लखनऊ।उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं।सभी पार्टियों की निगाहें यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर है। बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी को पछाड़कर लोकसभा चुनाव में खुद को दूसरी सबसे अधिक सांसदों वाली पार्टी बनाने के लिए अपनी रणनीति में कई अहम बदलाव किए हैं। बसपा ने सपा की जीती हुई लोकसभा सीटों पर ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया हैं,जो सपा को नुकसान पहुंचाने की दम रखते हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन था।बसपा 10 और सपा ने 5 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। सपा की जीती हुई पांच लोकसभा सीटों में आजमगढ़ में भाजपा ने उपचुनाव में बाजी मार ली थी। जबकि रामपुर के सांसद आजम खां की सदस्यता समाप्त होने के बाद भाजपा के घनश्याम लोधी जीते थे।
इस बार भी सपा को इन पांच लोकसभा सीटों पर जीत की उम्मीद है,लेकिन बसपा ने सपा के प्रत्याशियों के सामने मुश्किल खड़ी कर दी है। बसपा ने मैनपुरी में सपा सांसद डिंपल यादव के खिलाफ शिव प्रसाद यादव को मैदान में उतारा है।रामपुर में सपा प्रत्याशी इमाम मोहिब्बुल्लाह का मुकाबला करने के लिए जीशान खान को मैदान में उतारा है।
मुरादाबाद में सपा ने सांसद एचटी हसन की जगह रुचि वीरा को मैदान में उतारा है।बसपा ने मोहम्मद इरफान सैनी को मैदान में उतारकर सपा के पाले में जाने वाले मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी की व्यूहरचना बनाई है। संभल से सपा के जियाउर्रहमान के सामने बसपा ने शौलत अली को मैदान में उतारा है, जिससे मुस्लिम वोट बैंक बिखर सकता है।
बसपा ने पहले आजमगढ़ से अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को मैदान में उतारा था,लेकिन अब भीम राजभर को सलेमपुर से चुनावी मैदान में उतारने का फैसला लिया है। अब बसपा आजमगढ़ में ऐसे किसी कद्दावर नेता को मैदान में उतारने की तैयारी में है, जो सपा को शिकस्त दे सके। यदि बसपा की रणनीति सफल रही तो भाजपा और सपा की लड़ाई में बसपा को फायदा मिल सकता है।
2019 के लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक सफलता न मिलने के बाद सपा ने 2022 विधानसभा चुनाव में अपना प्रदर्शन सुधारने की कवायद तो की, लेकिन विधानसभा चुनाव में सपा के साथ आए कई प्रमुख नेताओं ने दूरी बना ली है। इसका असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है। रालाेद अध्यक्ष जयंत चौधरी, सुभासपा अध्यक्ष ओपी राजभर, विधायक दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी, स्वामी प्रसाद मौर्या, पल्लवी पटेल और केके गौतम जैसे तमाम बड़े नेता अब सपा के साथ नहीं हैं। इंडिया गठबंधन में भी जगह नहीं मिलने पर स्वामी प्रसाद मौर्या नाराजगी भी जता चुके हैं।
बसपा लोकसभा चुनाव में पिछली बार के मुकाबले अधिक सीटें जीतेगी। सपा इस चुनाव में कमजोर स्थिति में है। तमाम बड़े दलों और नेताओं ने सपा का साथ छोड़ दिया है। कांग्रेस का तो यूपी में कैडर ही नहीं बचा है।-विश्वनाथ पाल, बसपा प्रदेश अध्यक्ष