पीलीभीत में चरम पर भाजपा में गुटबाजी,क्या जितिन प्रसाद कर पाएंगे विजय का शंखनाद


पीलीभीत में चरम पर भाजपा में गुटबाजी,क्या जितिन प्रसाद कर पाएंगे विजय का शंखनाद

मनोज बिसारिया | 13 Apr 2024

 

पीलीभीत।भारतीय जनता पार्टी पिछले कई चुनाव से पीलीभीत लोकसभा में जीत दर्ज करती आ रही है।वरुण गांधी का टिकट काटकर इस बार भाजपा ने योगी सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है।पीलीभीत लोकसभा गांधी परिवार की लोकसभा रही है। पीलीभीत से मेनका गांधी कई बार सांसद रही हैं। मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी भी पीलीभीत से दो बार भाजपा से सांसद रहे हैं।पीलीभीत में भाजपा और सपा के प्रत्याशी बाहर के हैं। भाजपा प्रत्याशी जितिन प्रसाद शाहजहांपुर के रहने वाले हैं तो सपा प्रत्याशी भगवत सरन गंगवार बरेली के रहने वाले हैं।यहां ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या लगभग एक लाख हैं तो वहीं सपा प्रत्याशी की जाति के लोग लगभग ढाई लाख हैं।कुर्मी बिरादरी को लुभाने के लिए सपा ने गंगवार को चुनावी मैदान में उतारा है।

 

पीलीभीत लोकसभा में वरुण गांधी भी फैक्टर हैं।जब वरुण का टिकट काटा गया तो उन्होंने पीलीभीत की जनता को एक चिट्ठी लिखर ये कहा था कि वे पीलीभीत के थे, हैं और रहेंगे, लेकिन वरुण जनता की एक मांग को पूरी नहीं कर सके। पिछले 7 साल से पीलीभीत होते हुए लखीमपुर-सीतापुर और लखनऊ को जाने वाली ट्रेन बंद है।

 

तराई वाले पीलीभीत जिले में भाजपा में गुटबाजी चरम पर है। भाजपा प्रत्याशी जितिन प्रसाद अंदरुनी खींचतान से परेशान हैं।यहां भाजपा के दो विधायक हैं।बरखेड़ा से स्वामी प्रवक्ता नंद और बीसलपुर से विवेक वर्मा जो लोध किसान जाति से हैं। लोध किसान भी अपनी बिरादरी के लिए पीलीभीत लोकसभा से टिकट मांग रहे थे।कुर्मी बिरादरी से योगी सरकार में गन्ना विकास एवं चीनी मिल राज्य मंत्री संजय सिंह गंगवार हैं।संजय सिंह गंगवार भी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए जी जान से जुटे थे।अंदरुनी नाराजगी इन लोगों की भी देखी जा सकती है।

 

पीलीभीत लोकसभा 10 प्रत्याशी एक दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। बसपा से अनीस अहमद फूल बाबू अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।अनीस मुस्लिम वोटो में सेंध लगाने की बात कर रहे हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव और नगर पालिका चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने एकमुश्त होकर सपा को वोट दिया था।

 

पीलीभीत में मुस्लिम मतदाता लगभग 4.75 लाख,लोध किसान 2.50 लाख, कुर्मी बिरादरी लगभग 2.50 लाख है। यही तीनों बिरादरियां चुनाव में अपना वर्चस्व दिखाती रही हैं। मुस्लिम जहां सपा को वोट देते हैं तो वहीं कुर्मी और लोध किसान भाजपा को वोट देते हैं।

 

पीलीभीत में लोगों के सामने बिजली,पानी और सड़क के प्रमुख मुद्दे हैं, लेकिन इन मुद्दों के बाद भी लोगों में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के खिलाफ गुस्सा नहीं है। सरकार के काम से लोग खुश हैं।मेडिकल कॉलेज बन रहा है,खमीर की हजार करोड़ की फैक्ट्री लग रही है जिस पर काम चल रहा है।

 

पीलीभीत लोकसभा से 1989 में सबसे पहले मेनका गांधी ने चुनाव जीता था। मेनका जनता दल से चुनाव लड़ी थीं। 1996 में फिर मेनका जनता दल से जीत दर्ज की। 1998 और 1999 में मेनका ने निर्दलीय लड़ा और जीत दर्ज की। 2004 में मेनका ने भाजपा से जीत दर्ज की। 2009 में मेनका के बेटे वरुण गांधी ने जीत दर्ज की। 2014 में भाजपा ने फिर से मेनका को पीलीभीत से चुनावी मैदान में उतारा। 2019 में वरुण ने जीत दर्ज की। वरुण ने सपा के हेमराज वर्मा को 2.55 लाख वोटों से हराया था।वरुण को 7.04 वोट मिले थे।


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