर बढ़ता चला गया।
आप पायेंगे कि मुद्रा की सबसे बड़ी विशेषता होती है उसकी जन द्वारा सामान्य स्वीकृति जो मुद्रा के लिए सत्ता या राज्य प्रतिष्ठान द्वारा मान्यता प्राप्त होने की शर्तों से भी ज्यादा जरूरी है। अगर किसी मुद्रा में जन द्वारा सामान्य स्वीकृति नहीं है तो राज्य प्रतिष्ठान द्वारा मान्यता प्राप्त होने के बाद भी वह मुद्रा नहीं हो सकती है। आज के दौर की क्रिप्टो करेंसी बाजार ने इसी सूत्रा वाक्य को पकड़ा है। जैसे जैसे दुनिया भौतिक से आभासी होती जा रही है, अपने हथेलियों के बीच फंसे मोबाइल में बसती जा रही है, क्रिप्टो करेंसी नाम की व्यवस्था धीरे धीरे फेसबुक एवं अन्य आनलाइन माध्यम से इस मोबाइल के अंदर घुस कर नागरिकों के बीच अपना घर बनाती जा रही है।
आज के दौर में क्रिप्टो करेंसी एक आभासी मुद्रा है और आज की इस भौतिक मुद्रा की तरह इसका कोई धातु या कागज का स्वरूप नहीं है, न ही अंतिम तौर पर इसकी गारंटी किसी राज्य एवं उसके केन्द्रीय बैंक द्वारा कोई भौतिक स्वरूप में है। यह विशुद्ध रूप से एक डिजिटल करेंसी है जिसे आप ना तो देख सकते हैं और न ही आप छू सकते हैं। हां, इसे आप अपने डिजिटल वैलट में डिजिटली संग्रहीत कर सकते हैं। अगर किसी के पास क्रिप्टो करेंसी है तो वह इस आभासी बाजार में कई जगह आम मुद्रा की तरह ही सामान खरीद सकता हैं क्यूंकि कई वेबसाइट इसे भुगतान में स्वीकार कर रहें हैं।
जहां आम बैंकिंग चैनल से भुगतान करने में लगभग कुछ लेनदेन शुल्क लगता है, वहीं इसके लेनदेन में कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगता। इस वजह से भी यह लोकप्रिय होता जा रहा है। किसी अन्य क्रेडिट कार्ड की तरह इसमें कोई क्रेडिट लिमिट नहीं होती और न ही कोई नगदी लेकर घूमने की समस्या है। खरीदार की पहचान का खुलासा किए बिना पूरे क्रिप्टो-करेंसी नेटवर्क के प्रत्येक लेन देन के बारे में भी पता किया जा सकता है। आज भी कई लोगों के पास बैंकिंग सुविधा नहीं है लेकिन उन लोगों की संख्या अधिक है जिनके पास इंटरनेट के साथ मोबाइल है और वे इंटरनेट के माध्यम से लेनदेन में पेटीएम या ऐसी ही किसी अन्य माध्यमों का प्रयोग कर रहे हैं । ब्लाकचेन, मोबाइल इंटरनेट, लायल्टी पाइंट, रिवार्ड पाइंट एवं वैलट की विचारधारा ने क्रिप्टो करेंसी की विचारधारा की आधारभूत सरंचना को खड़ा करने में मदद की हैं।