सूत्रों के अनुसार, मंगलवार की सुबह कानपुर की सीजीएसटी की टीम ने दयाल गुटखा के निर्माता पुरानी गल्ला मंडी निवासी व्यवसायी जगत गुप्ता के आवास पर छापा मारा। आवास के नीचे के हिस्से में ही गुटखा फैक्टरी भी संचालित है। सूत्रों के अनुसार टीम के हाथ कुछ ऐसे कागजात भी लगे हैं, जिनसे साबित होता है कि जगत अपना पूरा कारोबार अपने दो पुराने नौकरों राकेश पंडित और सहदेव गुप्ता के नाम से चला रहा है।
संध्या त्रिपाठी | 14 Apr 2022
हमीरपुर ज़िले के एक गुटखा व्यापारी के घर व फ़ैक्टरी पर पड़े छापे में करोड़ो रुपए की नकदी मिली है। केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विभाग की टीम द्वारा मंगलवार सुबह से हुई इस छापेमारी में क़रीब साढ़े छह करोड़ की नकदी और बड़ी मात्रा में सोना बरामद किया गया।
सूत्रों के अनुसार, मंगलवार की सुबह कानपुर की सीजीएसटी की टीम ने दयाल गुटखा के निर्माता पुरानी गल्ला मंडी निवासी व्यवसायी जगत गुप्ता के आवास पर छापा मारा। आवास के नीचे के हिस्से में ही गुटखा फैक्टरी भी संचालित है। सूत्रों के अनुसार टीम के हाथ कुछ ऐसे कागजात भी लगे हैं, जिनसे साबित होता है कि जगत अपना पूरा कारोबार अपने दो पुराने नौकरों राकेश पंडित और सहदेव गुप्ता के नाम से चला रहा है। टीम के डिप्टी कमिश्नर बृजेंद्र कुमार मीणा ने मीडिया को बताया कि गुटखा व्यवसायी के आवास एवं फैक्टरी से टैक्स चोरी से संबंधित भी कुछ कागजात हाथ लगे हैं। सीजीएसटी की टीम जिस वक्त गुटखा व्यवसायी जगत के आवास पर कागजातों की जांच पड़ताल कर रही थी, इसी बीच एक कमरे में पड़े बेड के नीचे से नोटों के बंडल बरामद होते ही टीम सदस्यों की सक्रियता और तेज हो गई। सूत्रानुसार इसके बाद और सोफे व गद्दों से जब नोट निकलने लगे तो उनकी गिनती के लिए टीम ने एसबीआई से संपर्क मशीनें मंगाई। तीन मशीनों से घंटों तक नोटों की गिनती की गई। नजदीकियों के मुताबिक साल 2001 से पहले जगत एक मामूली गल्ला आढ़ती था। इसके बाद उसने कस्बा निवासी राकेश गुप्ता व हमीरपुर के मेडिकल स्टोर संचालक गोपाल ओमर के साथ मिलकर चंद्रमोहन ब्रांड का रजिस्ट्रेशन कराया और गुटखा व्यवसायी बन गया। चंद दिनों में ही यह ब्रांड बुंदेलखंड के साथ-साथ कानपुर, फतेहपुर व कानपुर देहात में छा गया और उसकी माली हालत रातों-रात बदल गई। 2011 में तत्कालीन जिलाधिकारी जी श्रीनिवास लू ने भी जगत की फैक्टरी में छापा मारा और अवैध ढंग से कारोबार करने के साथ टैक्स चोरी आदि में कार्रवाई की थी। फैक्टरी को भी सील कर दिया था। उस समय दो स्थानों पर मशीनें लगाकर गुटखा तैयार किया जा रहा था।इस कार्रवाई के बाद करीब छह माह तक कारोबार बंद रहा। इस छापेमारी में राकेश गुप्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। जो आज भी विचाराधीन है।
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