हिंदी बोलने में हिचक क्यूँ


हिंदी अन्य भाषा के शब्दों को भी अपने अंदर आत्मसात करती दिखाई देती है पर बदलती जीवन शैली में हिंदी का शब्दकोश बढ़ता जा रहा है और गूढ़ हिंदी सरलता की ओर अग्रसर होती जा रही है हिंदी के सरलीकरण लिए लगातार प्रयास और किए जा रहे हैं परंतु कुछ प्रयासों में अभी कमी है अभी हमें हिंदी भाषा को रोजगार परक बनाना होगा, विश्व तथा देश के पटल पर हिंदी भाषी लोगों को सम्मान की दृष्टि से देखने के लिए युवाओं में हिंदी व्याकरण के प्रति अनुराग पैदा करना होगा।

ऋषि कुमार शर्मा, उपसचिव हिंदी अकादमी, दिल्ली | 16 Sep 2022

 

हिंदी विश्व में तीसरी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है और विश्व की 10 सशक्त भाषाओं में से एक है परंतु विदेशों में भौगोलिक रूप से हिंदी का बहुत प्रचार-प्रसार है विश्व में लोग हिंदी बोलने में सम्मान का अनुभव करते हैं परंतु अपने देश में जैसे-जैसे लोग शिक्षित होते जा रहे हैं वैसे-वैसे ही अंग्रेजी बोलना और पढ़ना उनके लियें शिक्षित होने का एक पैमाना बन जाता है जिसके कारण युवा हिंदी बोलने में शर्म महसूस करने लगते हैं वह अंग्रेजी बोल कर आधुनिक देखने का प्रदर्शन करके गर्व का अनुभव पाले हुए हैं जबकि अन्य प्रादेशिक या विदेशी भाषा बोलने वाले लोग अवसर मिलते ही अपनी भाषा का प्रयोग करना आरम्भ कर देते हैं। हर व्यक्ति बड़े सम्मान के साथ अपनी भाषा बोलने में सहजता का अनुभव करता है। कुछ पत्र-पत्रिका हिंदी के विनाश का कारण होती जा रही हैं जो शब्दों की लगातार हत्या करके युवाओं के बीच अंग्रेजी या हिंगलिश के शब्दों को प्रचलित कर देती हैं परंतु कुछ हिंदी समाचार पत्र-पत्रिकाएं ऐसे हैं जो मानक हिंदी को जीवित रखकर नया रूप प्रदान कर हिंदी की सेवा में लगातार योगदान कर रहे हैं परंतु हम निराश नहीं हैं हिंदी वैश्विक भाषा, बाजार की भाषा और तकनीकी भाषा बनती चली जा रही है कंप्यूटर हो,मोबाइल हो या नेट हो या संचार का कोई और लोकप्रिय साधन हिंदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ती चली जा रही है हिंदी की खास बात यह है कि वह जैसी लिखी जाती है वैसी ही बोली जाती है। हिंदी में शब्द भंडार भरा पड़ा है। हिंदी अन्य भाषा के शब्दों को भी अपने अंदर आत्मसात करती दिखाई देती है पर बदलती जीवन शैली में हिंदी का शब्दकोश बढ़ता जा रहा है और गूढ़ हिंदी सरलता की ओर अग्रसर होती जा रही है हिंदी के सरलीकरण लिए लगातार प्रयास और किए जा रहे हैं परंतु कुछ प्रयासों में अभी कमी है अभी हमें हिंदी भाषा को रोजगार परक बनाना होगा, विश्व तथा देश के पटल पर हिंदी भाषी लोगों को सम्मान की दृष्टि से देखने के लिए युवाओं में हिंदी व्याकरण के प्रति अनुराग पैदा करना होगा। साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित करना होगा साथ ही हिंदी के प्रति पुरस्कार देकर उनका उत्साह बढ़ाने के जैसे कुछ कदम आगे बढ़ाने होंगे। हम सब जानते है कि हिंदी के विस्तार के साथ देश की कला, संस्कृति और नैतिकता का विस्तार भी होता है जिससे एक स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। मेरा मानना है कि हिंदी दिवस को मात्र प्रतीक के तौर पर हम एक ही दिन मनाकर न छोड़ दें बल्कि दैनिक जीवन में हिंदी को उतारकर इसे और समृद्ध बनाएँ।

 


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