चुनाव अगर जीत भी जाएँ तो शेरखान की जगह जंगल का राजा कौन बनेगा। सियारमल भाग-दौड़ तो बहुत कर रहे हैं लेकिन अभी बात बन नहीं पा रही। हमें ख़बर मिली है कि अगर सब मिलकर शेरखान को हरा देंगे तो किसी मेमने-वेमने टाइप को भी जंगल का राजा बनाया जा सकता है।
मनोज बिसारिया | 04 Aug 2023
अब देखते ही देखते सारे जंगल में ये बात फैल गयी कि गैंडामल और शेरखान चुनाव करवाने वाले हैं। वैसे चुनाव तो कई साल पहले भी हुए थे, लेकिन तब जंगल का माहौल बदला-बदला सा था। गैंडे राम ने भरोसा दिलाया था कि एक बार हमें भी सेवा का मौक़ा देकर देखिए, हम आपकी ज़िंदगी न बदल दें तो कहना। अब जंगल के जानवर इंसानों की तरह परिवर्तन चाहते थे क्योंकि सात जंगल पार की लोमड़ी मौसी और गूंगे ऊदबिलाव ने जंगल में जंगल राज मचा रखा था। गैंडामल और शेरखान की जोड़ी जीत गयी और जंगल में सुशासन लागू हो गया। अब जैसा कि हमेशा होते आया है कुछ चुलबुले सियार और लकड्बग्घों ने शेरखान के कान भर दिए। कहने लगे- अजी अपने राज में लोमड़ी मौसी और गूंगे ऊदबिलाव ने ये किया, वो किया। किसी की मुर्गी मारी, किसी की खाल खिंचवाई और किसी-किसी जानवर को तो सीधे शिकारियों के हवाले करवा दिया। इनका मेमना तो यूँ फड़कता डोलता था जैसे सारी सरकार ये ख़ुद चला रहा हो। अब जानवर तो जानवर हैं लिहाज़ा शेरखान ने कई विरोधी जानवरों की इंक्वायरी बिठा दी। किसी की गुफा से माँस निकला, किसी के यहाँ से हड्डियाँ, किसी के यहाँ दूसरे मुहल्ले से चुराए गए मेमने। गैंडामल का आतंक इतना कि चार जानवर कहीं एक-साथ खड़े भी हो जाते तो शेरखान उन्हें देख ज़ोर से दहाड़ता, ऐसे में कुछ या तो कहीं दुबक जाते या भाग जाते। अब कई साल बाद जंगल में फिर चुनाव होने की आहट सुनाई दी। अब कुछ सताए हुए जानवर एक बार फिर सक्रिय होने लगे। पुराने खुर्राट सियारमल ने सब
जानवरों को एक साथ जोड़ने का बीड़ा उठा लिया। सूअरमल अपनी आँखों की टेस्टिंग करवाने डॉक्टर बगुला भगत के यहाँ गए थे, वो भी वापस लौट आए। अलग़-अलग़ ख़ेमों में बंटे हुए सियार, भालू, लक्कड़बग्घे सब एक होने की क़समें खाने लगे। लेकिन समस्या अभी भी बनी हुई थी कि बाल नोंचते बंदर और एक- दूसरे पर गुर्राती शेरनियों को कैसे क़ाबू में रखा जाए। चुनाव अगर जीत भी जाएँ तो शेरखान की जगह जंगल का राजा कौन बनेगा। सियारमल भाग-दौड़ तो बहुत कर रहे हैं लेकिन अभी बात बन नहीं पा रही। हमें ख़बर मिली है कि अगर सब मिलकर शेरखान को हरा देंगे तो किसी मेमने-वेमने टाइप को भी जंगल का राजा बनाया जा सकता है, फ़िलहाल तो जानवर कहीं तलैया के किनारे, तो कभी किसी जंगल-झाड़ी में अपनी मीटिंग करते डोल रहे हैं। दूसरी ओर शेरखान हैं जो मस्त हैं। उन्हें पता है इंसानों की तरह जंगल में भी कुछ अवसरवादी जानवर पाए जाते हैं जो बोटी देखते ही पाला बदल लेते हैं। ख़ैर हमें क्या, चुनाव तो जंगल में होने हैं। रिज़ल्ट जो आएगा सो आएगा। लेकिन पता नहीं क्यों, जंगल हो या शहर, समस्याएं दोनों जगह कॉमन सी लगती हैं।
प्रेमचंद की 144वीं जन्म जयंती पर हुआ संगोष्ठी का आयोजन
जंगल में होगा चुनाव
अंधेर नगरी, चौपट राजा
हम सड़क को संसद बना देंगे..
मुझे अल्लाह कहो, गॉड कहो या भगवान
गिद्धों का स्वर्णकाल
वाइफ साइंस का पहला अध्याय
किताब
लॉक डाउन में भी डाउन नहीं है ठगी
ठाड़े रहियो, ओ बाँके यार रे......
बेवड़े नहीं, आर्थिक धंवंतरी हैं ये.....
अथश्री ‘कोरोना पद्मश्री’ सम्मान
हे नाथ! आप बलाओं से तो मुक्त हैं!
शादियों में फूफा
Ellementry
© Copyright 2019 | Vanik Times. All rights reserved