बिहारी गढ़ का पकौड़ा बाज़ार


लगभग छह दशक पहले इस बाज़ार में पकौड़े बेचने का काम भगत जी के नाम से मशहूर एक दुकानदार ने किया। देखते ही देखते उनके बनाए लज़ीज़ पकौड़े इतने चर्चित हो गए कि लोग दूर-दूर से उन्हें खाने के लिए यहाँ आते। सवारी गाड़ियाँ उन्हीं की दुकान पर जाकर रुकतीं और लोग बड़े चाव से वहाँ पकौड़ों का लुत्फ़ उठाते।

मनोज बिसारिया | 08 Oct 2022

 

पकौड़े का नाम सुनते ही मुँह में पानी भर आता है। पालक. प्याज़, आलू, गोभी और मिर्च के छोटे-बड़े पकौड़े जब प्लेट में सजाकर चटनी के साथ परोसे जाते हैं तो ना-ना करते भी आदमी एकाध पकौड़ा चख ही लेता है और उसके बाद मुँह तब तक चलता रहता है, जब तक कि प्लेट पूरी खाली न हो जाए। आमतौर पर किसी भी बाज़ार में गिनती के ही पकौड़े वाले बैठते हैं जो किसी कोने में पकौड़े के साथ चाय बेचते मिल जाएंगे। लेकिन अग़र किसी बाज़ार में एक-साथ 20 से अधिक दुकानें सिर्फ़ पकौड़े बेचने वालों की हों तो। पकौड़ों का ये बाज़ार उत्तर प्रदेश के बिहारी गढ़ में है जो कि उत्तराखंड के देहरादून से मात्र 35 किमी. की दूरी पर है।

लगभग छह दशक पहले इस बाज़ार में पकौड़े बेचने का काम भगत जी के नाम से मशहूर एक दुकानदार ने किया। देखते ही देखते उनके बनाए लज़ीज़ पकौड़े इतने चर्चित हो गए कि लोग दूर-दूर से उन्हें खाने के लिए यहाँ आते। सवारी गाड़ियाँ उन्हीं की दुकान पर जाकर रुकतीं और लोग बड़े चाव से वहाँ पकौड़ों का लुत्फ़ उठाते। पुराने दिनों को याद करते हुए स्थानीय दुकानदार सुखपाल ने बताया कि बाद में यहाँ भगत जी की देखा-देखी और भी दुकानें खुल गईं। बसें और अन्य गाड़ी वाले यहाँ रुकते और हमसे पकौड़े-चाय लेते।

समस्या तब आई जब इस सड़क के साथ रेलिंग लगा दी गयी। अब बाज़ार, रेलिंग के दूसरी पार हो गया और हाईवे होने की वजह से अब बस वाले भी सड़क पर गाड़ी रोकने से बचते रहे क्योंकि चालान होने का डर था। अब यहाँ केवल कार वाले या दो-पहिया वाहन वाले ही रुकते हैं, जिसका असर बिक्री पर भी पड़ा है।

तिस पर सब्ज़ियों से लेकर तेल, गैस सिलिंडर सबके दाम बढ़े हैं। ग्राहकों से ज़्यादा बढ़ी कीमत के पैसे मांग नहीं सकते क्योंकि ऐसे में या तो वे अगली दुकान का रुख कर लेते हैं या ऑर्डर कम कर देते हैं। अब इस धंधे को छोड़कर करें तो क्या करें। यहाँ अब दुकानों का किराया भी बढ़ गया है, तो किसी तरह बस गुज़ारा हो रहा है।

 बिहारी गढ़ की इस मार्केट में 20 से भी अधिक दुकानें केवल पकौड़े वालों की हैं जो ब्रेड पकौड़े से लेकर कई तरह के पकौड़े और चाय बेचते हैं। अगली बार कभी आपका देहरादून जाना हो तो भले ही थोड़ी देर के लिए सही, यहाँ रुककर चटपटे पकौड़ों का स्वाद लेना मत भूलना। वैसे जंक फूड से कहीं बेहतर तो ये देसी व्यंजन हैं जो गर्मागर्म परोसे जाते हैं। सबसे बड़ी बात, आप इन्हें अपने स्वादानुसार बनवा भी सकते हैं। यहाँ के पकौड़ों का स्वाद आप कभी भूल न पाएंगे।


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